MARITAL RAPE : मैरिटल रेप अपराध है या नहीं? सुप्रीम कोर्ट इस तारीख को करेगा सुनवाई
MARITAL RAPE: Is Marital Rape a crime or not? Supreme Court will hear on this date
नई दिल्ली। MARITAL RAPE पत्नी से बिना मंजूरी लिए शारीरिक संबंध बनाने को रेप के दायरे में लाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर हुई है। इससे संबंधित कई और याचिकाएं कोर्ट में दायर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी मामलों में सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की है।
MARITAL RAPE कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि मैरिटल रेप यानी शादी के बाद बिना पत्नी की मंजूरी के शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। कई मामलों में महिलाओं ने अपने पतियों के खिलाफ मैरिटल रेप की शिकायतें दर्ज करवाईं हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों की दलील होती है कि शादीशुदा दंपति के बीच बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है।
MARITAL RAPE इसको लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कई याचिकाएं दायर हुईं हैं। इसमें मांग की गई है कि बिना पत्नी की सहमति के बनने वाले शारीरिक संबंध को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए।
कई रिपोर्ट में अलग-अलग दावे हुए –
MARITAL RAPE राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव किया है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 49 साल की आयुवर्ग में विवाहित महिलाएं, जिन्होंने वैवाहिक शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है, उन्हें शारीरिक चोटें आईं हैं।
भारत में क्या है इसको लेकर कानून? –
MARITAL RAPE भारत में अभी आईपीसी की धारा 375 के तहत ही ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं। ये रेप से जुड़े मामले होते हैं। इसमें महिला के साथ बिना सहमति वाले सभी तरह के यौन उत्पीड़न शामिल हैं। हालांकि, धारा 375 के अपवाद 2 के तहत अगर पत्नी या पति की उम्र 15 साल से ज्यादा है तो उनके बीच अनिच्छा से संभोग ‘बलात्कार’ नहीं होता है। यही अपवाद मैरिटल रेप को अपराध की श्रेणी में आने से रोकता है।