विवेकानंद एयरपोर्ट, स्टील प्लांट के लिए राज्य ने जमीन दी थी, केन्द्र को बेचने का हक कैसे- अजय माकन

रायपुर। पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन ने मोदी सरकार के रेल्वे-एयरपोर्ट के मोनेटाइजेशन के फैसले का कड़ा विरोध किया है। उन्होंने कहा कि जनता की कमाई से बनी संपत्तियों का मेगासेल लगाया गया है। और इससे रोजगार, और सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है। यह सब चंद उद्योगपति मित्रों के फायदे के लिए किया जा रहा है। स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट, और यहां के स्टील प्लांट का उदाहरण देकर माकन ने कहा कि कंपनियों के लिए राज्य सरकार ने जमीन उपलब्ध कराई थी, लेकिन राज्य सरकार से बिना पूछे मेगासेल लगाने का क्या हक है? उन्होंने कहा कि कांग्रेस इसका हर स्तर पर विरोध करेगी।
माकन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि जनता की कमाई से बनी संपत्तियों की मेगा डिस्काउंट सेल लगाई मोदी सरकार ने गुप्ता निर्णय और अचानक घोषणा से सरकार की नीयत पर संदेह बढ़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने विकास के नाम पर दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया, एक का नाम है डीमोनेटाइजेशन (विमुद्रीकरण) और दूसरे का मोनेटाइजेशन (मुद्रीकरण) दोनों का व्यवहार एक जैसा है ।
माकन ने कहा कि डीमोनेटाइजेशन से देश के गरीबों, छोटे कारोबारियों को लूटा गया। मोनेटाइजेशन से देश की विरासत को लूटा जा रहा है , और दोनों ही चंद पूंजिपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किया गया काम है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार जनता की कमाई से पिछले 60 साल में बनाए गए सार्वजनिक उपक्रमों को किराए के भाव पर बेचने पर आमादा है।
उन्होंने कहा कि सबसे चौंकाने वाली और संदेह में डालने वाली बात यह है कि यह सभी कुछ गुपचुप तरीके से तय किया गया। इसके बाद इस निर्णय की घोषणा भी अचानक से की गई। जिससे सरकार की नीयत पर शक गहराता है। ढांचागत आधार सृजन का तुलनात्मक अवलोकन एनडीए की तुलना अगर यूरीए से ढांचागत आधार के सृजन को लेकर की जाए तो यूपीए के मुकाबले एनडीए का रिकॉर्ड काफी खराब है । पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर जो भी भाषण दिए हैं , उनका मुख्य केंद्र मुख्य रूप से ढांचागत आधार ही रहा है । लेकिन एनडीए सरकार की इस बिंदु पर अगर यूपीए से तुलना की जाए तो एनडीए का रिकॉर्ड खराब है।
माकन ने कहा कि 12 वीं योजना योजना काल के दौरान ढांचागत आधार में निवेश को 36 लाख करोड़ रुपए समग्रित पर आंका गया यह जीडीपी का 5.8 प्रतिशत औसत है। वित्तीय वर्ष 2018 और 2019 में यह अनुमान 10 लाख करोड़ पर आ गया । 12 यी योजना काल जो 2012 से 2017 के बीच था। उस दौरान औसतन 7.20 लाख करोड़ सालाना ढांचागत आधार पर निवेश किया जा रहा था। यह एनडीए शासन काल में 5 लाख करोड़ रुपए पर आ गया है। इससे सभी लोगों की उस शंका को बल मिलता है कि सरकार का मुख्य मुद्दा ढांचागत आधार को बेहतर करना नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य कुछ चुनिंदा उद्योगपति दोस्तों को उनके कारोबार और व्यापार में एकाधिकार का अवसर प्रदान करना है।
माकन ने यह भी कहा कि बाजार में चुनिदा कंपनियों की मनमर्जी कायम हो जाएगी। सरकार भले कहती रहेगी की निगरानी के सी तरह के उपाय है। उसके लिए नियामक संस्थाएं है लेकिन सच इसके विपरीत है, यह हम सीमेंट के क्षेत्र में देख सकते हैं। जहां पर दो तीन कंपनियों का एकाधिकार है। वही बाजार में भाव को तय करते हैं। सरकार के तमाम नियामक प्राधिकरण और मंत्रालय उनके सामने असहाय नजर आते हैं। इससे विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य निर्धारण और गठजोड़ बढ़ेगा। इस तरह की स्थिति इंग्लैंड बैंकिंग क्षेत्र में देख चुका है। इस मामले में हम अमेरिका से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं, जो फेसबुक, गूगल और अमेजॉन जैसी संस्थाओं पर नियंत्रण के लिए विभिन्न तरह के नियम और कानून बना रहा है, इसमें उनकी संसद और सभी नेता एक साथ नजर आते हैं , इसकी वजह यह है कि इन कंपनियों का बाजार पर यहां एकाधिकार है।
उन्होंने बताया कि अत्याधिक कम मूल्य पर सरकार ने 12 मंत्रालयों के 20 परिसंपत्तियों का वर्गीकरण करते हुए इन्हें निजी क्षेत्र को सौपने के लिए चिन्हित किया है। इनका सांकेतिक मौद्रिक मूल्य सरकार ने 6 लाख करोड़ रुपए दर्शाया है, इन परिसंपत्तियों के निर्माण में पिछले 70 साल के दौरान अभूतपूर्व मेहनत, बुद्धि और निवेश लगाया गया है। यह सभी परिसंपत्तियों अमूल्य है, लेकिन इन सभी परिसंपत्तियों को कौडिय़ों के भाव देने की तैयारी की जा रही है , जिसे इन परिसंपत्तियों का मूल्य कभी नहीं माना जा सकता है ।