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INDIRA PRIYADARSHINI BANK SCAM INVESTIGATION : अभी सारा पैसा लौटेगा, घोटाला करने वाले जेल भी जाएंगे – सीएम

INDIRA PRIYADARSHINI BANK SCAM INVESTIGATION: Now all the money will be returned, scamsters will also go to jail – CM

रायपुर। छत्तीसगढ़ के चर्चित इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की दोबारा जांच शुरु होते ही परतें खुलने लगी हैं। बैंक के तत्कालीन मैनेजर सिन्हा ने पुलिस जांच में खुलासा किया है कि इस घोटाले में छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र की 35 कंपनियां शामिल हैं। इन कंपनियों को नोटिस जारी किया गया है। इनमें से रायपुर की एक कंपनी ने शुक्रवार को बैंक में 28 लाख रुपए जमा भी करवा दिए हैं। कुछ कंपनियों ने दस्तावेज इकट्‌ठा करने के लिए समय मांगा है।

इस पर सीएम बघेल ने ट्वीट कर लिखा है कि “प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले की जांच का प्रतिफल मिलने लगा है। बैंक के खाते में 28.5 लाख रुपए जमा हुए हैं। अभी सारा पैसा लौटेगा। घोटाला करने वाले जेल भी जाएंगे।”

बता दें कि सीएम भूपेश बघेल ने इस पूरे मामले की फिर से जांच के आदेश दिए थे। इसके बाद उमेश सिन्हा के नार्को टेस्ट की सीडी के आधार पर फिर जांच शुरू की गई थी। पूछताछ में उमेश सिन्हा ने 35 कंपनियों के इसमें शामिल होने की बात कही है। इन कंपनियों के नाम से नीरज जैन ने 20 लाख से 2 करोड़ तक का क्रेडिट लिमिट बनाया और उस लिमिट के पैसों से सभी कंपनियों के नाम से शेयर खरीदे। वहीं उन कंपनियों ने शेल कंपनियों से भी फर्जी तरीके से शेयर खरीदे। इन कंपनियों से लेनदेन के आधार पर 19 से 20 करोड़ रुपए की जानकारी सामने आई है।
इस मामले में 12 अभियुक्तों को पूछताछ के लिए नोटिस जारी किया था, लेकिन अधिकांश उपस्थित नहीं हुए। दोबारा नोटिस जारी किए जाने पर तीन उमेश सिन्हा, मीना आदिल और नीरज जैन उपस्थित हुए। नीरज से सिटी कोतवाली रायपुर में सीडी के संबंध में पूछताछ की जा रही है।

शुक्रवार को नर्मदा इंफोटेक एंड विद्युत नाम की कंपनी ने 28 लाख 50 हजार रुपए इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक के खाते में जमा करा दिए हैं। इस कंपनी ने रे एंड रे इंफोटेक कंपनी के नाम से यह राशि जमा कराई है। उम्मीद की जा रही है कि कुछ और कंपनियां इंदिरा बैंक के खाते में जल्द ही निश्चित रकम जमा करवा सकती है।

छत्तीसगढ़ में 17 साल पहले 2006 में इंदिरा प्रियदर्शिनी बैंक का घोटाला उजागर हुआ था। घोटाला उजागर होने के बाद बैंक के मैनेजर उमेश सिन्हा का नार्को टेस्ट, पालीग्राफी टेस्ट और ब्रेन मैपिंग किया गया था। जिसमें कई सफेदपोश लोगों के नाम सामने आए थे। लगभग डेढ़ घंटे की जांच सीडी में कई ऐसे नाम भी शामिल थे जिनका नाम आज तक उजागर नहीं किया गया था।

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