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मुख्यमंत्री बाल उदय योजना से मिल रहा लाभ, बाल सम्प्रेक्षण गृह से बाहर आने के बाद होने वाली समस्याओं का हुआ निदान, रोजगार और आवास की समस्याओं से राहत

रायपुर। पहले पुनर्वास केंद्र से बाहर जाने वाले कई बच्चों के सामने आवास, रोजगार सहित समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर आगे बढ़ने में कई तरह की दिक्कतें आती थी। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चे अपराध की ओर भी अपने कदम बढ़ा लेते हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने इन बच्चों के लिए यह संवेदनशील पहल की है। इस योजना के तहत इन बच्चों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त कराए जा रहे हैं।

 

 

छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल की योजनाओं से लगातार परदेश की जनता का उद्धार हो रह है। वे हर वर्ग की जनता के लिए कार्य कर रहे हैं, चाहे किसी भी वर्ग, जाति का हो। इसी कड़ी में उन्होंने बाल सुधार गृह से बाहर आने वाले बच्चों के लिए भी ‘मुख्यमंत्री बाल उदय योजना’ की शुरवात की, जिसके तहत बाल सुधार गृह से बाहर निकलने वाले बच्चों को भावी जीवन के लिए सही राह दिखाकर, कौशल रोजगार और स्वरोजगार प्राप्त कराया जायेगा।इस योजना के तहत जो लोग बाल सुधर गृह से अपनी सजा काट कर, बाहर आते हैं, उनके सामने बहुत सी समस्याएं खड़ी हो जाती है। इसके लिए राज्य सरकार ने इस कल्याणकारी योजना की शुरुवात की है ताकि उनकी समस्याओं का निदान हो सके।

दरअसल यह योजना प्रदेश के बाल गृहों से बाहर जाने वाले बच्चों के भावी जीवन के लिए सही राह दिखाकर उन्हें स्वावलंबन में मदद करेगी। साथ ही बाल संप्रेक्षण गृह से बाहर जाने की आयु 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करते हुये पुनर्वास योजना बनाई गई है। इस योजना के तहत बाल देख-रेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों को पुनर्वासित और पुनर्स्थापित करने के लिए राज्य सरकार सहयोग देती है। इस योजना के पहले पुनर्वास केंद्र से बाहर जाने वाले कई बच्चों के सामने आवास, रोजगार सहित समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर आगे बढ़ने में कई तरह की दिक्कतें आती थी। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चे अपराध की ओर भी अपने कदम बढ़ा लेते हैं। इसे देखते हुए मुख्यमंत्री डॉ. भूपेश बघेल ने इन बच्चों के लिए यह संवेदनशील पहल की है। इस योजना के तहत इन बच्चों को रोजगार के नए अवसर प्राप्त कराए जा रहे हैं।

 

समाज की मुख्यधारा में शामिल होने आ रही थी दिक्कतें

इस योजना की विभागीय संचालक दिव्या मिश्रा ने जानकारी देते हुए बताया कि, बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए राज्य द्वारा उल्लास, उजियार, उम्मीद और उमंग एवं उदय कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इसे आगे बढ़ाते हुए महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेंड़िया के मार्गदर्शन में बाल उदय योजना, बाल देखरेख संस्थाओं से बाहर जाने वाले बालकों के भविष्य के उदय का सूचक है। इस योजना के पहले पुनर्वास केंद्र से बाहर जाने वाले कई बच्चों के सामने आवास, रोजगार सहित समाज की मुख्यधारा में शामिल होकर आगे बढ़ने में कई तरह की दिक्कतें आती थी। इन परिस्थितियों में कई बार बच्चे अपराध की ओर भी अपने कदम बढ़ा लेते हैं। जिससे उन्हें अब निदान मिला है।

जीवन यापन में आने वाली परेशानियों से मिला निजात
वहीं, इस योजना से लाभन्वित गौरव दुबे ने बताया कि, जब वे बाल संप्रेक्षण गृह से बाहर आए तो उनके आगे सबसे बड़ी समस्या यह थी कि, वे अब आगे अपने जीवन यापन के लिए क्या करेगा कैसे करेगा। वह बेहद परेशान था, इस दौरान उसे मुख्यमंत्री बाल उदय योजना की जानकारी मिली, जिसने उसकी समस्याओं का निवारण कर दिया। इस योजना से उसे जीवन यापन के लिए बेहतर साधन मिले, इसके लिए वह मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का तहे दिल से धन्यवाद करता है।

लाभार्थियों ने मुख्यमंत्री का किया धन्यवाद


इस योजना के लाभार्थी धरमलाल विश्वकर्मा ने कहा कि, जब लोग बाल सम्प्रेक्षण गृह से बाहर आते है उनके आगे विभिन्न समस्याएं होती है। सम्प्रेक्षण गृह से निकलने के बाद हमारी पहली जरूरत आवास और फिर जीवन यापन की होती है। मुख्यमंत्री बाल उदय योजना के तहत संस्थाओं से बाहर निकलने वाले को कौशल उन्नयन, उच्च शिक्षा सहित व्यावसायिक प्रशिक्षण भी दिया गया। साथ ही रहने-खाने जैसी सुविधाएं भी उन्हें मिली। इसके चलते आज वे अपनी गलतियों की सजा भुगतने के बाद सम्मान पूर्वक और एक आम इंसान की तरह अच्छा जीवन यापन कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि, वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के आभारी हैं।

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