कवर्धा (दीपक तिवारी, दैनिक छत्तीसगढ़ वॉच, जिला ब्यूरो कबीरधाम): जिले में पुलिस विभाग के अंदर ट्रांसफर और पोस्टिंग को लेकर अब सवाल उठने लगे हैं। आम जनता तो दूर, पत्रकारों तक को यह जानकारी नहीं मिल पा रही कि कौन अधिकारी कब, क्यों और कहां ट्रांसफर किया गया। कार्रवाई हुई भी या नहीं — यह सब कुछ रहस्यमय तरीके से “गोपनीय” रखा जा रहा है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हाल ही में रेखाखर थाना प्रभारी टीआई के ऊपर गंभीर आरोप लगे हैं कि उन्होंने कथित रूप से सट्टा खिलाने वाले मरकाम से ₹10,000 की राशि ली थी। मामला प्रकाश में आने के बाद न तो पुलिस विभाग ने इस पर कोई आधिकारिक बयान दिया, और न ही पत्रकारों को इसकी सूचना दी गई। हैरानी की बात यह है कि आरोपी अधिकारी को सस्पेंड करने के बजाय सीधे SC/ST थाना में ट्रांसफर कर दिया गया।
स्थानीय लोगों और मीडिया जगत में यह सवाल जोर पकड़ रहा है कि आखिर ऐसे मामलों को गोपनीय क्यों रखा जाता है?
क्या पुलिस प्रशासन किसी को बचाने की कोशिश कर रहा है?
या फिर जिले में ट्रांसफर-पोस्टिंग “बिना पारदर्शिता” के किसी खास दबाव में की जा रही है?
जानकारों का कहना है कि ट्रांसफर, सस्पेंशन और विभागीय कार्रवाई जैसी सूचनाएं सार्वजनिक न करना जनता के विश्वास के साथ खिलवाड़ है। इससे न केवल पारदर्शिता पर सवाल खड़े होते हैं, बल्कि ईमानदार पुलिसकर्मियों की छवि पर भी असर पड़ता है।
फिलहाल, प्रशासनिक हलकों में इस पूरे मामले की चर्चा जोरों पर है।
अब देखना यह होगा कि जिला पुलिस कप्तान इस पर क्या कदम उठाते हैं और क्या जनता को सच्चाई बताई जाएगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दफन हो जाएगा।
