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देसी बीजों के संरक्षण में जुटे हैं किशोर राजपूत, बीज बचाने के लिए कर रहे लगातार काम

संजय महिलांग/नवागढ़/बेमेतरा : एक ओर लोग कोविड 19 से बचने के उपाय में लगे हुए हैं तो दूसरी तरफ एक शख्स ऐसा हैं जो लुप्त होते देसी बीजों को बचाने में जुटा है। उसका उद्देश्य देसी किस्म के बीजों को बचाने के अलावा जैव विविधता का संदेश जन जन तक पहुंचाना है। युवा किसान किशोर राजपूत वर्तमान में कोविड शुरू होने के बाद शहर ही नहीं गांव गांव जाकर लोगों से देशी बीज संवर्धन करने की अपील करते हुए सब्जियों,दलहन,तिलहन,धान गेहूं,कोदो,कुटकी,सावा,औषधीय गुणों से युक्त पौधों के बीजों का वितरण निःशुल्क कर रहे है।

किशोर पेशे से एक किसान हैं वे बताते हैं कि उनको देसी बीज संरक्षण करने की प्रेरणा बचपन से ही प्रकृति से मिली है। जब से स्कूल शिक्षा शुरु किए तब से कुछ न कुछ पेड़ पौधें वनस्पतियो को देख कर उनके बीजों को एकत्रित कर लेता और खाली सरकारी जगहों पर बरसात के दिनों में बिखेर देता। इस तरह परंपरागत रूप से मिलने वाले किस्मों के बीजों के महत्व को बताते हुए लोगों को जागरूक किया तथा देसी बीजों को दैनिक जीवन में उपयोग करने हेतु प्रेरित किया।

प्रकृति की ओर लौटना होगा

किशोर कुमार राजपूत ने कहा हैं कि पहले जमाने में घर की आंगन,बाड़ी,खेत,खाली प्लाट पर कई किस्मों के पौधें अपने आप उगते थे जिसका उपयोग स्थानीय लोगों के द्वारा किया जाता रहा है जो दैनिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होता था। किंतु आज रसायनिक कीटनाशकों के अत्यधिक मात्रा में प्रयोग करने से विलुप्त होने के कगार में आ गया है, इन सभी वनस्पतियो, पेड़ पौधों, जीव जंतुओं का पर्यावरण संरक्षण में महत्व पूर्ण योगदान है । सभी जीवों को जीने का अधिकार है,हमारी वजह से ही प्रकृति असंतुलित होकर अनेकों प्रकार के आपदाओ से हमारा सामना कराती हैं। इसलिए अब पुनः प्रकृति की ओर लौटना होगा।

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