ECONOMIC SURVEY : 2023-24 में से 6 से 6.8 फीसदी आर्थिक विकास दर रहने का अनुमान, बजट से पहले पढ़ें यह रिपोर्ट

ECONOMIC SURVEY: Economic growth rate estimated to be 6 to 6.8 percent in 2023-24, read this report before the budget
नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आर्थिक सर्वेक्षण के रिपोर्ट को सदन के पटल पर पेश किया. आर्थिक सर्वे में 2023-24 में से 6 से 6.8 फीसदी आर्थिक विकास दर रहने का अनुमान जताया गया है. मौजूदा वित्त वर्ष 2022-23 में आर्थिक विकास दर 7 फीसदी रहने का अनुमान है. बीते वर्ष जब 2021-22 के लिए आर्थिक सर्वे रिपोर्ट पेश किया गया था तब 2022-23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 8 से 8.5 फीसदी के दर से विकास करने का अनुमान जताया गया था. लेकिन 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध और वैश्विक आर्थिक संकट के चलते आर्थिक विकास दर अनुमान से कम रह सकता है. 2021-22 में देश का जीडीपी 8.7 फीसदी रहा था.
अगले दशक में तेज होगी विकास की रफ्तार –

आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि एक बार महामारी के झटके और रूस यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते कमोडिटी के दामों में आई उछाल से राहत मिली तो भारतीय अर्थव्यवस्था अगले दशक में तेज गति से विकास करेगा. सर्वे के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था का आउटलुक कोरोना पूर्व सालों से बेहतर है और आने वाले समय में अपने पूरे क्षमता के साथ विकास करेगा. सर्वे में ये भी कहा गया है कि कोविड-19, रूय-यूक्रेन युद्ध और महंगाई पर नकेल कसने के लिए फेड रिजर्व की अगुवाई में दुनिया भर के सेंट्रल बैंकों द्वारा कर्ज महंगा करने जैसे तीन झटके लगे हैं जिससे चालू खाटे का घाटा बढ़ा है तो रुपया कमजोर हुआ है इसके बावजूद दुनिया की सारी एजेंसियों का मानना है कि भारत दुनिया में सबसे तेजी 6.5 से 7 फीसदी के दर 2022-23 में विकास करेगा.
क्यों ग्रोथ रेट में आएगी तेजी! –
सर्वे के मुताबिक ग्रोथ के बेहतर अनुमान की कई वजहें हैं. निजी खपत में तेजी है जिससे प्रोडक्शन एक्टिविटी को बढ़ावा मिल रहा है. पूंजीगत खर्च के लिए ज्यादा पैसे का प्रावधान किया गया है. सभी को वैक्सीन देने के चलते लोग अब रेस्ट्रां, होटल्स, शॉपिंग मॉल्स और सिनेमा जैसे कॉंटैक्ट बेस्ड सर्विसेज पर ज्यादा पैसे खर्च कर रहे हैं. साथ ही माइग्रेंट वर्कर्स शहरों में कंस्ट्रक्शन साइट्स पर लौट रहे हैं जिससे हाउसिंग मार्केट के इवेंटरी में भारी कमी आई है. कॉरपोरेट्स के वैलेंसशीट में सुधार हुआ है तो पब्लिक सेक्टर बैंकों के पास पर्याप्त कैपिटल है जिससे वे ज्यादा कर्ज देने के लिए तैयार हैं और कर्ज एमएसएमई को भी ज्यादा कर्ज उपलब्ध होगा. समीक्षा में कहा गया है कि मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अधिक मौके तैयार करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि जरूरी है.
रुपये में कमजोरी पर सर्वे ने किया आगाह –
आर्थिक सर्वे में डॉलर के मुकाबले रुपये में आई कमजोरी पर चिंता जाहिर की गई है. रिपोर्ट में कहा गया कि रुपये ने डॉलर के मुकाबले दुनिया की दूसरी करेंसी के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन अमेरिका के सेंट्रल बैंक ने ब्याज दरों में और बढ़ोतरी की तो रुपया और कमजोर हो सकता है. सर्वे के मुताबिक वैश्विक कमोडिटी के दामों में तेजी और बारती अर्थव्यवस्था के तेज विकास के चलते चालू खाते का घाटा बढ़ सकता है. वैश्विक आर्थिक ग्रोथ में गिरावट और ट्रेड के घटने के चलते एक्सपोर्ट में कमी आ सकती है. सर्वे के मुताबिक 2023 में ग्लोबल ग्रोथ रेट में गिरावट आ सकती है.
महंगाई अभी भी है ज्यादा! –
सर्वे में कहा गया कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के चलते कमोडिटी के दामों में आए तेजी उछाल के चलते कीमतों के युद्ध पूर्व के लेवल पर आना अभी बाकी है. सर्वे के मुताबिक खाने-पीने की उच्च कीमतों और हाई एनर्जी प्राइसेज के चलते महंगाई अभी भी ज्यादा बनी हुई है. आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि खुदरा महंगाई दर एक बार फिर आरबीआई के टोलरेंस बैंड के भीतर आ गया है. नवंबर 2022 में खुदरा महंगाई दर आरबीआई के टोलरेंस बैंड 6 फीसदी से नीचे आ गया था जो दिसंबर 2022 में और घटकर 5.72 फीसदी रहा है.
रिपोर्ट में कहा गया कि 2022 में विकसित देशों में 3 से 4 दशक में सबसे ज्यादा महंगाई देखने को मिली. लेकिन भारत ने कीमतों पर लगाम लगाने में सफलता हासिल की है. अप्रैल 2022 में खुदरा महंगाई दर 7.8 फीसदी पर जा पहुंचा था दुनिया में सबसे कम 6 फीसदी के नीचे आ चुका है. सर्वे के मुताबिक महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी घटाने से लेकर कई वस्तुओं के आयात पर जीरो टैक्स किया गया. गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई गई. पाम ऑयल, सोयाबीन ऑयल और क्रूड सनफ्लावर ऑयल के आयात पर इंपोर्ट ड्यूटी घटाया गया.