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*तिरछी नजर 👀 : खलबली मचाएंगे साय… ✒️✒️*

दिग्गज नेता नंद कुमार साय के कांग्रेस प्रवेश के बाद से भाजपा में खलबली मची हुई है। पार्टी ने रणनीति के तहत प्रदेश के सभी नेताओं को नंद कुमार साय के प्रति नरम रूख अख्तियार अपनाने कहा है। यही वजह है कि भाजपा नेताओं ने नंद कुमार साय पर व्यक्तिगत हमले अब तक परहेज किया है।
बताते हैं कि खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने साय से बात करने की कोशिश की थी लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। चर्चा है कि साय इस्तीफा देने के बाद बस्तर सांसद के साथ रहे, लेकिन पार्टी नेता उन्हें बंगले के अलावा होटल-रिसार्ट, और सर्किट हाउस में तलाशते रहे।
दूसरी तरफ,भाजपा के बड़ी संख्या में नेता, और कार्यकर्ता गुटबाजी से परेशान हो चुके हैं लेकिन प्रभारी और संगठन के बड़े पदाधिकारी किसी तरह असंतोष दबाने में लगे हैं।इससे परे भाजपा के असंतुष्ट खेमे की साय के साथ भेंट मुलाकात चल रही है। चर्चा है कि कर्नाटक चुनाव नतीजे के बाद पार्टी में उठा पटक तेज हो सकती है। नंदकुमार साय भी देशभर के गुटीय राजनीति के शिकार उपेक्षित भाजपाईयों को एक मंच पर लाने की योजना बना रहे हैं। संकेत साफ़ है कि आने वाले दिनों में साय भाजपा में खलबली मचाएंगे।

ऑफिस से फाइल गुम..

ईडी के प्रारंभिक छापे के बाद एक विभाग का 6 महीने की फाइल ही गायब हो गई है। यह फाइल कैसे गायब हो गई ,इस कहानी का खुलासा आगामी दिनों हो सकता है। इस विभाग के बड़े अफसर जेल में हैं। इस अफसर ने पदस्थापना के समय कुछ जगहों पर जांच करवाई थी। इस जांच की रिपोर्ट ही विभाग को नहीं मिल रही है। इस विभाग की जिम्मेदार महिला अफसर भारी घबराई हुई है।जांच संबंधित फाइल गायब होने से मंत्री भी परेशान है। ईडी के पूछताछ के बाद यह मामला विभाग के लिए गंभीर होता जा रहा है। कई बड़े व्यापारियों को विभाग ने जांच पड़ताल के बाद नरम रूख अपनाते हुए छोड़ दिया था। अब जांच की चर्चा से ही विभाग में सन्नाटा है।

मंत्री बीमार, काम प्रभावित

छत्तीसगढ़ सरकार के एक नौजवान मंत्री की तबीयत पिछले कुछ दिनों से खराब चल रही है। मंत्री के इलाज के चलते विभाग में कामकाज प्रभावित हो रहा है अफसर अपनी चला रहे है। कई जिलों में विवाद खड़ा हो गया है। इस युवा मंत्री के तबीयत खराब के बाद पिछले दिनों इलाज के लिए राज्य के बाहर ले जाया गया था। मंत्री के स्वास्थ्य खराब होने के कारण विधानसभा क्षेत्र का ध्यान भी नहीं दे पा रहे है। नई खबर यह है कि मंत्रीजी के बीमारी को चिकित्सक भी ठीक से पकड़ नहीं पा रहे हैं।

मास्टर प्लान का क्या..

राजधानी रायपुर का मास्टर प्लान का अंतिम प्रकाशन 30 अप्रैल तक नियमानुसार हो जाना चाहिए था। आम जनता प्रमुख संगठनों ने अपनी सहमति दे दी थी। नये मास्टर प्लान में रायपुर शहर का बहुत अधिक विस्तार कर बड़े-बड़े सपने दिखाये गए हैं। इसके बावजूद कुछ बिल्डर, भू माफिया और नेताओं के जमीन के मामले छूटने के कारण राज्य सरकार को अभी तक प्रस्ताव नहीं भेजा गया है। रायपुर जिला टाऊन कंट्री प्लानिंग ऑफिस व संचालनालय और मंत्री बंगले के इर्द-गिर्द कई महीनों से मास्टर प्लान की फाइलें घूम रहीं है। नीले पीले,और हरा करने के इस खेल को समझने वाले हिसाब-किताब के उलझन में फंस गये हैं।

पद छोड़ने तैयार

भूपेश सरकार ने निगम-मंडलों में थोक में नियुक्तियां की। ज्यादातर पद पाने वाले खुश भी हैं। मगर कई ऐसे असंतुष्ट भी हैं जिन्होंने अब तक पदभार ग्रहण नहीं किया। इससे परे एक संस्थान के अध्यक्ष तो पद छोडऩा भी चाहते हैं। उन्होंने दाऊजी को अपनी भावनाओं से अवगत भी करा दिया है कि उन्हें संगठन में कोई दायित्व दे दिया जाए।
बताते हैं कि ऐसा नहीं है कि मुखिया को पद पसंद नहीं है। काम भी उनके इंटरेस्ट का है। लेकिन वहां एक और पदाधिकारी से काफी तंग है। पदाधिकारी ने अध्यक्ष को इतना तंग कर रखा है कि वो बैठकों से परहेज करने लगे हैं। एक मौका तो ऐसा आया कि विवादों की वजह से संस्थान के दफ्तर में गणतंत्र दिवस पर झंडा रोहण तक नहीं हो सका। फिलहाल तो उन्हें काम करते रहने कहा गया है

डीजीपी बने रहेंगे जुनेजा

डीजीपी अशोक जुनेजा पद पर बने रहेंगे। वैसे उनका अगले माह रिटायरमेंट है। सरकार चाहे तो नियत अवधि दो साल तक पद पर रख सकती है। ऐसे में उन्हें डीजीपी बनाए रखने में कोई तकनीकी अड़चन नहीं है।
बताते हैं कि जुनेजा के विकल्प पर भी विचार किया गया। जुनेजा के नीचे राजेश मिश्रा हैं, जो कि सरगुजा आईजी रह चुके हैं। दुर्ग, और रायगढ़ एसपी रहे हैं। वर्तमान में स्पेशल डीजी हैं। मगर चुनावी साल में सरकार उन्हें लेकर कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है।
कम से कम ऐसा लग रहा है। राजेश मिश्रा से ठीक नीचे पवन देव हैं जो कि महिला आरक्षक से उत्पीडऩ केस को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। ऐसे में उनकी संभावना तकरीबन नहीं के बराबर है। कुल मिलाकर जुनेजा के हटने के आसार नहीं हैं।
सरगुजा आईजी के पद पर नई पोस्टिंग हो सकती है। वर्तमान में रामगोपाल गर्ग आईजी के प्रभार पर हैं। चुनावी साल में पूर्णकालिक आईजी होना जरूरी है। एडीजी से एसपी स्तर के अफसरों के प्रभार बदले जाएंगे। इसमें कम से कम एक दर्जन आईपीएस प्रभावित हो सकते हैं। सूची जल्द जारी होने के संकेत हैं।
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