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किसी नेता, अधिकारी का रिश्तेदार होना उसकी अयोग्यता नहीं हो जाती : कांग्रेस

भाजपा का पीएससी के नतीजो पर सवाल खड़ा करने का कोई तार्किक आधार नहीं है

रायपुर। छत्तीसगढ प्रदेश कांग्रेस कमेटी संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने भाजपा के आरोप पर पलटवार करते हुए कहा है कि किसी नेता, अधिकारी का रिश्तेदार होना उसकी अयोग्यता नहीं हो जाती। उनका कहना था कि भाजपा को आपत्ति है कि कैसे सगे भाई- बहेन पति पत्नि और अधिकाराीयों के बच्चे चयनित हो गए जबकि भाजपा शासन काल में भी अधिकारी नेता के बच्चे चयनित हुए थे कांग्रेस एक सूची जारी कर अपनी बातों का प्रमाण पेश कर रही है।
पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुये कहा कि छत्तीसगढ़ लोकसेवा आयोग के परीक्षा परिणाम आए है। दुर्भाग्य से भाजपा अपनी निम्नस्तरीय राजनीति के लिये इन बच्चों की योग्यता पर सवाल खड़ा कर रही हम इसकी कड़ी निंदा भी करते है।
उन्होंने कहा कि यह बेहद ही दुर्भाग्यजनक है कि मुद्दाविहीन भारतीय जनता पार्टी विशेष तौर पर इस प्रदेश के 15 साल तक मुख्यमंत्री रहा व्यक्ति राज्य लोकसेवा आयोग की चयनित सूची पर सवाल खड़ा कर रहा है। भारतीय जनता पार्टी और डॉ. रमन सिंह बेहद ही गैर जिम्मेदाराना आरोप लगा रहे कि पीएससी में, नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चों के कुछ नाम चयनित हो गये है। रमन सिंह और भाजपा को आपत्ति है कि पीएससी में सगे भाई-बहन, पति-पत्नी का चयन कैसे हो गया? भाजपा के पीएससी के नतीजों पर सवाल खड़ा करने का कोई भी तार्किक आधार नहीं है। क्यों और कैसे पर सवाल खड़ा करके भाजपा प्रदेश के युवाओं के सपनों को पंख लगाने वाली संस्था राज्य लोक सेवा आयोग की विश्वसनीयता को संदिग्ध बना कर युवाओं की भावनाओं पर ठेस पहुंचा रहे है। सुशील शुक्ला ने कहा कि भाजपा को आपत्ति है कि कैसे सगे भाई-बहन, पति-पत्नी, अधिकारियों के बच्चें चयनित हो गये? मैं आपके समक्ष एक सूची सामने रख रहा हूं जो भाजपा के शासनकाल में चयनित हुये थे। हम इन अभ्यर्थियों की योग्यता पर सवाल नहीं खड़ा कर रहे और न ही उनके चयन में भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे, एक राजनैतिक दल के रूप में हम अपनी राजनैतिक जवाबदारी को समझते है। हमारा यह सूची जारी करने का आशय इतना मात्र है कि पहले भी नेताओं, अधिकारियों, व्यवसायियों के बच्चों को प्रशासनिक सेवा में चयन होते रहा है लेकिन किसी का किसे नेता अधिकारी का रिश्तेदार होना उसकी अयोग्यता नहीं हो जाती है। आंसरशीट जारी हो गई है, पब्लिक डोमेन में है। सबके रिटन नंबर और इंटरव्यू नंबर ओपेन है, कोई भी पढ़ा लिखा व्यक्ति विश्लेषण कर सकता है। लेकिन दुर्भाग्य है लोग अपने राजनैतिक एजेंडे को पूरा करने मेहनती प्रतिभावन बच्चों की योग्यता पर सवाल खड़ा कर रहे। मैं आपके समक्ष इस वर्ष चयनित 21420 अभ्यर्थियों की सूची भी प्रस्तुत कर रहा हूं जिसमें साफ है कि अभ्यर्थियों के इंटरव्यू में कितने नंबर मिले, लिखित में कितने नंबर मिले। उन्होंने कहा कि रमन सिंह अपने पन्द्रह साल के कार्यकाल में पीएससी की बिना विवाद के पन्द्रह परीक्षाएं आयोजित नही करवा पाये वो आज कौन से मुंह से युवाओं के भविष्य की बात करते है? रमन सिंह के पिछले डेढ़ दशक के कार्यकाल में छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल भ्रष्टाचार और अनियमितता का अड्डा बन चुका था। प्रदेश की जनता अभी भूली नही है पीएमटी परीक्षा के प्रश्न पत्र रमन राज में 2011 में बाजारों में बिके थे।
भाजपा का नेता मुंगेली में पीएमटी परीक्षा में सामूहिक नकल करवाते पकड़ाया था। देश के किसी भी व्यवसायिक परीक्षा मंडल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक ही परीक्षा को एक वर्ष में चार बार करने की नौबत आयी हो। छत्तीसगढ़ में तो तीन बार परीक्षायें उसी परीक्षा नियंत्रक के देख-रेख में आयोजित की गयी जो प्रथम दृष्टया दो बार परीक्षा की गड़बड़ी के लिये दोषी था।

उन्होंने सवाल किया कि व्यावसायिक परीक्षा मंडल में तत्कालीन नियंत्रक वी.पी. त्रिपाठी की नियुक्ति किसके इशारे पर की गयी? त्रिपाठी की नियुक्ति के लिये जो नोटशीट सरकारी महकमे में चली थी उसमें तत्कालीन मुख्य सचिव शिवराज सिंह के द्वारा त्रिपाठी के खिलाफ प्रतिकूल टिप्पणी किये जाने तथा उसकी नियुक्ति किये जाने को अनुचित बताये जाने के बाद भी मुख्यमंत्री ने क्यों त्रिपाठी की नियुक्ति का अनुमोदन किया था? तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक वी.पी.त्रिपाठी को रविशंकर विश्वविद्यालय के द्वारा ब्लेक लिस्टेड घोषित किया गया था उसे रविशंकर विश्वविद्यालय द्वारा गोपनीय कार्यो से अलग रखा गया था ऐसे दागी अधिकारी को व्यवसायिक परीक्षा मंडल का नियंत्रक बनाया था।

छत्तीसगढ़ व्यवसायिक परीक्षा मंडल के अध्यक्ष रहे एक पूर्व वरिष्ठ अधिकारी को उनके कार्यकाल में प्रदेश के वरिष्ठ प्रभावशाली नेता के परिजनों द्वारा 25 छात्रों की सूची पी.एम.टी. में चयन के लिये दी गयी थी। उन्हांने यह कृत्य करने से मना कर दिया तो सेवानिवृत्त होने के बाद उस अधिकारी के जायज देयकों को रोक दिया गया। पीएमटी परीक्षा की गड़बडिय़ों के तार तत्कालीन सत्ता शीर्ष के करीबियों तक जब जुडऩे लगे तो अपनो को बचाने इस कांड की जांच को बंद करवा दिया गया, दोषियों को भी बख्श दिया गया था। बच्चों पर केस बना दिया गया लेकिन दोषी अधिकारी, कर्मचारी और पर्दे के पीछे सारा खेल-खेलने वाले रसूखदारों पर कोई कार्यवाही नहीं की गयी थी। जो लोग पहले भ्रष्टाचार करते थे वे आज पारदर्शी चयन पर सवाल खड़ा कर रहे है।

पत्रकार वार्ता में महामंत्री चंद्रशेखर शुक्ला, प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर, सुरेन्द्र वर्मा, अजय गंगवानी उपस्थित थे।

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