NO KINGS PROTEST AMERICA : लाखों लोग सड़कों पर उतरे, ट्रंप की नीतियों के खिलाफ सबसे बड़ा आंदोलन …

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NO KINGS PROTEST AMERICA : Millions took to the streets, the biggest protest against Trump’s policies…

वॉशिंगटन। अमेरिका में शनिवार को लाखों लोगों ने एक साथ सड़कों पर उतरकर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के खिलाफ ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। ‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ नाम से हुआ यह आंदोलन देशभर में आयोजित अब तक का सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन माना जा रहा है।

अमेरिकी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सभी 50 राज्यों में करीब 2,500 से अधिक कार्यक्रम आयोजित हुए। वॉशिंगटन डीसी, न्यूयॉर्क, लॉस एंजेलिस, अटलांटा और शिकागो जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक में भारी भीड़ उमड़ी। प्रदर्शनकारियों ने लोकतंत्र की रक्षा और तानाशाही के खिलाफ नारे लगाए।

“नो किंग्स” के नारों से गूंजे अमेरिकी शहर

अटलांटा में प्रदर्शनकारियों ने सिविक सेंटर से जॉर्जिया स्टेट कैपिटल तक मार्च किया और “नो किंग्स” के नारे लगाए। लॉस एंजेलिस में सबसे बड़ी भीड़ देखने को मिली, जहां प्रवासी समुदायों ने अमेरिकी और मैक्सिकन झंडे लहराकर ट्रंप की आव्रजन नीतियों का विरोध किया।

यह प्रदर्शन उस वक्त हुआ जब वॉशिंगटन में सरकारी शटडाउन और बजट को लेकर गतिरोध जारी है। डेमोक्रेटिक नेताओं ने आंदोलन का समर्थन किया, जबकि रिपब्लिकन नेताओं ने इसे ‘राष्ट्रविरोधी’ बताया।

विपक्षी नेताओं का समर्थन और शांति की अपील

कैलिफ़ोर्निया के गवर्नर गैविन न्यूसम ने ट्वीट किया, “कैलिफोर्निया के लोग राष्ट्रपति की तानाशाही प्रवृत्तियों के खिलाफ सड़कों पर हैं। मैं सभी से अपील करता हूं, शांतिपूर्ण रहें, हमारी ताकत एकता और शांति में है।”

सीनेट माइनॉरिटी लीडर चक शूमर ने न्यूयॉर्क की रैली में कहा, “अमेरिका में कोई राजा नहीं होगा। जनता ही शासन करेगी।”वहीं बर्नी सैंडर्स ने देशभर के प्रदर्शनकारियों को धन्यवाद देते हुए कहा, “छोटे कस्बों से बड़े शहरों तक आज अमेरिका ने एकजुट होकर कहा यहां कोई राजा नहीं चलेगा।”

शांतिपूर्ण रहा प्रदर्शन

न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने बताया कि पूरे दिन रैलियां शांतिपूर्ण रहीं। पांचों बरो में करीब 1 लाख लोग सड़कों पर उतरे, लेकिन किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया। पुलिस ने कहा, “यह लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति का शांतिपूर्ण उदाहरण रहा।”

‘नो किंग्स प्रोटेस्ट’ अब सिर्फ ट्रंप के खिलाफ प्रदर्शन नहीं, बल्कि अमेरिका में लोकतंत्र बनाम तानाशाही की नई बहस का प्रतीक बन चुका है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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