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छत्तीसगढ़ का पहला त्यौहार हरेली….हल-बैलों की पूजा, पर्व-त्योहारों की होगी शुरुआत

बलौदाबाजार. छत्तीसगढ के त्यौहारों की बात करे तो हरेली एक ऐसा त्यौहार है जिसके बाद से त्यौहारों की शुरुआत होती हैं, आज के दिन किसान सुबह से ही किसानी कार्य के उपयोग लाने वाले वस्तु नागर, फावड़ा, सब्बल ट्रैक्टर , आदि की सफाई कर पूजा अर्चना कर त्यौहार की शुरुआत करते हैं. हरेली त्यौहार श्रावण मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता हैं. आज के दिन जहां किसान कृषि में उपयोग करने वाले वस्तुओं की पूजा अर्चना करते हैं। वही बच्चों की बात करें तो हरेली त्यौहार को गेडी त्यौहार के रूप में मनाया जाता हैं, बलौदाबाजार जिले के कसडोल नगर अंतर्गत भी किसान सहित बच्चे काफी उत्साहित दिखे त्यौहार को लेकर, वही कसडोल नगर में स्थिति इदरादेवी विद्यालय में शिक्षक और प्रिंसिपल द्वारा बच्चो को आज मनोरंजन हेतु गेड़ी प्रतियोगिता सहित छत्तीसगढ़ी नृत्य और कई तरह का प्रोग्राम रख कर छत्तीसगढ वेषभूषा में स्कूल बुलाया गया।

 

हरेली का त्यौहार श्रावण मास के आमावस्या के दिन मनाया जाता है। आपको बता दे नाम से ही इस त्यौहार का नाम स्पष्ट हो जाता हैं. हरेली का मतलब ही हरियाली हैं, किसान जब खरीब की सीजन में धान फसल की बोनी करते है, और खेत मे धान लहलहाती हुई हरा भरा दिखाई देता है उस वक्त नागर में बैल की मदद से बियासी करने के बाद हरेली पर्व के दिन नागर के साथ अन्य वस्तु साफ सफाई कर पूजा अर्चना किया जाता है। वही छत्तीसगढ़ परम्परा अनुसार हरेली पर्व के दिन गेड़ी दौड़, फुगड़ी, बाटी, भौरा, रंगोली, नारियल फेक प्रतियोगिता भी रखा जाता है।

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