Trending Nowशहर एवं राज्य

CG BIG NEWS : बहुचर्चित नसबंदी कांड में भागीदार फार्मा कंपनी की याचिका खारिज, 9 साल पहले सीएम बघेल ने की थी पदयात्रा .. जानिए क्या हुआ था उस दिन

CG BIG NEWS: Petition of pharmaceutical company involved in the much talked about sterilization scandal rejected, 9 years ago CM Baghel had done a padyatra.. Know what happened that day

बिलासपुर। नौ साल पहले हुए बहुचर्चित नसबंदी कांड की गूंज समय-समय पर अब भी सुनाई दे ही जाती है। स्वास्थ्य विभाग को दवा आपूर्ति करने वाली कंपनी कविता फार्मा के एक भागीदार ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस द्वारा दर्ज किए गए प्रकरण को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।

याचिकाकर्ता ने निचली अदालत में दाखिल की गई चार्जशीट और आरोप तय करने को चुनौती देते हुए कहा गया था कि वे इस कंपनी में पार्टनर नहीं थे। जांच के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों के आधार पर याचिकाकर्ता के भागीदार होने की पुष्टि हुई थी। बिलासपुर के पेंडारी स्थित अस्पताल में आठ नवंबर 2014 को नसबंदी शिविर लगाया गया था। शिविर में चिकित्सकों ने 83 महिलाओं की नसबंदी के आपरेशन किए गए।

आपरेशन के कुछ घंटों बाद महिलाओं को दवाओं का किट देकर डिस्चार्ज कर दिया गया। इधर, आपरेशन करवाने वाली महिलाओं का तबीयत बिगड़ना शुरू हुआ और 13 महिलाओं की मौत हो गई। कई महिलाओं को गंभीर हालत में सिम्स और अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया। महिलाओं को दी गई दवाओं को जांच के लिए कोलकाता व रायपुर की लैबोरेट्री भेजा गया। जांच में सिप्रोसिन 500, आइबूप्रोफेन की जांच की गई।

जांच के दौरान दवाओं की क्वालिटी घटिया पाई गई। लैबोरेट्री की जांच रिपोर्ट के बाद पुलिस ने मामला दर्ज किया। जांच में पता चला कि स्वास्थ्य विभाग को तिफरा के कविता फार्मा से दवा सप्लाई की गई थी। कंपनी के संचालकों के खिलाफ विभिन्न प्रविधानों के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने कोर्ट में चालान पेश किया था।

निचली अदालत ने तय किया है आरोप

प्रकरण में निचली अदालत ने आरोप तय कर दिया है । 29 नवंबर 2016 को निचली अदालत द्वारा तय किए गए आरोप और चार्जशीट को निरस्त करने की मांग करते हुए कंपनी के एक भागीदार मनीष खरे ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता ने खुद को कंपनी में भागीदार होने से इन्कार किया था।

राज्य शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि कंपनी से जब्त किए गए दस्तावेजों में याचिकाकर्ता के भागीदार होने की पुष्टि हुई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के बाद कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने विचारण न्यायालय को निर्देशित किया है कि हाई कोर्ट के आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने एक साल के भीतर ट्रायल पूरा की जाए।

जमकर चली थी राजनीति

भाजपा शासनकाल में हुए इस कांड को लेकर तब देशव्यापी राजनीति चली थी। राष्ट्रीय मीडिया की भी इस पर नजर थी। तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पीड़ित परिवार से मिले थे। राज्य शासन ने मृत महिलाओं के बच्चों के परवरिश का जिम्मा उठाने की घोषणा की थी। इसके तहत बच्चों के नाम बैंक में राशि एफडी भी कराई है।

बघेल ने की थी पदयात्रा

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के तत्कालीन अध्यक्ष भूपेश बघेल के नेतृत्व में कांग्रेसजनों ने घटना स्थल पेंडारी से राजधानी रायपुर तक पीड़ितों को न्याय दिलाने और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए पदयात्रा की थी। विधानसभा चुनाव के दौरान यह बड़ा मुद्दा भी बना था।

 

 

 

 

 

Share This: