CHHATTISGARH : जेल से रिहाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में एंट्री बैन! जानिए इन अफसरों पर क्यों लगी ये सख्त शर्त ..

CHHATTISGARH : Released from jail, but entry banned in Chhattisgarh! Know why these strict conditions were imposed on these officers..
रायपुर। CHHATTISGARH छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला और डीएमएफ घोटाले में फंसे 6 आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने शुक्रवार को इन आरोपियों को सशर्त अंतरिम जमानत दी है, जिसके बाद सौम्या चौरसिया, निलंबित IAS रानू साहू और IAS समीर बिश्नोई समेत सभी 6 आरोपी रायपुर केंद्रीय जेल से रिहा हो गए। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि जमानत पर रिहा होने के बाद सभी आरोपी अब छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकेंगे। करीब दो साल बाद जेल से बाहर आए इन आरोपियों के चेहरे पर राहत के भाव दिखे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की सख्त शर्तों के कारण उन्हें अपने गृह राज्य से दूर रहना होगा।
क्या है कोयला घोटाला मामला?
CHHATTISGARH कोयला घोटाले की जांच कर रही ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में कोयला परिवहन और परमिट प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर 570 करोड़ रुपये से ज्यादा का घोटाला किया गया।
जांच में सामने आया कि तत्कालीन खनिज संचालक समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को ऑनलाइन परमिट प्रक्रिया को ऑफलाइन करने का आदेश जारी किया, जिसके बाद कोयला व्यापारियों से अवैध वसूली की गई।
व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को इस घोटाले का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है।
36 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज है, जिनमें आईएएस अफसर, व्यापारी और दलाल शामिल हैं।
कोयला घोटाले के मुख्य आरोपी
CHHATTISGARH सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर बिश्नोई, सूर्यकांत तिवारी, संदीप नायक, लक्ष्मीकांत, शिवशंकर नाग, मोइनुद्दीन कुरैशी, रोशन सिंह, निखिल चंद्राकर, परेश कुर्रे, राहुल कुमार, वीरेंद्र जायसवाल, हेमंत जायसवाल और चंद्रप्रकाश जायसवाल।
DMF घोटाले में भी बड़ा घपला
ईडी और EOW की जांच में सामने आया कि डीएमएफ फंड के ठेकों में भी बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुईं। ठेके के बदले अधिकारियों और नेताओं को 25 से 40 प्रतिशत तक कमीशन दिया गया। जांच के दौरान 76.50 लाख रुपये नकद, 8 बैंक खातों में 35 लाख रुपये, कई फर्जी दस्तावेज और डिजिटल डिवाइस भी जब्त किए गए हैं।
जमानत की शर्तें
CHHATTISGARH सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपियों को जमानत तो दे दी, लेकिन सख्त शर्तों के साथ। अदालत ने कहा कि आरोपी छत्तीसगढ़ में नहीं रह सकते और जांच में सहयोग करना होगा। अगर जांच में सहयोग नहीं किया गया तो जमानत रद्द की जा सकती है।
अब आगे क्या?
ED और EOW की जांच अब भी जारी है। आरोपियों के छत्तीसगढ़ से बाहर रहने के आदेश के बाद अब जांच एजेंसियां इनसे पूछताछ और सबूतों की तलाश में जुटी रहेंगी।