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तिरछी नजर : रिटायर होने से पहले मुकेश गुप्ता बहाल

रायपुर। आखिरकार रिटायरमेंट से पहले चर्चित आईपीएस मुकेश गुप्ता का निलंबन खत्म कर दिया गया है। राज्य सरकार ने उनके बहाली के आदेश भी तामिल कर दिए हैं। केंद्र सरकार ने गुप्ता का निलंबन खत्म कर दिया था। इसके बाद राज्य के पास कोई और विकल्प नहीं रह गया था। मुकेश गुप्ता 30 तारीख को रिटायर होने वाले हैं। बताते हैं कि गुप्ता को बहाल करवाने में भाजपा संगठन के शीर्ष नेता की अहम भूमिका रही है और उन्होंने ही केंद्रीय गृह मंत्री को एप्रोच कर मुकेश गुप्ता का निलंबन खत्म करवाया है। गुप्ता के खिलाफ कई प्रकरण दर्ज हैं। उनके खिलाफ शिकायत करने वालों में पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर भी हैं। मगर गुप्ता सब पर भारी पड़ गए।
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प्रतिनियुक्ति पर गए आईएएस को नोटिस
प्रतिनियुक्ति पर बाहर गए प्रदेश के एक आईएएस अफसर इन दिनों हड़बड़ाए हुए हैं। उन्हें लोक आयोग ने अनियमितता के पुराने केस में नोटिस थमा दिया है। नोटिस का जवाब देने के लिए अपने पुराने सहयोगियों को लगातार फोन कर कागजात मांग रहे हैं, लेकिन कभी चोली-दामन का साथ रहे उनके पुराने लोग भी कागज देने में टाल मटोल कर रहे हैं। अफसर को डर है कि आयोग जवाब न देने की स्थिति में एकतरफा आदेश न पारित कर दे। क्योंकि शिकायतकर्ता ने अफसर के खिलाफ काफी दबाव बनाया है। सरकार भी अफसर को लेकर निष्पक्ष भाव में दिख रही है। यदि आयोग की कोई अनुशंसा आती है तो कार्रवाई में देरी नहीं लगाएगी। ऐसे में अफसर का परेशान होना स्वाभाविक है।

खेल मंत्री दुखी
खेल विभाग में अफरा-तफरी से विभागीय मंत्री नाखुश हैं। प्रतिष्ठित खिलाडिय़ों की जगह नेतानुमा खिलाड़ी सामने आगे गए हैं। माइनिंग विभाग के एक विवादित अफसर की पोस्टिंग भी वहां पहुंच गए हैं। उनका अपना एजेंडा सेट है। बताते हैं कि ओलंपिक संघ में भी आगामी दिनों उठापटक हो सकती है। छत्तीसगढ़ी खेल का समय सारणी घोषित हो गई है। कैबिनेट चाहता है कि ओलंपिक संघ की अगुवाई खेल मंत्री उमेश पटेल करे, लेकिन उमेश निर्णय नहीं ले पा रहे हैं। उनकी सक्रियता पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।


यह तो मुखौटा है
भाजपा में हाल में हुए परिवर्तन के बाद यह चर्चा तेज है कि यही चेहरा असली है या पार्टी का मुखौटा है? पार्टी में वर्चस्व को लेकर चलती लड़ाई के बीच दोनों गुटों में पद हथियाने की लड़ाई अंदरखाने तेज हो गई है। वर्षो से पार्टी के लिए चंदा वसूलने वाले दिग्गज ही पार्टी चलाएंगे या इसमें भी परिवर्तन होगा? पार्टी के जिलाध्यक्ष बदलने को लेकर चल रही कवायद में घमासान के आसार है। पार्टी की छवि सुधारने मीडिया में फेरबदल को कुछ लोग पचा नहीं पा रहे हैं। लिहाजा एक और सूची निकालने की कवायद चल रही है। अंदरखाने में मठाधीशों की गतिविधियों पर कार्यकर्ताओं की पैनी निगाह है संगठन के महत्वपूर्ण पदाधिकारियों को कौन प्रभावित कर सकता है इसकी जोर आजमाइश जारी है।
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सत्तू भैया की मन की बात
सक्रिय व तेज तर्रार नेता ग्रामीण विधायक सत्यनारायण शर्मा सभी विवादित कमेटियों के अध्यक्ष हैं। मंत्री पद से चूके सत्तू भैया की अब जाकर सरकार में कुछ पूछ परख इसी बहाने बढ़ी है। प्रदेश में शराब बंदी करने को लेकर हो रही राजनीति के बीच सत्यनारायण शर्मा ने बयान दिया है कि शराब बंदी आम जनता का मुद्दा नहीं है यह उनकी मन की बात है या सरकार की?
श्यामाचरण शुक्ल के बाद सत्तू भैया को नशाखोरी के सख्त खिलाफ नेता माने जाते हैं, ऐसे नेता को शराब बेचने की अनुमति की कवायद कराई जा रही है?
शराब बेचने के खेल में कोई और सिस्टम को फॉलो करने वाला कोई और सत्तू भैया बेचारे शराब बेचने के चेहरे के रूप में सामने आ रह है। इसी तरह स्काई वाक का उपयोग करने के लिए बनाई गयी कमेटी के अध्यक्ष भी सत्यनारायण शर्मा हैं। जिसकी रिपोर्ट आई नहीं है। इन रिपोर्टों में सत्तू भईया मन की बात कह पाएंगे, इसमें कुछ लोगों को संदेह है।

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