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आपमें विशिष्ट गुण हैं तो याद किए जाएंगे, वरना मरने के 11 दिन में भुला दिए जाएंगे : विराग मुनि

If you have special qualities then you will be remembered, otherwise you will be forgotten within 11 days of death: Virag Muni

रायपुर। व्यक्ति की पहचान उसके विशिष्ट गुणों से होती है। उसे याद भी इसीलिए किया जाता है। वरना इंसान कोई भी हो, मृत्यु के 11 दिन बाद भुला दिया जाता है। एमजी रोड स्थित श्री जैन दादाबाड़ी में श्री विनय कुशल मुनि म.सा. के सानिध्य में चल रहे आत्मस्पर्शीय चातुर्मास में श्री विराग मुनि म.सा. ने ये बातें कही।

उन्होंने कहा कि धर्म-कर्म करने में खुद की इच्छा नहीं रहती। अध्यात्म-पुरुषार्थ के जरिए कर्म को भी बदला जा सकता है। प्रभु महावीर ने भी यही किया था। सतत मन में चलते रहना चाहिए कि हमें चा रित्र लेना है। हम हैं कि संसार में फंस चुके हैं। दिन-ओ-दिन इसमें और धंसते जा रहे हैं। सुख की चाह में हम भौतिक वस्तुओं का राग रखते हैं। वास्तविक आनंद तो आत्मा के राग में है। आत्मा को समझ गए तो मानिए कि जीवन समझ गए। धर्म और शासन के प्रति हमारे भीतर अहोभाव नहीं है, तो इसके पीछे वजह भी ये है कि हमें अब तक सम्यक दर्शन की प्राप्ति नहीं हुई है। धार्मिक क्रियाओं में व्यस्त रहेंगे तो पाप कम होंगे‌। राजस्थान के पाली में पर्यूषण के 8 दिन पूरे शहर की दुकान बंद कर धर्म-आराधना करते हैं। इस तरह के समर्पण बिना कुमार पाल का टाइटल मिलने की उम्मीद रखना बेकार है। भाग्य में जितना लिखा है, उतना ही मिलेगा। पर्यूषण के महत्व को समझकर इन आठ दिनों में कर्मों के बंधन से मुक्त होने के लिए विविध अनुष्ठान कर आत्मा की गति सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।

समर्पण नहीं तो पूजा भी बेकार रोबोट बनकर अनुष्ठान न करें

मुनिश्री ने कहा, मन में समर्पण के भाव नहीं हैं तो आपका धर्म करना भी व्यर्थ है। बिना श्रद्धा पूजा करना ऐसा ही है मानो रोबोट कोई क्रिया कर रहा हो। समर्पण सीखना है तो हनुमान से सीखिए। श्रीराम के प्रति उनके मन में कितना अहोभाव था। उनके रोम-रोम में श्रीराम बसे थे। परमात्मा के प्रति ऐसा समर्पण आपके भीतर भी आए तो कल्याण हो जाए। बोझ लेकर साधना आराधना करते हैं तो ये कैसी पूजा? बगैर भाव की जाने वाली क्रिया को किसी हाल में पूजा तो नहीं कहा जा सकता।

सम्यक दर्शन ऐसी लॉटरी है जो खुल गई तो भव पार हो जाएंगे

मुनिश्री ने कहा, सम्यक दर्शन एक विशिष्ट लॉटरी है। ये खुल गई तो भव पार हो जाएंगे। सम्यक दर्शन का जबरदस्त प्रभाव है। मन के परिणाम, निमित्त और कर्म से पता चलता है कि पूर्व भव में कर्म कैसे रहे होंगे। मन में कभी किसी के प्रति दुर्भाव न लाएं। धर्म की आराधना कर प्रभु चाहिए या भौतिक चकाचौंध के पीछे भागकर कर्मों के जंजाल में फंसे रहना है? ये अब आपको तय करना है। धंधा अच्छा रहे और शरीर स्वस्थ तो अच्छे काम करिए। वास्तविक आनंद भी इसी में आता है।

महान सिद्धि तप के तपस्वियों के अनुमोदनार्थ कल भव्य कार्यक्रम

आत्मस्पर्शीय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष पारस पारख और महासचिव नरेश बुरड़ ने बताया, चातुर्मास के अंतर्गत समाज में जप-तप, साधना-आराधना की झड़ी लग गई है। इसी कड़ी में जारी महान सिद्धि तप के तपस्वियों के अनुमोदनार्थ 26 अगस्त को श्री जैन दादाबाड़ी में भव्य कार्यक्रम रखा गया है। यहां मुंबई से आए प्रसिद्ध संगीतकार नरेंद्र वाणीगोता द्वारा तपस्वियों के अनुमोदनार्थ सुबह 9 बजे से बोली बोली जाएगी। आप भी इसका लाभ उठाकर तपस्वियों की अनुमोदना कर सकते हैं। मुकेश निमाणी और गौरव गोलछा ने बताया कि दादा गुरुदेव इकतीसा जाप के तहत प्रतिदिन रात 8.30 से 9.30 बजे तक प्रभु भक्ति जारी है।

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