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नए साल में होंगे GST से जुड़े 3 बड़े बदलाव, कारोबारियों के साथ-साथ आम आदमी पर होगा सीधा असर

1 जनवरी, 2022 से गुड्स एवं सर्विसेज टैक्‍स यानी जीएसटी में कारोबारियों के लिए नियमों में तीन अहम बदलाव करने जा रही है. ये नियम जीएसटी चोरी या धांधली को रोकने के लिए यानी पारदर्श‍िता बढ़ाने के लिए लाए जा रहे हैं. इससे कारोबारियों की मुश्‍किल और बढ़ सकती है. हालांकि इसके बारे में एक्‍सपर्ट की राय मिली-जुली है.

सबसे पहले आपको बताते हैं कि नए साल तीन अहम बदलाव क्‍या हो रहे हैं. पहला अहम बदलाव यह है कि जनवरी से किसी भी कारोबारी के प्रतिष्‍ठान पर जीएसटी अध‍िकारी बिना किसी पूर्व नोटिस के टैक्‍स रिकवरी के लिए पहुंच सकते हैं. एक नया बदलाव यह हो रहा है कि रिफंड क्‍लेम करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. तीसरा बदलाव यह है कि इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के लिए 100 फीसदी इनवाइस मैचिंग अनिवार्य कर दी गई है.

यानी जितना क्रेडिट क्‍लेम किया जा रहा है, उस पूरे के लिए विक्रेता और खरीदार की इनवाइस मैच करनी चाहिए. इनपुट टैक्‍स क्रेडिट का मतलब यह होता है कि किसी उत्‍पादक ने कच्‍चे माल पर जो टैक्‍स चुकाया है, उस टैक्‍स को वापस कर दिया जाता है.

चार्टड अकाउंटेंट (CA) अंकित गुप्‍ता कहते हैं कि जीएसटी को लेकर अभी पर्याप्‍त बुनियादी ढांचा नहीं तैयार नहीं है. जीएसटी अध‍िकारियों को पहले भी पावर था, लेकिन अब ज्‍यादा अध‍िकार दिए जा रहे हैं. जाहिर है इससे कारोबारियों के लिए झंझट ही बढ़ने वाला है.

खासकर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट यानी कच्‍चे माल और अन्‍य सेवाओं पर पर दिए गए टैक्‍स की वापसी के लिए नियमों को सख्‍त करने पर उन्‍होंने कहा कि छोटे कारोबारियों की मुश्‍किल और बढ़ती दिख रही है.

इसमें कहा जा रहा है कि अगर कोई विक्रेता अपने मंथली सेल्‍स रिटर्न में इनवाइस का 100 फीसदी ब्‍योरा नहीं दे पाता तो खरीदार को उस आइटम पर चुकाए गए इनपुट टैक्‍स का क्रेडिट नहीं मिलेगा. इसमें समस्‍या यह है कि अगर कोई विक्रेता डिफाल्‍ट करता है तो उसका भी खामियाजा परचेजर यानी छोटे कारोबारी को भुगतना होगा.

चार्टड अकाउंटेंट (CA) राम अक्षय कहते हैं कि खासकर टैक्‍स अध‍िकारियों को ज्‍यादा पावर देने से कारोबारियों की मुश्‍किल काफी बढ़ने वाली है. टैक्‍स अध‍िकारी कभी भी सर्च और सीजर तो कर ही सकते हैं. सबसे ज्‍यादा अहम यह है कि कारोबारी पहले जो वाहन आदि जब्‍त होने पर आसानी से छुड़ा लेते थे.

अब यह नहीं होने वाला है. अब सब कुछ आईटी आधारित सिस्‍टम से जुड़ता जा रहा है, इसलिए सारे डॉक्युमेंट पुख्‍ता नहीं मिले तो कारोबारी को मुश्‍किल होगी. उन्‍होंने कहा कि इनपुट टैक्‍स क्रेडिट के मामले में देखें तो अब विक्रेता और खरीदार के इनवाइस की 100 फीसदी तक मैचिंग हुई तो ही क्रेडिट मिलेगा. अगर डीलर ने कुछ गड़बड़ी की तो इसका खामियाजा परचेजर को भुगतना पड़ेगा.

हालांकि, कई जानकार यह भी कहते हैं कि इस सिस्‍टम का फायदा यह है कि धीरे-धीरे पूरा सिस्‍टम आईटी आधारित हो जाएगा, जिससे आगे चलकर जीएसटी रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया आसानी होगी.आधार से आथेंटिकेशन के मामले में सीए राम अक्षय ने कहा कि यह इस सिस्‍टम में पारदर्श‍िता लाने के लिए किया गया है और यह एक तरह से ठीक कदम है. जनवरी से होगा यह है कि रिफंड हासिल करने के लिए आधार के ओटीपी के द्वारा ही क्‍लेम रजिस्‍टर्ड होगा. इससे यह पुख्‍ता हो सकेगा कि जिस कारोबारी को रिफंड मिल रहा है, वह वाजिब व्‍यक्‍ति है.

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