International Labour Day 2023: श्रम दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री की बोरे-बासी योजना, श्रमिकों के लिए सम्मान, है इसके कई लाभ….

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता से श्रमिक सम्मान दिवस के रूप में अपील की है। साथ ही इस दिन बोरे बासी खाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि, जब हम कहते हैं कि ‘बटकी में बासी अउ चुटकी में नून’ तो यह सिंगार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है।
छत्तीसगढ़ में 1 मई अंतर्राष्ट्रीय श्रम दिवस के दिवस के अवसर पर श्रम को सम्मान देने के लिए बोरे बासी खाकर इस दिन का उत्सव मनाया जाता है। आम बोल चाल की भाषा में इस दिन को ‘बोरे बासी तिहार’ भी कहा जाता है। इसकी शुरुवात 1 मई 2022 को सीएम बघेल ने की थी। इस दिन को छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जनता से श्रमिक सम्मान दिवस के रूप में अपील की है। साथ ही इस दिन बोरे बासी खाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि, जब हम कहते हैं कि ‘बटकी में बासी अउ चुटकी में नून’ तो यह सिंगार हमें हमारी संस्कृति से जोड़ता है। वहीं, डॉ. खूबचंद बघेल ने भी खूब कहा है, ‘गजब विटामिन भरे हुए हे छत्तीसगढ़ के बासी मा’ मुख्यमंत्री ने कहा, युवा पीढ़ी को हमारे आहार और संस्कृति के गौरव का एहसास कराना बहुत जरूरी है। एक मई को हम सब बोरे बासी के साथ आमा के अथान और गोंदली के साथ हर घर में बोरे बासी खाएं और अपनी संस्कृति और विरासत पर गर्व महसूस करें।

दरअसल छत्तीसगढ़ में मेहनतकश लोगों का मुख्य आहार बोरे-बासी है। हालांकि बोरे-बासी का सेवन समाज के हर तबके के लोग करते हैं। रात के बचे भात को पानी में डूबाकर रख देना और उसे नाश्ता के तौर पर या दोपहर के खाने के समय इसका सेवन किया जाता है। इसलिए इसे सुलभ व्यंजन भी माना गया है। विशेषकर गर्मी के मौसम में बोरे और बासी को बहुतायत लोग खाना पसंद करते हैं। बोरे-बासी पोषक तत्वों से भरपूर होने के कारण यह सेहत और स्वास्थ्य दोनों के लिए फायदेमंद है। छत्तीसगढ़ियों के जीवन में ‘बोरे-बासी’ इतना घुला-मिला है कि जब सुबह कहीं जाने की बात होती है तो बासी खाकर निकलने का जवाब मिलता है, इससे संकेत मिलता है कि व्यक्ति सुबह 8 बजे के बाद घर से निकलेगा। ‘बासी खाय के बेरा’, से पता चल जाता है कि यह लंच का समय है।

चलिए जानते हैं क्या है यह बोरे-बासी
बोरे बासी छतीसगढ़ का प्रमुख और प्रचलित व्यंजन है। बोरे बासी का मतलब होता है रात के पके चावल को रात को भिगो कर या सुबह भिगो कर खाना या सुबह के पके चावल को दोपहर में खाना। इसमें स्वादानुसार नमक मिलाया जाता है। फिर सब्जी, प्याज, आचार, पापड़, बिजौरी इत्यादि के साथ खाया जाता है। कई बार लोग केवल नमक और प्याज से बासी खाते हैं। बोरे का अर्थ है सुबह के चावल को पानी में भिगोए रखना और बासी का मतलब है रात के बचे चावल को पानी में भिगोकर रात भर रखना उसे कहते हैं बासी इसका अर्थ हो जाता है बोरे बासी। गर्मी के दिनों में बोरे बासी शरीर को ठंडा रखता है। पाचन शक्ति बढ़ाता है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। बोरे बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं।

विटामिन से भरपूर है बोरे-बासी
विटामिन बी-12 की प्रचूर मात्रा के साथ-साथ बोरे बासी में आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम की मात्रा भरपूर होती है। इसे खाने से पाचन क्रिया सही रहती है और शरीर में ठंडक रहती है। ब्लड और हाइपरटेंशन को नियंत्रित करने का भी काम करती है। गर्मी के दिनों में बोरे-बासी शरीर को ठंडा रखती है। पाचन शक्ति बढ़ाती है। त्वचा की कोमलता और वजन संतुलित करने में भी यह रामबाण है। बोरे-बासी में सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं। साथ ही बोरे -बासी त्वचा को स्वस्थ एवं शरीर में किसी भी बीमारी को दूर करने में सहायक प्रदान करता है एवं विटामिंस सी विटामिन की मात्रा सबसे ज्यादा होती है ,और इसमें बोरे बासी हमारे ही राज्य में नहीं अन्य राज्यों में एवं अमेरिका जैसे देशों में रहने वाले भारतीयों द्वारा भी खाया जाता है।
बोरे-बासी खाने के फायदे
बोरे बासी यानी बासी चावल जिसका स्वाद चावल से कई गुना बदल जाता है एवं स्वादिष्ट लगने लगता है बोरे-बासी को तैयार करने के लिए सबसे पहले चावल पकाकर उसे रात को पानी में डालकर एवं छोड़ दिया जाता है तब उसे सुबह वह चावल बासी के रूप में प्राप्त होता है और बासी एक छत्तीसगढ़ की प्रमुख व्यंजन है जिसे गर्मी के समय में पेट पूजा के लिए एवं भोजन का मुख्य व्यंजन है। वहीं, बासी खाने से होंठ नहीं फटते, पाचन तंत्र को सुधारता है। इसमें पानी भरपूर होता है, जिससे गर्मी के मौसम में ठंडक मिलती और लू से बचाता है। पानी मूत्र विसर्जन क्रिया को बढ़ाता है जिससे ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है। पथरी और मूत्र संस्थान की दूसरी बीमारियों से बचाता है। चेहरे के साथ पूरी त्वचा में चमक पैदा करता है। पानी और मांड के कारण ऐसा होता है। कब्ज, गैस और बवासीर से दूर रखता है। मोटापे से बचाता है। मांसपेशियों को ताकत देता है।
बासी में होते हैं ये पोषक तत्व
बासी में कार्बाेहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है। ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है। बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है। पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है। दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम रहता है।
बासी से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातें
छत्तीसगढ़ के लोगों में ‘बासी’ की अलग ही अहमियत है। इस समय बताने के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है। सुनने में अजीब लगे, लेकिन ये सच है। अगर सुबह कही जाना है और ‘बासी’ खाने का जिक्र होता है, तो ये दर्शाता है कि व्यक्ति 8 बजे के बाद ही घर से निकलेगा। अगर दोपहर में ‘बासी’ खाकर निकलने की बात हो, तो ये तरीका 1 बजे के बाद घर से निकलने का संकेत देता है। ‘बासी’ को छत्तीसगढ़ का एक सुलभ व्यंजन माना जाता है, क्योंकि इसे बनाना बहुत आसान है और इसका सेवन सेहत को नुकसान भी नहीं पहुंचाता।
सीएम समेत प्रशासनिक अधिकारियों ने खाया बासी

श्रमिक दिवस के अवसर पर बोरे-बासी को भोजन के रुप में शामिल करने की सीएम भूपेश बघेल की पिछले साल शुरू की गई परंपरा का अनुपालन राज्य के सभी प्रशासनिक अधिकारियों ने अनुशासित रूप से किया। छत्तीसगढ़ सीएमओ के ट्विटर हैंडल से लगातार जिला स्तरीय अधिकारियों के बासी खाते फ़ोटो ट्विट किए गए। अधिकृत रुप से ऐसा किए जाने के कोई निर्देश जारी होने की सूचना नहीं है, पिछली बार भी जबकि ऐसा हुआ तब भी आधिकारिक रूप से ऐसा हर ज़िला अधिकारी करें और तस्वीर पोस्ट करें के निर्देश जारी नहीं थे।