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BIG NEWS : अब फोन पर ‘हैलो’ नही ‘वंदे मातरम’ बोलना हैं ! शिंदे सरकार के फैसले से गरमाई सियासत

Now you have to say ‘Vande Mataram’ not ‘Hello’ on the phone! Politics heats up due to Shinde government’s decision

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के सरकारी अधिकारियों को फोन आने पर अब ‘हेलो’ नहीं, ‘वंदे मातरम’ बोलना होगा। यह आदेश अधिकारियों के सभी मोबाइल फोनों और लैंडलाइन फोनों पर लागू होगा। इसके साथ ही डेली रुटीन और सरकारी कार्यक्रमों में भी अधिकारी एक-दूसरे को वंदे मातरम कहकर ही संबोधित करेंगे। प्रदेश सरकार ने इस बाबत एक आदेश जारी किया है जो गांधी जयंती पर रविवार से लागू हो गया है। वहीं, विरोधी दलों के नेताओं ने इस आदेश पर आपत्ति जताई है।

सरकारी आदेश के मुताबिक, सरकारी और सरकारी वित्त पोषित संस्थानों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों को नागरिकों या सरकारी अधिकारियों से टेलीफोन या मोबाइल कॉल आने पर ‘वंदे मातरम’ बोलना अनिवार्य है। सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से जारी आदेश में कहा गया है कि अधिकारी उनसे मिलने आने वाले लोगों में भी ‘वंदे मातरम’ का अभिवादन के तौर पर इस्तेमाल करने के लिए जागरूकता पैदा करें। आदेश में कहा गया है कि ‘हेलो’ शब्द पश्चिमी संस्कृति की नकल है और कोई स्नेह पैदा नहीं करता है।

राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार में मंत्री दीपक केसरकर ने कहा, ‘वंदे मातरम एक ऐसा मंत्र था, जिसने अंग्रेजों से देश को स्वतंत्र कराने में बड़ी भूमिका अदा की। पूरे भारत वर्ष में सभी सरकारें और आम लोग इस बात को स्वीकार करते हैं। मुझे लगता है कि एक-दूसरे को ‘वंदे मातरम’ कहने में कोई बुराई नहीं है। अगर कुछ लोगों के दिमाग मे ‘वंदे मातरम’ को लेकर गलतफहमी है तो हम उन्हें समझा- बुझाकर इस बारे में तैयार कर लेंगे।’

वहीं, विपक्ष के नेताओं ने आदेश के विरोध में झंडा बुलंद कर दिया है। समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने सरकार के फैसले का विरोध करते हुए इसे हिंदू- मुस्लिमों के बीच दरार पैदा करने वाला बताया। आजमी ने कहा, ‘बाला साहब ठाकरे ने हमेशा जय महाराष्ट्र बोला था और आज उनके विचारों पर चलने का दावा करने वाले एकनाथ शिंदे यह सब भूल गए हैं। एक सच्चा मुसलमान कभी भी वंदे मातरम नहीं बोलेगा। यह इस्लाम मे कुफ्र है। इसके बजाय हम सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा बोल सकते हैं।’

कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने कहा कि सिर्फ ‘वंदे मातरम’ बोलने से किसी में देशभक्ति की भावना नहीं जागती। वहीं, एआईएमआईएम प्रवक्त वारिस पठान ने कहा, ‘इससे रोजगार मिलेगा क्या? यह भाजपा का जरूरी मुद्दों जैसे कि बेरोजगारी और महंगाई से ध्यान हटाने का तरीका है।’

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