बाल-बाल बचे उमेश पटेल
छत्तीसगढ़ में हेलिकाप्टर हादसे के बाद भीतर ही भीतर कागज निकलवाने का खेल चल रहा है। चर्चा है कि रमन सरकार में विमानन में प्रमुख पदों पर रहे लोगों से जुड़े दस्तावेज खंगाले जा रहे हैं ।
बताते हैं कि भूपेश सरकार ने भारी भरकम सरकारी कर्ज और कमीशन खाेरी के विवाद से बचने के लिए दो दशक पुराने विमान व हेलिकाप्टर को ही दौड़ाने का फैसला लिया।
ऐसी एक घटना पिछले साल घटी । तब उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल जशपुर दौरे पर विमान से गए थे । लौटते वक्त रनवे में विमान कोई चीज विमान से टकरा गई। थोड़ी देर के लिए विमान में बैठे लोगों में घबराहट मच गई ।
इसके बाद भी पायलट विमान उड़ाकर रायपुर ले आए। पायलट ने किसी को सूचना नहीं दी । घटना के कुछ दिन बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इसकी भनक लगी तो सम्पूर्ण मामले की गुपचुप जांच कराई। घटना सही पाये जाने के बाद पायलट को नौकरी से निकाल दिया गया । और इसकी विस्तार से जांच कराई गई तो कई चौंकाने वाली जानकारी बाहर आई। जांच रिपोर्ट केन्द्रीय विमानन प्राधिकरण को भी भेजा गया। प्राधिकरण ने क्या कुछ किया,यह जानकारी सामने नहीं आ पाई है। बताते हैं कि विमानन में नियुक्ति तक में भारी हेराफेरी हुई है । शिकायत होने के बाद रिपोर्ट रहस्यमय तरीके से दबा दी गई।
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बाबा के इलाके गुपचुप मुलाकात
मुख्यमंत्री के सरगुजा संभाग भेंट मुलाकात से कई बातें सामने आ गई है।
1. सरगुजा के इतिहास में पहली बार आदिवासी समाज एकजुट होकर मुख्यमंत्री से मिला। अपनी भावनाओं से अवगत कराया। 17 समाज प्रमुखों के साथ मुख्यमंत्री की मुलाकात के दौरान आदिवासी मंत्री और विधायक व संगठन के नेताओं को दूर रखा गया था। समाज प्रमुख से सीधे भेंट मुलाकात से गदगद थे । उनकी कई मांगे मान ली गई है और कुछ मांगों पर आगामी दिनों चर्चा होगी। गहिरा गुरू के अनुयायियों,और आदिवासी शहीदों को याद किया गया ।
2. मुख्यमंत्री व आदिवासी समाज के प्रमुख लोगों के बीच भेंट मुलाकात को कांग्रेसी स्टाईल में नहीं कराकर संघ के तरीके से गुपचुप कराई गई। क्षेत्र के लाल, ललुवों का झोला पकड़कर नहीं घुमने की सलाह दी गई। क्षेत्र के आदिवासी सांसद रामविचार नेताम भी खिलाड़ी की तरह सक्रिय रहे।
3. सरगुजा संभाग के दौरे से स्वास्थ्य मंत्री टी.एस. बाबा अनुपस्थित रहे, उनके क्षेत्र में कोई कार्यक्रम भी नहीं हुआ। स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्यमंत्री से अनुरोध किया था कि उनके विधानसभा क्षेत्र में दौरा कार्यक्रम बाद में बना लीजिएगा। दोनों की सहमति के बाद कार्यक्रम को लेकर विवाद नहीं उठा।
4. सरगुजा संभाग के दौरे पर प्रदेश भर के जिलाधीश, पुलिस अधीक्षक व सभी विभाग के प्रमुख लोगों की निगाह रही। पल-पल की जानकारी दूसरे जिले के अधिकारी लेते रहे और उसी तरीके से काम भी शुरू कर दिए हैं।
चाकलेटी अफसर
फिल्मी दुनिया में इन दिनों दक्षिण के ही हीरो खूब चल रहे हैं। पटकथा अच्छी होने के कारण फिल्म हिन्दी में डबिंग होकर बाक्स ऑफिस पर तहलका मचा रही है। यही हाल छत्तीसगढ़ सरकार में भी हैं। रमन राज में दक्षिण के आईएफएस अफसर मलाईदार जगहों पर जमे रहे ।यहां के अफसरों को भी हिन्दी ठीक से नहीं आती। आम जनता की भाषा को समझते भी नहीं है, पर राजनेताओं के साथ उनकी पटकथा जम रही है। भूपेश सरकार में शुरुआत में किनारे लगाने की कोशिश हुई उसके बाद दक्षिण के आईएफएस अफसर मलाई छानने में कामयाब रहे । एक अफसर तो अक्सर चाकलेट खाते नजर आते हैं। उन्होंने सरकार के लोगों के साथ ऐसा तालमेल बिठा लिया है, उन्हें चाकलेट खाता देख दूसरे अफसर ललचा रहे हैं ।
सावधानी में ही समझदारी
सरकार के एक अफसर तीन महीने बाद अचानक काम पर लौट आए। वो इस दौरान गायब रहे । अफसर को आशंका थी कि पुलिस उन्हें एक प्रकरण में सह अभियुक्त बना सकती है । बताते हैं कि अभियुक्त के साथ अफसर के तालुकात तो थे लेकिन जुर्म में भागीदारी है या नहीं, इसको लेकर लोग अंदाज लगा रहे थे । यह भी चर्चा थी कि पुलिस अफसर को ढूंढ रही है । खैर,कुछ दिन पहले प्रकरण को लेकर चालान पेश हो गया । इसमें अफसर का नाम नहीं था । जब सारी तस्वीर साफ हो गई, तो अफसर प्रगट हो गए । कहा भी जाता है कि सावधानी में ही समझदारी है।
रामगोपाल को झटका
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम संगठन को अपने हिसाब से चलाना चाहते हैं । मरकाम धीरे धीरे उन लोगों को किनारे लगा रहे हैं जिनका संगठन में खासा रूतबा रहा । इसकी झलक पिछले दिनों डीआरओ की बैठक में देखने को मिली । जिसमें अध्यक्ष मरकाम और प्रदेश के चुनाव अधिकारी भी थे । बैठक में कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल भी थे, लेकिन जैसे ही चुनाव प्रक्रिया को लेकर चर्चा शुरू हुई उन्हें बाहर जाने के लिए कह दिया गया । रामगोपाल जैसे को बाहर जाने के लिए कहना संगठन में बड़े बदलाव के रूप में भी देखा जा रहा है ।
सबसे लंबी पारी
भूपेश सरकार के आने के बाद तकरीबन विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव कई बार बदले जा चुके हैं । अकेले विशेष सचिव हिमशिखर गुप्ता ऐसे अफसर हैं जो कि सहकारिता विभाग में ढाई साल से जमे हुए हैं । बाकी कई विभागों के प्रमुख तो आधा दर्जन बार बदल चुके हैं ।