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तिरछी नजर : सियासी मौसम वैज्ञानिक 

 

कांग्रेस के बड़े लोग मानते हैं कि छत्तीसगढ़ में पंजाब की तरह कुछ नहीं होने वाला है। यह निर्विवाद सत्य है कि ढाई साल में ही भूपेश बघेल ने सरकार की छवि गांव, गरीब, और किसान हितैषी की बना ली है। प्रियंका गांधी तो भूपेश बघेल सरकार की कार्यशैली की तारीफ करते नहीं थकती हैं। इन सबके बाद भी सीएम के कुछ करीबी नेता अपने भविष्य को लेकर सशंकित दिखते हैं। इसी हड़बड़ाहट में एक नेता तो बाबा खेमे के नजदीकी नेता के साथ गुपचुप बैठक भी कर आए हैं। चर्चा है कि सीएम के करीबी नेता, निकाय के शीर्ष पद पर हैं और बाबा खेमे के जिस नेता के साथ उनकी बैठक हुई है वो भी एक बोर्ड के पदाधिकारी भी हैं। दोनों एक ही समुदाय से आते हैं। दोनों की बैठक के निचोड़ का तो सामने नहीं आया है लेकिन पार्टी के भीतर इसको लेकर जमकर कानाफूसी हो रही है। निकाय पदाधिकारी के खिलाफ पार्टी के पार्षदों में काफी नाराजगी है। विधायक तो पहले से ही नाराज चल रहे हैं। ऐसे में उन्हें आशंका है कि परिवर्तन की स्थिति में उन पर गाज न गिर जाए। ऐसे में वे पहले से ही सब कुछ ठीक कर लेना चाहते हैं।

येड़ा बनकर पेड़ा खाने वाले आईएफएस

तीन साल पहले एक आईएफएस अफसर सरकार के एक बोर्ड के एमडी बने, तो उनकी जीवन गाथा सुनकर बोर्ड के अफसर और कर्मी भावुक हो गए। अफसर ने उन्हें बताया कि किस तरह रोजी रोटी, और पढ़ाई के लिए संघर्ष करना पड़ा था। खर्चा निकालने के लिए ऑटो तक चलाते थे। बोर्ड को तो मलाईदार माना जाता है लेकिन अफसर कर्मियों ने एमडी की कहानी सुनकर धारणा बना ली थी कि संघर्षों में पले बढ़े होने के कारण ईमानदार और कर्तव्य निष्ठ भी होंगे। थोड़े दिन मातहतो को एमडी सारा काम नियम कानून के दायरे में करने की सीख देते रहे। लेकिन जल्द ही अफसर-कर्मियों की धारणा बदल गई।

एमडी ने सरकारी बंगले में रहने के बजाए शहर के सबसे महंगे कॉलोनी में किराए से मकान ले लिया। बाद में उन्होंने बंगला भी बनवा लिया। ऑटो में सवारी ढोने वाले अफसर के शौंक जानकर विभाग के लोग उस वक्त हतप्रभ रह गए जब उन्होंने एक महंगी बाइक खरीदी। यह बाइक रायपुर में मिलती नहीं है। उन्होंने इसे दूसरे प्रदेश से मंगवाया था। खास बात यह है कि अफसर की नौकरी को ही ज्यादा समय नहीं हुए लेकिन उन्होंने इतना माल बना लिया है कि यह जांच एजेंसियों की नजर में है। फिलहाल उन्हें ज्यादा खतरा नहीं है। वजह यह है कि ऊपर के लोगों ने धारणा नहीं बदली है। वो बोर्ड में सबसे ज्यादा समय तक एमडी रहने के रिकॉर्ड के करीब आ गए हैं।

 

महिला कर्मी के तेवर से सकते में अवर सचिव

मंत्रालय में एक सीधी साधी महिला कर्मचारी के तेवर से उस विभाग के अवर सचिव घबराए हुए हैं। दरअसल, रोज रोज की प्रताडऩा से तंग आकर महिला कर्मचारी ने अवर सचिव को चिट्ठी दिखाकर बता दिया कि अगर उन्होंने रवैया नहीं बदला तो चिट्ठी जांच एजेंसियों तक पहुंच जाएगी। अवर सचिव पहले उच्च शिक्षा विभाग में थे। उस समय भी महिला कर्मचारियों को खूब प्रताडि़त करते थे। जब उनका विभाग बदला तब जाकर महिला कर्मचारियों ने राहत की सांस ली है। अवर सचिव जोगी सरकार में जुगाड़ जमाकर एक मंत्री की स्थापना में पोस्टिंग पा ली।

तब छककर बल्लेबाजी की थी। जब तक मंत्रीजी को अपने विभाग में हो रहे गड़बड़ झाले का पता चलता, चुनाव नजदीक आ गया। मंत्री स्थापना से निकलने के बाद तो उसका हौसला बुलंद हो गया और थोड़े दिन बाद अवर सचिव का पद पा गए। फिर इसके बाद से रोज ऐसा कुछ करते रहते है जिसकी चर्चा विभाग के बाहर भी होती है।

छत्तीसगढ़ बीजेपी में भी गुजरात पैटर्न

 

छत्तीसगढ़ बीजेपी में भी गुजरात पैटर्न पर फेरबदल की अटकलें लगाई जा रही है। अगर ऐसा हुआ तो पार्टी के तमाम बड़े चेहरे किनारे लग जाएंगे। यह भी आशंका जताई जा रही है कि विधानसभा चुनाव आते-आते 14 विधायकों की विधायकी खतरे में पड़ सकती है। संभव है कि बीजेपी हाईकमान पूरे घर को बदल डालने की तर्ज पर कड़े फैसले सकती है। पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से इस तरह के संकेत मिलने भी लगे हैं। पिछले दिनों पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष एक साथ दिल्ली दौरे पर थे, वहां उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से मिलने का समय मांगा, लेकिन दोनों नेताओं को मायूसी हाथ लगी। जबकि कहा जाता है कि अध्यक्ष जब प्रदेश प्रभारी थे, तो नेताजी के कामकाज के मुरीद हुआ करते थे। इतना ही नहीं, उनके पीएस की आव-भगत से इतने खुश रहते थे कि उनकी तारीफों के पुल बांधते थकते नहीं थे। ऐसे में अब अचानक क्या हो गया कि सामान्य शिष्टाचार मुलाकात से भी परहेज करने लगे हैं। पार्टी में तो इसे गुजरात पैटर्न पर बदलाव की तैयारी से जोड़ कर देखा जा रहा है।

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