CG NEWS : जो स्वांतः सुखाय और जनहित में लिखते हैं उन्हें नियमित लिखना चाहिए : मुख्यमंत्री
CG NEWS : Those who write freely and in public interest should write regularly: Chief Minister
रायपुर। जो स्वांतः सुखाय और जनहित में लिखते हैं, उन्हें अपनी कलम कभी रोकनी नहीं चाहिए। उन्हें नियमित लिखना चाहिए। जब इनके द्वारा लिखी प्रामाणिक और सच्ची सामग्री पहुंचेगी तो प्रायोजित रूप से फैलाये जा रहे झूठ को लोग स्वतः ही जान जाएंगे। यह बात मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कीर्तिशेष देवीप्रसाद चौबे की स्मृति में मुख्यमंत्री निवास कार्यालय में आज आयोजित वसुंधरा सम्मान समारोह के मौके पर कही। यह सम्मान वरिष्ठ साहित्यकार- पत्रकार सुधीर सक्सेना को मुख्यमंत्री ने प्रदान किया।
मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में कहा कि शब्दों को संजोना एक कठिन विधा है। उसमें भावनाएं पिरोना और भी कठिन है। छत्तीसगढ़ी समाज बहुत सरल सहज है लेकिन यह सहजता आसान नहीं है। बहुत प्रयत्न से यह सफलता मिलती है। यह सरलता लोगों को इतनी भाती है कि जो भी एक बार छत्तीसगढ़ आता है छत्तीसगढ़ उसे अपना लेता है। यह छत्तीसगढ़िया भोलापन है, जो सबको अच्छा लगता है। यही हमारी पूंजी है, हमारी थाती है। यही सरलता देवीप्रसाद चौबे में थी। यही सरलता कबीर, घासीदास में मिलती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवीप्रसाद चौबे जी गांधीवादी थे। गांधी जी में अहिंसा की पराकाष्ठा मिलती है। आलोचना को सहने की गहरी शक्ति उनके पास थी। जब उनकी हत्या हुई तो भी उन्होंने हे राम कहा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर कोई आपसे असहमत है और आप उग्र नहीं हो रहे तो समझिये कि आप गांधी जी के रास्ते पर चल रहे हैं। इस मौके पर अपने संबोधन में सुधीर सक्सेना ने कहा कि किसी भी पुरस्कार की महत्ता का आंकलन इस बात से होता है कि वो निरंतरता रचती है या नहीं। इसका निर्धारण इस बात से भी होता है कि यह पुरस्कार किन लोगों को पूर्व में सम्मानित किया जा चुका है। इस दृष्टि से यह पुरस्कार मेरे लिए संतोष का विषय है। पुश्किन का कहना है कि कोई भी सम्मान कवि के हृदय में होता है। मेरे लिए यह मेरे सरोकारों का सम्मान है। छत्तीसगढ़ में मुझे जो प्रेम मिला है। वो अद्वितीय है। जो भी प्यार से मिला, हम उसी के हो लिए, यह छत्तीसगढ़ की खासियत है।
छत्तीसगढ़ से अपने जुड़ाव के संबंध में बताते हुए सक्सेना ने बताया कि उनकी पत्नी रायपुर की ही बेटी है। आज उनकी स्मृतियां ही बाकी हैं लेकिन इस मौके पर वे होती तो उन्हें बहुत खुशी होती। उन्होंने कहा कि 1978 में पहली बार यहां आया, तभी से हर साल यहां आता रहा हूँ। इसने मुझे मोहपाश में बांध लिया है। मैं जब भी यहां आता हूँ तो लगता है मैं घर लौटा हूँ। इस सम्मान से बड़ी जिम्मेदारी भी आई है। निरंतर सरोकारों से जुड़े रहने की जिम्मेदारी है।
इस अवसर पर मुख्य वक्ता पत्रकार राजेश बादल ने भी अपनी बात रखी। उन्होंने आंचलिक पत्रकारिता की चुनौतियों तथा इनके महत्व के विषय में विस्तार से अपनी बात की। साथ ही वर्तमान परिदृश्य में पत्रकारिता के समक्ष चुनौतियों पर भी अपनी बात रखी।
इस मौके पर गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा स्कूल शिक्षा मंत्री रवींद्र चौबे, संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत, विधायक अमितेश शुक्ला, पद्मश्री तथा इंदिरा संगीत एवं कला विवि खैरागढ़ की कुलपति मोक्षदा चंद्राकर, गौसेवा आयोग के अध्यक्ष महंत राजेश्री रामसुंदर दास, पूर्व विधायक प्रदीप चौबे एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद थे। इस दौरान वसुंधरा सम्मान के संयोजक विनोद मिश्र, निर्णायक समिति के अध्यक्ष दिवाकर मुक्तिबोध, आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार श्रीवास्तव तथा आयोजन समिति के सचिव मुमताज एवं अन्य अतिथि मौजूद रहे।