Trending Nowशहर एवं राज्य

जनहितकारी है राज्य सरकार की मिलेट मिशन योजना, हर महीने लाखों कमा रही महिला समूह की महिलाएं, किसानों को भी मिला रहा लाभ

रायपुर। अब तक राज्य सरकार करोड़ो की मिलेट्स खरीद चुकी है। प्रदेश में कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर 3000 प्रति क्विंटल की दर से तथा रागी की खरीदी 3377 रु. प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जा रही है। इससे प्रदेश के किसानों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है। वहीं, वन मंत्री अकबर ने इसे कुपोषण दूर करने में बताते हुए कहा था कि, मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए के पीछे राज्य सरकार की मंशा है कि इन फसलों का अधिक से अधिक उपयोग बच्चों के कुपोषण दूर करने में किया जाएगा।

यह भी पढ़े – गोधन न्याय योजना” से लाखों ग्रामीणों को हुआ लाभ, मिला आय का एक नया मार्ग, मवेशियों द्वारा खुले चराई की समस्या से भी निजात

छत्तीसगढ़ राज्य की भूपेश सरकार ने किसानों के हित में एक महत्वपूर्ण और कल्याणकारी फैसला लिया, जिसके तहत अब राज्य सरकार कोदो, कुटकी और रागी की फसलों को पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदी करती है। यह योजना लाभ न सिर्फ किसानों के लिए, बल्कि आदिवासी वन क्षेत्रों के निवासियों के लिए भी फायदेमंद साबित हो रहा है। बता दें कि, छत्तीसगढ़ देश का पहला और इकलौता ऐसा राज्य है, जहां समर्थन मूल्य पर कोदो कुटकी और रागी खरीदी की जा रही है। इसकी शुरुवात राज्य सरकार ने सितम्बर 2021 में हुई थी। वहीं, अब तक राज्य सरकार करोड़ो की मिलेट्स खरीद चुकी है। प्रदेश में कोदो-कुटकी की समर्थन मूल्य पर 3000 प्रति क्विंटल की दर से तथा रागी की खरीदी 3377 रु. प्रति क्विंटल की दर से खरीदी की जा रही है। इससे प्रदेश के किसानों की आय में भी काफी वृद्धि हुई है।

यह भी पढ़े – Chhattisgarh : CM Bhupesh Baghel ने ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ का किया शुरुआत, जो 6111 ग्राम पंचायतों को मिलेंगे ये फायदे…

वहीं, वन मंत्री अकबर ने इसे कुपोषण दूर करने में बताते हुए कहा था कि, मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए के पीछे राज्य सरकार की मंशा है कि इन फसलों का अधिक से अधिक उपयोग बच्चों के कुपोषण दूर करने में किया जाएगा। मिलेट का उपयोग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी के पोषण आहार कार्यक्रम में करने के निर्देश भी दिए गए हैं। सभी प्राथमिक वन समितियों में इन फसलों की खरीदी की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा किसानों को इनकी खेती के लिए दिए जा रहे प्रोत्साहन से आने वाले समय में इन फसलों का उत्पादन और बढ़ेगा।

स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है कोदो मिलेट


बता दें कि, देश के कई आदिवासी इलाकों में मोटे अनाज का काफी समय से होता आ रहा है। यह स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत फायदेमंद है, इसलिए अब दूसरे इलाकों में भी इन अनाज का काफी इस्तेमाल किया जा रहा हैै। एक्सपर्ट के मुताबिक, कोदो-कुटकी को प्रोटीन व विटामिन युक्त अनाज माना गया है। इसके सेवन से शुगर बीपी जैसे रोग में लाभ मिलता है। वहीं, कोदो एक मोटा अनाज है, जिसे अंग्रेजी में कोदो मिलेट या काउ ग्रास के नाम से जाना जाता है। कोदो के दानों को चावल के रूप में खाया जाता है और स्थानीय बोली में भगर के चावल के नाम पर इसे उपवास में भी खाया जाता है। बस्तर के आदिवासी संस्कृति व खानपान में कोदो-कुटकी रागी जैसे फसलों का महत्वपूर्ण स्थान है।

यह भी पढ़े – International Labour Day 2023: श्रम दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री की बोरे-बासी योजना, श्रमिकों के लिए सम्मान, है इसके कई लाभ….

किसानों को मिल रही बेहतर आय


छत्तीसगढ़ राज्य में किसान कोदो के प्रमाणित बीज का उत्पादन कर अच्छा खासा मुनाफा अर्जित कर रहे हैं। बीते वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, एक साल में प्रमाणित बीज उत्पादक किसानों की संख्या में लगभग 5 गुना और इससे होने वाली आय में चार गुना की वृद्धि हुई है। वहीं, राज्य के 11 जिलों के 171 कृषकों द्वारा 3089 क्विंटल प्रमाणित बीज का उत्पादन किया गया, जिसे बीज निगम ने 4150 रूपए प्रति क्विंटल की दर से किसानों से क्रय कर उन्हें एक करोड़ 28 लाख 18 हजार रूपए से अधिक की राशि भुगतान किया है। राज्य के किसानों द्वारा उत्पादित प्रमाणित बीज, सहकारी समितियों के माध्यम से बोआई के लिए प्रदान किया जा रहा है। मिली जानकारी के अनुसार, कोदो की खरीदी 30 रुपये प्रति किलो, कुटकी की खरीदी 31 रुपये और रागी की खरीदी 35.78 रुपये प्रति किलो की दर से की जा रही है। अब तक 15 हजार 889 क्विंटल कोदो, 793 क्विंटल कुटकी और 1 हजार 646 क्विंटल रागी की खरीदी की जा चुकी है। समर्थन मूल्य पर कोदो, कुटकी और रागी फसलों की खरीदी 15 फरवरी 2023 तक की गई।

प्रदेश के विभिन्न जिलों में हो रहा मिलेट्स का उत्पादन


वहीं, वन विभाग के प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ ने इस मामले में जानकारी देते हुए बताया कि, राज्य की प्राथमिक वनोपज सहकारी समितियों ने कोदो, कुटकी और एवं रागी का संग्रहण शुरू किया है। कवर्धा, राजनांदगांव और बालोद जैसे जिलों में बहुतायत में कोदो, कुटकी और रागी का उत्पादन होता है, लेकिन इन जिलों में अनुसूचित ब्लॉक नहीं हैं। ऐसे में इन क्षेत्रों के किसानों खासकर बैगा आदिवासी अपनी फसल को सही दाम पर नहीं बेच पा रहे थे, लेकिन अब उन्हें राज्य सरकार की इस जनहितकारी योजना का लाभ मिल रहा है। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्राथमिक वनोपज सहकारी समिति क्षेत्र में आने वाले समस्त गांवों में कोदो, कुटकी एवं रागी खरीदी पर किसानों को समर्थन मूल्य का फायदा मिल रहा है।

सीएसआईडीसी ने 50 प्रतिशत सब्सिडी योजना की पेश

आईआईएमआर हैदराबाद के साथ छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के प्रयास से मिलेट मिशन के अंतर्गत त्रिपक्षीय एमओयू भी हो चुका है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है। सीएसआईडीसी ने मिलेट आधारित उद्योगों को प्रोत्साहित करने के लिए कुछ चुंनिदा ब्लॉक में भूमि, संयंत्र एवं उपकरण पर 50 प्रतिशत सब्सिडी की योजना पेश की है। उम्मीद है कि पीढ़ियों से हमारे स्वाद और सेहत का खजाना रहे मिलेट्स का स्वस्थ जीवन शैली के लिए महत्व को लोग समझेंगे और एक बार फिर यह हमारी दैनिक जीवन का हिस्सा होगा।

इस योजना से महिला समूह ने पार की 3 लाख रु. महीने की आय

वहीं, छत्तीसगढ़ विधानसभा में मिलेट्स से बने व्यंजनों को बढ़ावा देने के लिए दोपहर भोज का भी आयोजन किया गया। रायगढ़ जिले के खरसिया में प्रदेश के पहले मोबाईल मिलेट कैफे ’मिलेट ऑन व्हील्स का शुभारंभ भी किया गया। इस कैफे का संचालन महिला समूह द्वारा किया जा रहा है। इसके चलते महिला समूह ने महज 8 महीनों में कैफे की मासिक आमदनी 3 लाख रु. पार कर ली। इस चलते-फिरते मिलेट कैफे में रागी का चीला, डोसा, मिलेट्स पराठा, इडली, मिलेट्स मंचूरियन, पिज्जा, कोदो की बिरयानी और कुकीज जैसे लजीज व्यंजन परोसे जाते हैं। वहीं, स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग, फूड ब्लॉगर्स और युवाओं की यह पहली पसंद बन गई है।

यह भी पढ़े – राज्य सरकार की योजना का हो रहा लाभ, तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मिल रही सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक मदद, मुश्किल वक्त पर भी संभल रहे परिवार

छत्तीसगढ़ में शुरू हुए मिलेट मिशन का मुख्य उद्देश्य, प्रदेश में मिलेट की खेती के साथ-साथ मिलेट के प्रसंस्करण को बढ़ावा देना है। इसके अतिरिक्त दैनिक आहार में मिलेट्स के उपयोग को प्रोत्साहित कर कुपोषण दूर करना है। प्रदेश में आंगनबाड़ी और मिड-डे मील में भी मिलेट्स को शामिल किया गया है। स्कूलों में बच्चों को मिड-डे मील में मिलेट्स से बनने वाले व्यंजन परोसे जा रहे है। इनमें मिलेट्स से बनी कुकीज, लड्डू और सोया चिक्की जैसे व्यंजनों को शामिल किया गया है।

Share This: