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स्वास्थ्य, शिक्षा व मूलभूत सुविधाओं को तरस रहे आदिवासी, बच्चों में कुपोषण गहराया

कांकेर। जिले की सीमा से सटे नारायपुर जिला के ओरछा ब्लॉक के ग्राम पंचायत कोंगे के आश्रित ग्राम बीनागुंडा के ग्रामीण गांव में शिक्षा,स्वास्थ्य और मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। गांव के प्राथमिक स्कूल के शिक्षक स्कूल आते ही नही है । शिक्षक,केवल पुस्तक पहुचाते है,और मध्यान,भोजन के सामान ग्रामीणों के साथ भेज देते है।

ग्रामीणों ने बताया की कई सालो से शिक्षक जैनू राम का रवैया को देखते हुए गांव के ही 5 वी पढ़े युवा को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी सौपे है। जिससे पांचवी पास पढ़े युवा मैनू नूरूटी बड़ी ईमानदारी के साथ बच्चों से भरी एक क्लास को पढ़ना सिखा रहे है। किंतु समस्या यह है कि ये ‘शिक्षक’ भी कक्षा 5 वी तक ही पढ़ाई किए है। और पढ़ाई कर रहे बच्चे किसी एक कक्षा के नहीं बल्कि पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा, चौथी,और पांचवी के बीस छात्र, छात्राएं हैं। जिन्हें वो शिक्षा देते हैं। अलग अलग कक्षा के होने के चलते संभालना मुश्किल होता है ।

इस स्कूल के नाम से वेतन लेने वाले शिक्षक तीन साल से स्कूल से नियमित रूप से गायब रहते हैं. और गांव में शिक्षा देने वाले युवा तीन साल से आपने काम को छोड़कर यहां सेवा दे रहे है।

28 वर्षीय मैनू नूरूटी ने बताया, ‘कभी-कभी जब मैं अपनी निजी काम में लगा होता हूं तो मैं पांचवी क्लास के अपने कुछ होनहार छात्रों को जूनियर क्लास के बच्चों को पढ़ाने के लिए कह देता हूं.’पहले वह चौथी और पांचवी क्लास के छात्रों को एक साथ पढ़ाते हैं और उसके बाद पहली से तीसरी क्लास के बच्चों की तरफ रूख करते हैं. इन्हें एक ही साथ बैठाकर पढ़ाया जाता है. उस बीच बच्चों को होमवर्क देना भी वह नहीं भूलते हैं. ये युवा के रोज की दिनचर्या है. जरूरी काम आने पर बच्चों को पढ़ाने का काम होनहार छात्रों को सौंप दिया जाता है.।

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स्कूल भवन नही होने के चलते ग्रामीणों ने गोटूल को स्कूल बनाएं है और 2011 से इसी गोटूल पर चल रहा है । गांव में 70 से अधिक बच्चे है किंतु शिक्षक और बैठने की व्यवस्था नहीं होने के कारण 20 बच्चे को ही स्कूल भेज रहे है।
गांव में अधिकतर बच्चे कुपोषित ।
ग्रामीणों ने बताया की गांव में आंगनबाड़ी भवन बन रहा था तो एक उम्मीद बनी थी कि आंगनबाड़ी भवन बन जायेगा लेकिन यहां भवन भी अधूरा ही छोड़ दिए है खास बात ये है कि सरकारी कागजों में आंगाबड़ी चल रहा है किंतु यहां न कोई कार्यकर्ता आती है ना ही कभी कोई गर्म भोजन , रेडी टू ईट महिलाओं वा बच्चों को दी जाती है यहां के अधिकतर बच्चे कुपोषित है शासन द्वारा दी जाने वाली योजना दूर दूर तक नजर नहीं आता है ।

ग्रामीणों ने शासन से मांग की है की उन्हें बच्चो के लिए बालक बालिका आश्रम,राजस्व पट्टा, खेतों में सिंचाई के लिए पानी ,गांव में बिजली ,बीना गुंडा,जरावर से हपाटोला तक गली रोड़ के साथ
तीनों पारा में सोलर पेनल लगाया जाएं।

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