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BHARAT JODO YATRA : किसानों के गढ़ पर राहुल का फोकस, किसान नेता राकेश टिकैत का मिला साथ

BHARAT JODO YATRA: Rahul’s focus on farmers’ stronghold, got the support of farmer leader Rakesh Tikait

राहुल गांधी की अगुवाई में कन्याकुमारी से कश्मीर तक के लिए निकली कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ पंजाब में दाखिल होने जा रही है. पंजाब से पहले हरियाणा और पश्चिमी यूपी से होकर भारत जोड़ो यात्रा गुजरी है, जिसे पूरी तरह से किसानों का गढ़ माना जाता है. किसान आंदोलन का सबसे ज्यादा असर इन्हीं इलाकों में रहा है. राहुल गांधी इस किसान बेल्ट में पदयात्रा कर सियासी जमीन को उर्वरा बनाने कवायद कर रहे हैं, लेकिन यह भी देखना होगा कि किसान पालिटिक्स को साधने में कितनी मुफीद यात्रा साबित होती है?

किसानों के गढ़ पर राहुल का फोकस –

राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा यूपी में उस गढ़ से गुजरी है, जहां से किसान आंदोलन की शुरुआत हुई और फिर पूरे प्रदेश को अपने जद में ले लिया था. राहुल गांधी ने ढाई दिन में पश्चिमी यूपी के तीन जिले गाजियाबाद, बागपत और शामली के क्षेत्र में पदयात्रा की. यूपी के बाद राहुल गांधी ने हरियाणा में एंट्री की थी. हरियाणा में यात्रा का रूट मैप बहुत ही रणनीतिक तरीके से तैयार किया गया था. यात्रा का फोकस उन क्षेत्रों पर रखा गया है जिन्हें किसानों का गढ़ माना जाता है.

राहुल गांधी की पानीपत की रैली, करनाल में रात्रि विश्राम और कुरुक्षेत्र में ब्रह्मसरोवर की आरती. भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को हरियाणा के शाहाबाद पहुंची तो लंच ब्रेक के दौरान किसान नेता राकेश टिकैत सहित अलग-अलग संगठनों से जुड़े हुए दर्जन भर किसानों ने राहुल गांधी से मुलाकात की. इसके बाद राहुल गांधी के साथ राकेश टिकैट और तमाम किसान नेताओं ने पदयात्रा भी की. इस दौरान राकेश टिकैत ने राहुल के सामने एमएसपी गारंटी कानून लाने की मांग उठाई और कहा कि यह सुनिश्चित हो कि किसान की कोई भी फसल तय भाव से कम पर न खरीदी जाए. इसके अलावा विभिन्न मुद्दों पर किसान नेताओं ने राहुल गांधी के साथ चर्चा की.

पंजाब में राहुल की यात्रा, किसानों को क्या संदेश? –

भारत जोड़ो यात्रा पंजाब में एंट्री करने जा रही है, जहां से कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन की चिंगारी उठी थी और फिर देश भर में फैल गई थी. पंजाब से किसानों ने दिल्ली के बार्डर पर जाकर डेरा डाल दिया था और एक साल से ज्यादा समय तक संघर्ष किया. राहुल गांधी पंजाब में दाखिल होने से पहले हरियाणा और यूपी में किसान नेताओं से मुलाकात और किसानों से जुड़े मुद्दों को उठाकर पंजाब के किसानों को सियासी संदेश देने के साथ-साथ कांग्रेस की चुनावी रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है.

माना जा रहा है कि राहुल गांधी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से जुड़ने वाले किसान और किसान आंदोलन में शामिल बड़े संगठनों के नेताओं और राजनीतिक संगठनों से मिलने वाले समर्थन से 2024 लोकसभा के चुनावों में बहुत हद तक सियासत की तस्वीर बदलने की कोशिश करेंगे. कांग्रेस पार्टी को इस बात का बखूबी अंदाजा है कि राहुल गांधी जितना किसानों से मिलकर अपने आंदोलन के बारे में बता सकेंगे, वह 2024 में होने वाले लोकसभा के चुनावों के लिहाज से बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है.

किसानों से बातचीत, 2024 की सियासी पिच तैयार –

कांग्रेस की रणनीति इसी तरीके की है कि वह इन राज्यों में किसानों के मुद्दे, किसानों की बातचीत और किसान आंदोलन में महीनों दिल्ली के बॉर्डर पर बैठे रहे लोगों से मिलकर उनको कुछ ऐसा भरोसा देने की है. राहुल गांधी जब यूपी के बागपत पहुंचे थे तो भारतीय किसान युनियन से जुड़े हुए लोग उनके स्वागत में ट्रैक्टर के ट्राली में फूल लेकर पहुंचे थे. इसके अलावा हरियाणा में राकेश टिकैत और उनके साथ किसानों नेताओं से मिलकर बातचीत करना और उन्हें भरोसा देना कि कांग्रेस पार्टी किसानों से जुड़े मुद्दों को हरहाल में हल करेगी. इसे राजनीतिक नजरिए से देखा जा रहा है.

दरअसल, राहुल गांधी ने दिल्ली से ही सियासी समीकरणों को साधना शुरू कर दिया था. राहुल गांधी ने सिर्फ जयंत चौधरी को चिट्ठी ही नहीं लिखी बल्कि जब वह दिल्ली में अलग-अलग बड़े नेताओं के समाधि पर गए तो किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह की समाधि पर जाकर भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के किसानों को एक बड़ा संदेश दिया. इसके अलावा हरियाणा में किसान नेताओं को लेकर जिस तरह से पैदल चले हैं, उससे पंजाब तक को साधने का दांव चला है. ऐसे में देखना है कि राहुल गांधी किसानों का दिल कितना जीत पाते हैं.

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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