chhattisagrhTrending Nowशहर एवं राज्य

मुख्यमंत्री की योजना का हो रहा असर, कुपोषण मुक्त राज्य बनने की राह पर छत्तीसगढ़, दूरस्थ क्षेत्रों के बच्चे भी हो रहे लाभान्वित

रायपुर। कुपोषित एवं एनीमिया पीडि़त बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिया पीडि़त महिलाओं को कुपोषण एवं एनीमिया से मुक्त कराने के लिए प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ का प्रारंभ किया गया। अभियान का प्रमुख उद्देश्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चे में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना है। इस अभियान की मुख्य बात यह है कि अभियान का क्रियान्वयन जन सहयोग एवं सहभागिता से किया जा रहा है।

यह भी पढ़े – गोधन न्याय योजना” से लाखों ग्रामीणों को हुआ लाभ, मिला आय का एक नया मार्ग, मवेशियों द्वारा खुले चराई की समस्या से भी निजात

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की जनहितकारी योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान से प्रदेश के करोड़ों बच्चे और महिलाएं लाभान्वित हो रहे हैं। इस योजना से प्रदेश में कुपोषण दर कम करने में बड़ी सफलता मिली है। साथ ही कुपोषण से जुड़ी बिमारियों के चलते मृत्यु दर में भी गिरावट आई है। बता दें कि, वजन तिहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, प्रदेश में लगभग 9.70 लाख बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। मार्च 2020 तक, लगभग 67,889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं, जो लगभग 13.79% की कमी है। वहीं, इस बीमारी से सबसे अधिक दूरस्थ वनांचल क्षेत्र के बच्चे पीड़ित थे, जिन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कल्याणकारी योजना से लाभ मिला है।

यह भी पढ़े – Chhattisgarh : CM Bhupesh Baghel ने ‘मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ी पर्व सम्मान निधि योजना’ का किया शुरुआत, जो 6111 ग्राम पंचायतों को मिलेंगे ये फायदे…

दरअसल महात्मा गांधी के 150वीं जन्म दिवस पर 02 अक्टूबर से 0 से 5 आयु वर्ग के कुपोषित एवं एनीमिया पीडि़त बच्चों और 15 से 49 आयु वर्ग की एनीमिया पीडि़त महिलाओं को कुपोषण एवं एनीमिया से मुक्त कराने के लिए प्रदेश में ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ का प्रारंभ किया गया। अभियान का प्रमुख उद्देश्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चे में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना है। इस अभियान की मुख्य बात यह है कि अभियान का क्रियान्वयन जन सहयोग एवं सहभागिता से किया जा रहा है। इस अभियान के क्रियान्वयन में होने वाले व्यय की प्रति पूर्ति जिला स्तर पर उपलब्ध खनिज न्यास निधि एवं सी.एस.आर. मद तथा जन सहयोग से प्राप्त धनराशि से किया जा रहा है। इसके लिए मुख्यमंत्री सुपोषण निधि का गठन भी किया गया है।

यह भी पढ़े – International Labour Day 2023: श्रम दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री की बोरे-बासी योजना, श्रमिकों के लिए सम्मान, है इसके कई लाभ….

जानिए क्या है मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान
छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्‍यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ने प्रदेश में बच्‍चों और महिलाओं को सेहत एवं उनके स्वास्थ्य तथा अनेक प्रकार की बीमारीयों से बचाने के लिए मुख्‍यमंत्री सुपोषण अभियान योजना की शुरूआत की है। जिसके अतंर्गत राज्‍य के गरीब परिवार के बच्‍चों व महिलाओ को पौष्टिक आहार उपलब्‍ध कराया जाएगा। योजना के तहत कई बच्‍चो व महिलाओ को अलग-अलग पौष्टि खाना दिया जाएगा। जिसे खाने से बच्‍चो में कुपोषण दूर होगी और महिलाओ में एनीमिया जैसी बीमारी दूर होगी। नीती आयोग के जांच के मुताबित राज्‍य में 5 वर्ष से कम आयु के बच्‍चे 37.6 % कुपोषण का शिकार है। तथा 41.50 % औरतें एनीमिया रोग से पीडि़त है। कई बार इस बीमारी से पीडित होने के कारण इनकी मृत्‍यु भी हो जाती है। इस योजना के प्रयासों से राज्‍य के बच्‍चों में कुपोषण को दूर करने में बड़ी सफलता हासिल हुई है। तथा साल 2021 तक राज्‍य में एक तिहाई अर्थात 32 % बच्‍चों को कुपोषण जैसी बीमारी से मुक्ति‍ दिलाई है। और आने वाले समय में इस अभियान के तहत राज्‍य के बच्‍चों को कुपोषण रहति कर दिया जाएगा।

यह भी पढ़े – राज्य सरकार की योजना का हो रहा लाभ, तेंदूपत्ता संग्राहक परिवारों को मिल रही सामाजिक सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक मदद, मुश्किल वक्त पर भी संभल रहे परिवार

क्या है इस योजना का उद्देश्य


अभियान का प्रमुख उद्देश्य 06 वर्ष आयु तक के बच्चे में कुपोषण एवं एनीमिया तथा 15 से 49 आयु वर्ग की महिलाओं को एनीमिया से मुक्त करना है। अभियान अंतर्गत प्रदेश के लगभग 1.85 लाख हितग्राहियों को गर्म भोजन एवं 3.53 लाख हितग्राहियों को अतिरिक्त पोषण आहार के रूप में अण्डा, चिकी, लड्डू, मूंगफली, दलिया आदि प्रदान किया जा रहा है।इसके अतिरिक्त एनीमिक बच्चे एवं महिलाओं के आई.एफ.ए. अथवा सिरप कृमि नाशक दवा एवं व्यवहार तथा खान पान में सकारात्मक परिवर्तन के लिए परामर्श सेवाएँ दी जा रही है।

2.61 लाख से भी अधिक बच्चे हुए कुपोषण मुक्त


छत्तीसगढ़ राज्य में कुल कुपोषित बच्चों की संख्या में 13.79% की गिरावट है। वर्ष 2019 में आयोजित वजन तिहार से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, लगभग 9.70 लाख बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे। मार्च 2020 तक, लगभग 67,889 बच्चे कुपोषण से मुक्त हो गए हैं, जो लगभग 13.79% की कमी है। यह कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी जीत है। साथ ही राष्ट्रीय परिवार सर्वेक्षण 4 के अनुसार, 5 वर्ष से कम आयु के 37.7% बच्चे कुपोषण से पीड़ित थे और 15 से 49 वर्ष की आयु की 47% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित थीं। आंकड़ों के अनुसार, 9.7 लाख बच्चे कुपोषित थे, जिनके आंकड़ों में सुधार हुआ है। इनमें से अधिकांश आदिवासी और दूरदराज के वन क्षेत्रों के बच्चे थे। वहीं, अब तक प्रदेश के 2 करोड़ 61 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण मुक्त हो चुके हैं।

28,78,000 लाभार्थियों को पौष्टिक भोजन का वितरण

इस अभियान के तहत कुपोषित महिलाओं और बच्चों को स्थानीय मुफ्त पौष्टिक भोजन और गर्म पका हुआ भोजन वितरित किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, आंगनवाड़ी केंद्र में चिन्हित बच्चों को पूरक पौष्टिक भोजन का वितरण किया जाता है। एनीमिया प्रभावित लोगों को आयरन, फॉलिक एसिड, एंटीहेल्मिनट टैबलेट दी जा रही है। COVID-19 के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के लिए सभी आंगनवाड़ी और मिनी आंगनवाड़ी केंद्रों को बंद कर दिया गया है। ऐसी स्थिति में, बच्चों और महिलाओं के पोषण स्तर को बनाए रखने के लिए, सीएम ने आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं की मदद से राज्य के 51,455 आंगनवाड़ी केंद्रों के लगभग 28,78,000 लाभार्थियों को तैयार पौष्टिक भोजन का वितरण सुनिश्चित किया है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत, लाभार्थियों को पके हुए भोजन के स्थान पर सूखे राशन वितरित करने की व्यवस्था की गई है।

योजना की विशेषताएं


इस योजना के तहत राज्‍य के बच्‍चो व महिलाओ को पौष्टिक आहार का लाभ दिया जाएगा। यह कुपोषित बच्‍चो को सुपोषित बनाने का अभियान है तथा इससे उत्‍पन्‍न होने वाली बीमारीयो पर रोक लगाना है। साथ ही एनीमिया रोग से ग्रसित महिलाओं को इस बीमारी से मुक्‍त कराना है।
मुख्‍यमंत्री सुपोषण योजना का लाभ राज्‍य की 15 वर्ष से लेकर 49 वर्ष तक की आयु की महिलाओ व किशोरियो को इस योजना के तहत पौष्टिक आहार प्रदान किया जाएगा। इसके अलावा 6 वर्ष तक की आयु वाले बच्‍चो को कुपोषण जैसे बीमारी से पीडित होने से बचाना तथा पौष्टिक खाना प्रदान करना है।
इस योजना के तहत 3 वर्ष से लेकर 6 वर्ष तक की आयु के बच्‍चो को तथा गर्भव‍ती महिलओं और 6 माह तक के दुधमुह शिशु की माताओ को उबला अण्‍ड़ा और सोयाबीन की बड़ी दी जाती है। इसके अलावा बच्‍चों को मूंगफली और गुउ से बने हुए लड्डू भी दिया जाता है। तथा गर्भवती स्त्रियों को पौष्टिक आहार का पैकेज दिया जाता है।

Advt_160oct2024
Advt_19_09
cookies_advt2024_08
advt_001_Aug2024
july_2024_advt0001
Share This: