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BREAKING : जंतर मंतर पर पहलवानों का धरना, स्वाति मालीवाल ने दिल्ली पुलिस को भेजा नोटिस, जानिए पूरा मामला

BREAKING: Wrestlers protest at Jantar Mantar, Swati Maliwal sent notice to Delhi Police, know the whole matter

नई दिल्ली। दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने महिला पहलवानों के कथित यौन उत्पीड़न मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं करने को लेकर दिल्ली पुलिस को नोटिस भेजा है.

उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ” देश की कई महिला पहलवानों ने दो दिन पहले कनॉट प्लेस पुलिस स्टेशन में डब्ल्यूएफ़आई अध्यक्ष के ख़िलाफ़ यौन शोषण की शिकायत दी थी. एक शिकायतकर्ता नाबालिग भी है. अब तक दिल्ली पुलिस ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की, जो कि क़ानून के ख़िलाफ़ है. पुलिस को नोटिस दिया गया है और वो 48 घंटे के भीतर डीसीडब्ल्यू को जवाब दें.”

उन्होंने एक लेटर भी ट्वीट किया है, जिसमें लिखा है कि दिल्ली महिला आयोग को भारतीय कुश्ती संघ (डब्ल्यूएफआई) के अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के ख़िलाफ़ शिकायत मिली है. पहलवानों ने ‘यौन उत्पीड़न’ का आरोप लगाया है.’ इस मामले को लेकर ओलंपिक पदक विजेता पहलवान बजरंग पूनिया और साक्षी मलिक की अगुवाई में पहलवानों ने एक बार फिर बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़ जंतर मंतर पर धरना शुरू किया है.

साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट धरने पर बैठे हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ”वो बीते ढाई तीन महीने से इंसाफ़ के इंतज़ार में हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है, और अब उन्हें झूठा समझा जा रहा है.” विनेश फोगाट ने कहा, “हमारे सब्र का बांध टूट रहा है. पुलिस ने हमें जंतर मंतर पर बैठने तक की अनुमति नहीं दी है.” साक्षी मलिक ने कहा, “दो दिन पहले सीपी पुलिस थाने में सात लड़कियों ने शिकायत दी थी. इनमें से एक (लड़की) माइनर है. पोक्सो का केस बनता है.लेकिन अब तक एफ़आईआर नहीं हुई है.” उन्होंने दावा किया कि ये शिकायत ‘बृज भूषण शरण सिंह के ख़िलाफ़’ है.

पहलवानों ने पहले भी बृज भूषण शरण के खिलाफ़ शिकायत की थी लेकिन तब उन्होंने खुद पर लगे तमाम आरोपों को ख़ारिज कर दिया था. खिलाड़ियों के आरोपों के बाद खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने एमसी मेरी कॉम की अगुवाई में जाँच के लिए निगरानी समिति का गठन किया था. इस समिति में बबीता फोगाट और योगेश्वर दत्त को शामिल किया गया था. इस दौरान समिति को मंत्रालय ने कुश्ती संघ के रोज़मर्रा के काम को देखने की भी ज़िम्मेदारी दी थी और बृज भूषण शरण सिंह को इससे अलग रखा गया था.

 

 

 

 

 

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