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तिरछी नजर : दो बदलाव बाकी

भाजपा में दो और बदलाव जल्द हो सकता है । बताते हैं कि आरएसएस मुख्यालय नागपुर ने काफी मंत्रणा के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा में चार बड़े बदलाव का सुझाव दिया था ताकि प्रदेश में पार्टी की सरकार की वापसी हो सके। इनमें से दो बदलाव नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में किया जा चुका है ।

दो और सुझावों में से एक पवन साय को महामंत्री संगठन के पद से हटाने का फैसला खुद आरएसएस को लेना है उन्हें ओडिशा भेजने की चर्चा चल रही है । एक अन्य महत्वपूर्ण सुझाव डां रमन सिंह को राज्यपाल बनाकर सक्रिय राजनीति से अलग रखने की है । एक विकल्प यह भी है कि रमन सिंह को चुनाव अभियान समिति का मुखिया बनाकर प्रचार की जिम्मेदारी दी जाए, उन्हें प्रत्याशी न बनाकर अभिषेक सिंह को राजनांदगांव से प्रत्याशी बनाया जाए। एक बात तय मानी जा रही है कि रमन सिंह को विधान सभा का चुनाव नहीं लड़ाया जाएगा। देखना है दोनों सुझाव पर अमल किस तरह और कब तक किया जाता है।

भाजपा के गांधी

भाजपा में दो गांधी काफी चर्चित हैं। एक प्रदीप गांधी, तो दूसरे हैं प्रीतेश गांधी। दोनों की कार्यशैली एक जैसी मानी जाती है। दोनों की पार्टी में खूब चलती है।

प्रदीप गांधी की कभी रमन राज में एकतरफा चलती थी। बड़े कामों के लिए उनसे ही संपर्क साधा जाता था। लेकिन संसद में सवाल पूछने के नाम पर पैसे लेते कैमरे में कैद हुए तो सांसदी चली गई। तब कहीं जाकर उनकी असलियत सामने आई। प्रीतेश की पूरी तरह असलियत आना अभी बाकी है।
अब बात प्रीतेश गांधी की करते हैं। उन्हें पार्टी के कार्यकर्ता निजी बातचीत में छोटा अमर सिंह कहते हैं। कुछ साल पहले उनके पारिवारिक फर्म के खिलाफ आदिवासी मजदूरों ने कांकेर थाने में शिकायत की थी। लेकिन जल्द ही अपने प्रभाव का उपयोग कर राजीनामा कर बात आगे बढऩे से रूकवाने में सफल रहे। परिवार से जुड़े कंपनियों के खिलाफ पॉवर कंपनी में शिकायत भी हुई है। कुछ मामलों को लेकर प्रीतेश की शिकायत ‘ऊपर’ तक हुई है। हाईकमान इसको कितनी गंभीरता से लेता है यह आने वाला समय बताएगा।

संदेह के घेरे में अफसर

पिछली भाजपा सरकार में कई जिलों में कलेक्टर रह चुके मंत्रालय में एक से अधिक महत्वपूर्ण विभाग संभाल रहे एक सीनियर आईएएस अफसर के खिलाफ गंभीर शिकायत हुई है। सीएम के समक्ष यह अंदेशा जताया गया है कि वो कुछ पेपर लीक कर रहे हैं। इस अफसर की कार्यप्रणाली से ज्यादातर लोग नाखुश हैं। अफसर के खिलाफ यह भी शिकायत है कि वो जनप्रतिनिधियों तक के फ़ोन नहीं उठाते हैं । गोपनीय कागज तो इतने आसानी से बाहर निकल नहीं सकते। यह कागज आंकड़ों के साथ तथ्यों के साथ कैसे बाहर आ रहे हैं इसकी समीक्षा में सरकार के निष्ठावान लोग जुटे हुए हैं। जिस अफसर पर पेपर लीक करने का शक है उनके पर कतरे जा सकते है।

 

छुट्टी पर जाने के ऐलान से ही एजेंडा रद्द….

प्रदेश सरकार के दो मंत्री और एक सीनियर विधायक ने एक विभाग के अहम प्रस्तावों को लेकर पिछले दिनों बैठक ली। इस बैठक में कई पुराने व नये एजेंडें को गति देने जबरदस्त दबाव बनाया गया। विभाग के प्रमुख आईएएस अफसर ने विवादित प्रस्ताव पर भरी बैठक में कह दिया कि मैं यह काम नहीं कर सकता । मैं छुट्टी पर चला जाता हूं। मेरे बाद के दूसरे क्रम के अधिकारी को चार्ज देकर और अधिकार देकर जा रहा हूं। आप लोग उनसे काम करा लीजिए। बाद में भी मैं कुछ नहीं बोलूंगा। अफसर के इस तरह विनम्रता पूर्ण कथन के बाद मंत्री व विधायक ने भी इस महत्वपूर्ण प्रस्ताव को खारिज कर बैठक को ही खत्म कर दिया। बाद में अफसर का सीएम ने कद भी बढ़ा दिया।

कीमती जमीनों पर नजर…

छत्तीसगढ़ हाऊसिंग बोर्ड और नया रायपुर के निर्माण व जमीन आबंटन इन दिनों सुर्खियां बटोर रही है। मकान कोई लेने के लिए तैयार नहीं है। कीमती जमीनों का बंदरबांट की योजना तैयार हो गयी है। बड़े -बड़े काम सुनियोजित तरीके से टेंडर निकलने की परतें धीरे-धीरे बाहर आती जा रही है। इस खेल में बड़े-छोटे के बीच एका होने के कारण शिकायतों का अंबार खड़ा हो गया है। सरकारी मद और निर्माण की कहानी विपक्षी दल के पास पहुंचने लगी है। देर सवेरे अब विवाद खड़ा होने की सम्भावना है।

खेल विभाग में खेला

खेल के मैदान और खेल विभाग में काफी अंतर देखकर एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने मीटिंग के दौरान जमकर घुड़की लगाई। ज्यादातर अधिकारी एक-दो घंटे के लिए आफिस पहुंच रहे है। पहुंच वाले एक अधिकारी को माइंनिग विभाग में बड़े-बड़े खेल करने के कारण खेल विभाग भेज दिया गया है। दूसरे अधिकारियों की हालत भी यही है। कई सालों बाद तो विभाग की शीर्ष स्तर की मीटिंग हुई । मंत्री लेकर अधिकारियों तक की इस बेरूखी के चलते प्रदेश के खिलाडिय़ों के साथ खेला हो गया है।

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