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टाकीज ही नहीं, मल्टीप्लेक्स के ताले भी बंद रहेंगे, नई फिल्म की प्रतीक्षा

  • बड़े पर्दे पर फिल्माें का मजा लेने के लिए अभी दर्शकों को करना हाेगा थाेड़़ा और इंतजार

रायपुर : बड़े पर्दे पर फिल्माें का मजा लेने के लिए अभी दर्शकों को थाेड़़ा और इंतजार करना हाेगा। भले प्रदेश सरकार ने राजधानी रायपुर के साथ कई जिलों में मल्टीप्लेक्स और टॉकीजें खोलने का आदेश जारी कर दिया है, पर राजधानी रायपुर के साथ दूसरे शहरों में भी नई फिल्में आने पर ही मल्टीप्लेक्स खोलने का फैसला किया गया है। टॉकीज संचालक पहले ही इस संदर्भ में निर्णय ले चुके हैं। अब मल्टीप्लेक्स संचालकों का साफ कहना है, पुरानी फिल्मों से मेंटेनेंस का भी खर्च नहीं निकल सकेगा, ऐसे में अभी मल्टीप्लेक्स खोलना घाटे का सौदा है। कोरोना के कहर के चलते पहली और दूसरी लहर में सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाला सेक्टर टॉकीज और मल्टीप्लेक्स का रहा है। यह सेक्टर 15 माह में मुश्किल से चार माह ही खुल पाया है। इन चार माह में भी जहां तक कमाई का सवाल है तो कमाई फूटी-कौड़ी नहीं हो सकी है। ऐसे में अब टॉकीजों के बाद मल्टीप्लेक्स के संचालकों ने भी फैसला कर लिया है कि जब तक नई फिल्में नहीं आती हैं, किसी भी शहर में मल्टीप्लेक्स शुरू नहीं किए जाएंगे। यह माना जा रहा है कि कम से एक से डेढ़ माह का समय लगेगा नई फिल्मों को आने में। इस माह किसी नई फिल्म के आने की संभावना नहीं है। अगस्त में नई फिल्में आने पर मल्टीप्लेक्स और टॉकीजें खुलेंगी।

टाला फैसला

राजधानी रायपुर में ही सबसे ज्यादा मल्टीफ्लेक्स हैं। प्रदेश सरकार का आदेश आने के बाद इनको तत्काल नहीं खोला गया। पीवीआर से जुडे अधिकारियों ने कहा था,यह देखा जा रहा है कि कोई हॉलीवुड की फिल्म आ रही है क्या, या फिर ऐसी कौन सी पुरानी फिल्में हैं, जिनसे ज्यादा कमाई हो सकती है। अगर हॉलीवुड की कोई फिल्म आ जाएगी तो मल्टीप्लेक्स खुल जाएंगे, लेकिन कोई फिल्म न आने पर इनको खोलने का फैसला आगे भी बढ़ाया जा सकता है। अंतत: किसी भी फिल्म के न आने पर अब संचालकों ने पुरानी फिल्मों के साथ मल्टीप्लेक्स न खोलने का फैसला किया है। इन फिल्मों से मेंटेनेंस और स्टॉफ का वेतन निकलना संभव नहीं है।

इतना होता है कारोबार

प्रदेश में जो सवा सौ स्क्रीन हैं, उसमें हर स्क्रीन में हर माह 10 से 40 लाख तक का कारोबार होता है, जिस माह बड़े स्टार्स की फिल्में लगती हैं, उस दौरान यह कारोबार एक स्क्रीन का 25 लाख से एक करोड़ तक हो जाता है। जहां तक टाॅकीजों की बात है, यहां टिकटों का रेट कम होने के कारण इसमें हर माह 10 से 12 लाख का कारोबार होता है।

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