BIG NEWS : पीएम मोदी से सवाल करने वाली महिला पत्रकार को लोगों ने किया ट्रोल, तो बदले में मिला ऐसा करारा जवाब
BIG NEWS: People trolled the woman journalist who questioned PM Modi, then got such a befitting reply in return
नई दिल्ली। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिकी दौरे के दौरान ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ की पत्रकार सबरीना सिद्दीक़ी ने भारत में अल्पसंख्यकों के अधिकार, लोकतंत्र और प्रेस पर कथित हमले से जुड़ा सवाल किया था.
सवाल करने के बाद से सोशल मीडिया पर उन्हें ट्रोल किया जा रहा है. अब खुद उन्होंने ट्विटर पर ट्रोल करने वालों को जवाब दिया है.
उन्होंने लिखा कि कुछ लोग मेरी व्यक्तिगत पृष्ठभूमि को मुद्दा बना रहे हैं, ऐसे में मैं पूरी तस्वीर साफ़ करना सही समझती हूं. कई बार पहचान जैसी दिखती है, उससे कहीं अधिक जटिल होती है.
‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ के मुताबिक सबरीना सिद्दीक़ी वाशिंगटन डी.सी. में उनके लिए व्हाइट हाउस रिपोर्टर हैं, जहां वे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन को कवर करती हैं.
2019 में ‘द वाल स्ट्रीट जर्नल’ में शामिल होने से पहले उन्होंने गार्जियन अखबार के लिए व्हाइट हाउस और 2016 के राष्ट्रपति चुनाव को कवर किया था.
सिद्दीक़ी, नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट हैं और फिलहाल अपने पति के साथ अमेरिका के वाशिंगटन में रहती हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में मोदी से क्या पूछा गया?
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिका के प्रतिष्ठित अख़बार वॉल स्ट्रीट जर्नल की पत्रकार सबरीना सिद्दीक़ी ने पीएम मोदी से सवाल पूछा.
सिद्दीक़ी ने पीएम मोदी से पूछा, “आप और आपकी सरकार आपके देश में मुसलमानों समेत दूसरे समुदायों के अधिकारों को बेहतर बनाने और अभिव्यक्ति की आज़ादी को सुनिश्चित करने के लिए कौन से क़दम उठाने के लिए तैयार हैं.”
पीएम मोदी का जवाब
इस पर पीएम मोदी ने कहा, “मुझे आश्चर्य हो रहा है कि आप कह रहे हैं कि लोग कहते हैं…लोग कहते हैं नहीं, भारत एक लोकतंत्र है. और जैसा राष्ट्रपति बाइडन ने कहा कि भारत और अमेरिका दोनों के डीएनए में लोकतंत्र है.”
मोदी ने कहा, ”लोकतंत्र हमारी स्पिरिट है. लोकतंत्र हमारी रगों में है. लोकतंत्र को हम जीते हैं. और हमारे पूर्वजों ने उसे शब्दों में ढाला है, संविधान के रूप में. हमारी सरकार लोकतंत्र के मूलभूत मूल्यों को आधार बनाकर बने हुए संविधान के आधार पर चलती है. हमारा संविधान और हमारी सरकार…और हमने सिद्ध किया है कि लोकतंत्र कैन डिलिवर.”
”और जब मैं डिलिवर शब्द का प्रयोग करता हूं तो जाति, पंथ, धर्म या लैंगिक स्तर पर किसी भी भेदभाव की वहां जगह नहीं होती है. और जब लोकतंत्र की बात करते हैं तो अगर मानवीय मूल्य नहीं हैं, मानवता नहीं है, मानवाधिकार नहीं हैं, फिर तो वो डेमोक्रेसी है ही नहीं.
और इसलिए जब आप डेमोक्रेसी कहते हैं, जब उसे स्वीकार करते हैं, और जब हम डेमोक्रेसी को लेकर जीते हैं, तब भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता. और इसलिए भारत सबका साथ, सबका विकास, और सबका विश्वास और सबका प्रयास के मूलभूत सिद्धांतों को लेकर हम चलते हैं.
भारत में सरकार की ओर से मिलने वाले लाभ सभी को उपलब्ध हैं, जो भी उनके हक़दार हैं, वो उन सभी को मिलते हैं. इसलिए भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों में कोई भेदभाव नहीं है. न धर्म के आधार पर, न जाति के आधार पर, न उम्र के आधार पर, और न भूभाग के आधार पर.”