अश्वगंघा की खेती में रंग लाई किशोर की मेहनत…जाने क्या है अश्वगंधा की फसल क्या है लाभ कितना होता है उत्पादन
संजय महिलांग संवाददाता
नवागढ़: नगर पंचायत नवागढ़ के युवा किसान किशोर कुमार राजपूत एक एकड़ में गौवंश आधारित प्राकृतिक खेती से औषधीय गुणों से युक्त अश्वगंधा की फसल लगाई। उनकी मेहनत रंग लाई और 87000 हजार रुपये की शुद्ध मुनाफा हुआ।अब रकबा बढ़ाएंगे इस बार 50 एकड़ में खेती करने की तैयारी चल रही है।
युवा किसान किशोर राजपूत ने बताया कि पारम्परिक फसल में लागत ज्यादा और आमदनी कम होते जा रहा है, जहर युक्त खाद से जमीन, और वातावरण,भी प्रदूषित हो रहा है। इन सब ने आज किसानों का जीवन बदहाल कर दिया है। वे बाजार माँग के अनुसार फसलों का चयन करते हैं पारम्परिक फसलों में धान,गेंहू, चना, सरसों, मटर,तिवरा, की फसल लेते हैं ।
उन्होंने पहली बार 2019,और दूसरी बार 2020में एक एकड़ में अश्वगंधा लगाई थी जिसमें गोबर खाद, गौ मूत्र, आदि का इस्तेमाल किया।
वर्तमान समय में अश्वगंधा कम लागत में अधिक उत्पादन देने वाली औषधीय फसल है। अश्वगंधा की खेती कर किसान भाई लागत का तीन गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं। अन्य फसलों की अपेक्षा अश्वगंघा की खेती में प्राकृतिक आपदा का खतरा भी इस फसल पर कम ही होता है। अश्वगंधा की बोआई के लिए जुलाई से सितंबर का महीना उपयुक्त माना जाता है। युवा किसान किशोर कुमार राजपूत का कहना है कि वर्तमान समय में पारंपरिक खेती में हो रहे नुकसान को देखते हुए अश्वगंधा की खेती किसानों के लिए काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
क्या है अश्वगंधा की फसल
अश्वगंधा एक आयुवेर्दिक औषधीय गुणों से युक्त पौधा है। इसे बलवर्धक,स्फूर्तिदायक, स्मरणशक्ति वर्धक,तनाव रोधी, कैंसररोधी माना जाता है। इसकी पंचाग जड़,पत्ती, फल और बीज औषधि के रूप में सदियों से उपयोग किया जाता है।
इसकी खेती के लिए उपयुक्त जलवायु
इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई,दोमट मिट्टी या हल्की लाल मृदा,जिसका पीएच मान 7.5 से 8 हो,उपयुक्त मानी जाती है।
प्रति एकड़ बीज की मात्रा
नर्सरी के लिए प्रति हेक्टेअर पांच किलोग्राम व छिड़काव के लिए प्रति एकड़ 9 से 10 किलो बीज की जरूरत पड़ती है।
बुआई का समय
अश्वगंधा की बीज बोआई के लिए बरसात में जुलाई से सितंबर तक का समय उपयुक्त माना जाता है।
बीज शोधन करने की विधि
अश्वगंधा बीज को गौमूत्र से उपचारित करते हैं। एक किलोग्राम बीज को शोधित करने के लिए 3 लीटर गौमूत्र का प्रयोग किया जाता है।
रोपण की सर्वश्रेष्ठ विधि
नर्सरी विधि से उत्पन्न अश्वगंधा रोपाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि दो पौधों के बीच 8 से 10 सेमी की दूरी हो तथा पंक्तियों के बीच 20 से 25 सेमी की दूरी हो। यदि द्वारा बुआई करते हैं तो बीज एक सेमी से ज्यादा गहराई पर न बोएं।
अश्वगंधा में उर्वरक का प्रयोग
अश्वगंधा की बोआई से एक माह पूर्व प्रति एकड़ दो ट्रैक्टर ट्रॉली गोबर की खाद या कंपोस्ट की खाद खेत में मिलाएं। बोआई के समय 15 लीटर नत्रजन (गौमूत्र)व 15 लीटर फास्फोरस (बिल्व रसायन) का छिड़काव करें।
छत्तीसगढ़ अश्वगंधा की प्रजाति एवं सिंचाई
छत्तीसगढ़ राज्य के जलवायु में सफल डब्लू.एस-20 (जवाहर), डब्लूएसआर, पोषिता अश्वगंधा की अच्छी प्रजातियां हैं। नियमित समय से वर्षा होने पर फसल की सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती। आवश्यकता पड़ने पर जीवन रक्षक सिंचाई अवश्य करें।
अश्वगंधा की छटाई व निराई
बोई गई अश्वगंधा की फसल को 25 से 30 दिन बाद निदाई गुड़ाई कर देना चाहिए। इससे लगभग 60 पौधे प्रतिवर्ग मीटर यानी 6 लाख पौधे प्रति हेक्टेअर अनुरक्षित हो जाते हैं।
अश्वगंधा फसल की सुरक्षा
अश्वगंधा पर रोग व कीटों का विशेष प्रभाव नहीं पड़ता। कभी-कभी माहू कीट तथा पूर्ण झुलसा रोग से फसल प्रभावित होती है। ऐसी परिस्थिति में निम्ब तैल का 5 ml ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर बोआई के 30 दिन के अंदर छिड़काव करें। आवश्यकता पड़ने पर 15 दिन के अंदर दोबारा छिड़काव करें।
अश्वगंधा में प्राप्त होने वाले उत्पादन
खेत में फसल बोआई के 150 से 170 दिन में अश्वगंधा तैयार हो जाती है। पत्तियों का सूखना फलों का लाल होना फसल की परिपक्वता का प्रमाण है। परिपक्व पौधे को उखाड़कर जड़ों को गुच्छे से दो सेमी ऊपर से काट लें फिर इन्हें सुखाएं। फल को तोड़कर बीज को निकाल लें।
क्या है लाभ कितना होता है उत्पादन
अश्वगंधा की फसल से प्रति एकड़ 250 किलो जड़,300 किलो बीज,800किलो पंचाग भूसे प्राप्त होता है। इस फसल में लागत से तीन गुना अधिक लाभ होता है।
अश्वगंधा से प्रति एकड़ मिला आय व्यय
जड़ 300किलो250 रुपये प्रति किलो, बीज 300 किलो 100 रुपये किलो, पंचांग 800 किलो 15 रुपये किलो में बिका हैं।
व्यय:— बीज 10 kg 5 हजार,
खेत की जुआई, निदाई गुड़ाई,कटाई खाद, 25 हजार की लागत आई कुल आमदनी 117000 शुद्ध 87000 मुनाफा हुआ।
250×300=75000,
300×100=30000,
800×15=12000,
कुल आमदनी,
117000,
खर्च 30000,
शुद्ध मुनाफा 87000 हुआ है।