
Effect and picture changed from meeting
रायपुर। छत्तीसगढ़ की जमीनी राजनीति की तासीर और तस्वीर बदल चुकी है। छत्तीसगढ़िया संस्कृति, संस्कार और स्वाभिमान के बिना राजनीति की कल्पना अब बेमानी लगती है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने यह संभव बनाने के लिए एक साल तक गांव-गलियों की खाक छानी है। अपने लोकप्रिय ‘भेंट-मुलाकात’ कार्यक्रम के जरिए वह जनता से जनता की भाषा में सीधा संवाद करते हैं। ना कोई बिचौलिया होता है और ना ही नौकरशाही का रोड़ा। जब वे सौगातों की झड़ी लगाते हैं तो लोकतंत्र के जरिये बदलाव की तस्वीर साफ नजर आती है।
गुरुवार को भेंट मुलाकात कार्यक्रम के एक साल पूरे हो गए। इस दौरान मुख्यमंत्री ने प्रदेश के 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 80 का दौरा पूरा कर लिया। साथ ही जनता की समस्याओं से रूबरू हुए। कहीं उन्होंने पंचायत को नगर पंचायत बनाया तो कहीं स्थानीय निकायों को अपग्रेड करने का ऐलान किया। नौकरी, इलाज, मकान, राशन से लेकर तमाम दैनंदिनी समस्याओं की नब्ज पर उन्होंने हाथ रखा और उसका निराकरण किया। मुख्यमंत्री बघेल ने 800 से ज्यादा घोषणायें की हैं, जिन पर अमल किया जा रहा है। खास बात यह रही कि उन्होंने छत्तीसगढ़ की राजनीति की दशा और दिशा बदल दी। असल में वह जब भी किसी विधानसभा क्षेत्र के दौरे पर जाते हैं तो क्षेत्र के प्रमुख मंदिरों में पूजापाठ और गरीब किसान के घर भोजन करते हैं। सरकारी योजना के जरिए जन-जन को सीधा लाभ पहुंचाने के निर्देश भी देते हैं। अफसरों और समाज प्रमुखों की बैठक लेकर जमीनी स्तर पर हो रहे बदलाव पर बात करते हैं। अधिकांश स्थानों पर उन्होंने रात्रि विश्राम भी किया, जिसके जरिए उन्होंने सरकार की जमीनी स्थिति का आकलन किया। खास बात यह रही की सरकारी मशीनरी के अलावा उनकी अपनी एक टीम भी उनके साथ साथ चलती है, जो संबंधित विधानसभा क्षेत्र के बारे में मुख्यमंत्री को फीडबैक उपलब्ध कराती है। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि यह पूरी कवायद प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त रखने के साथ-साथ अपने राजनीतिक शत्रुओं को निःशस्त्र करने की रणनीति है।
