CHARGE SHEET : बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह के खिलाफ एक हजार पन्नों की चार्जशीट की बड़ी बातें ..

CHARGE SHEET: Big things of one thousand page charge sheet against BJP MP Brij Bhushan Sharan Singh ..
पहलवानों के यौन शोषण के आरोपों का सामना कर रहे बीजेपी सांसद बृज भूषण शरण सिंह को बड़ी राहत मिल गई है. दिल्ली पुलिस ने नाबालिग के यौन शोषण के आरोपों पर बृजभूषण को क्लीन चिट दे दी है. गुरुवार को पुलिस द्वारा कोर्ट में 1 हजार से अधिक पन्नों की चार्जशीट दाखिल की गई. साथ ही दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पहलवान से यौन शोषण के आरोप को खारिज करने की कोर्ट में अर्जी दी है. दिल्ली पुलिस के मुताबिक नाबालिग पहलवान के आरोप पर कोई सबूत नहीं मिले हैं.
बृजभूषण सिंह के खिलाफ दायर चार्जशीट में पुलिस ने बताया है कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत पीड़ितों द्वारा दिया गया बयान दो आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट करने का मुख्य सबूत है. नाबालिग के बयान पर, पुलिस उसे कथित अपराध के उक्त स्थान पर ले गई, उन्हें कोई भी सुनसान जगह नहीं मिली, जहां अपराध हो सकता था. पीड़ितों द्वारा प्रदान किए गए डिजिटल साक्ष्य अपराध के कथित स्थान पर अभियुक्तों की उपस्थिति को स्थापित करते हैं. पीड़ितों ने अपने आरोपों के समर्थन में पांच (लगभग) तस्वीरें दी हैं.
सिर्फ सात गवाह पीड़ितों के साथ
चार्जशीट में पुलिस ने आगे कहा कि दो दर्जन गवाहों में से लगभग सात ने पीड़ितों के दावों का समर्थन किया है, बाकी आरोपियों के पक्ष में बोले हैं. वे ट्रायल के दौरान क्रॉस एक्जामिनेशन के अधीन होंगे. दूसरे देशों के कुश्ती महासंघों से डिजिटल साक्ष्य मिलने के बाद पुलिस एक पूरक आरोपपत्र दायर करेगी. पुलिस ने आरोपी और पीड़िता का पिछले दस साल का सीडीआर मांगा है. यह एक बड़ा दस्तावेज है.
गंभीर आरोपों के बावजूद गिरफ्तारी क्यों नहीं?
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरनेश कुमार के एक जजमेंट के मुताबिक, 7 साल से कम सजा वाली धाराओं में गिरफ्तारी जांचकर्ता के खुद के विवेक पर निर्भर करती है. अगर, आरोपी जांच में सहयोग करता है तो गिरफ्तारी जरूरी नहीं. यहां गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली पुलिस का कहना है कि बृजभूषण सिंह को जब भी जांच संबंधी सम्पर्क किया गया, उन्होंने पूरा सहयोग किया, इसीलिए उनकी गिरफ्तारी की कोई खास वजह नहीं थी.
दिल्ली पुलिस की चार्जशीट से जुड़ी अन्य बड़ी बातें-
1. दिल्ली पुलिस ने 6 बालिग महिला पहलवानों के 164 के बयानों (मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान) के आधार पर बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ IPC 354, 354A, 354D के तहत दिल्ली की राऊज एवेन्यु कोर्ट में चार्जशीट दायर की.
2. इसी मामले में बृजभूषण के साथ सह-आरोपी विनोद तोमर के खिलाफ IPC 109, 354, 354A, 506 के तहत चार्जशीट दाखिल की गई.
3. ये चार्जशीट करीब 1 हजार पन्नो से ज्यादा की है.
4. ये चार्जशीट महिला पहलवानों के बयानों और करीब 21 से 25 अन्य गवाहों के बयानों पर आधारित है.
5. चार्जशीट में महिला पहलवानों द्वारा SIT को मुहैया करवाये गए फोटो और अन्य डिजिटल एविडेंस पेन ड्राइव के जरिये कोर्ट को मुहैया करवाये गए हैं.
6. ये चार्जशीट राऊज एवेन्यु कोर्ट में ड्यूटी एमएम के सामने पेश की गई, जिस पर 22 जून को CMM कोर्ट में सुनवाई होगी.
7. पॉक्सो के तहत नाबालिग पहलवान द्वारा दर्ज करवाई गई FIR में पटियाला हाउस कोर्ट में कैंसीलेशन रिपोर्ट दायर की गई है.
8. सूत्रों के मुताबिक, वजह है कि नाबालिग महिला पहलवान और उसके पिता ने यौन शोषण के अपने आरोप वापस ले लिए थे.
9. सूत्रों के मुताबिक, नाबालिग महिला पहलवान ने बयान वापस लेते हुए दलील दी थी कि मेरा सिलेक्शन नहीं हुआ था, मैंने बहुत मेहनत की थी, मैं डिप्रेशन में थी, इसीलिए गुस्से में यौन शोषण का मामला दर्ज करवाया था.
10. अब इस मामले पर पटियाला हाउस कोर्ट में 4 जुलाई को सुनवाई होगी.
बृजभूषण पर लगी कौन-सी धारा और कितनी है सजा?
354ए: Sexual Harassment (3 साल तक की सजा और जुर्माना. ये जमानती धारा है)
354: Outrage of Modesty of Women (1 से 5 साल तक की सजा और जुर्माना. ये गैर-जमानती धारा है?
354डी: Stalking (3 से 5 साल तक की सजा. ये जमानती धारा है)
POCSO केस वापसी के लिए अर्जी दाखिल
दिल्ली पुलिस ने नाबालिग पीड़िता के बयान बदलने और यौन शोषण के आरोपों को वापस लेने के बाद पोस्को केस की रिपोर्ट पटियाला हाउस कोर्ट में फाइल की थी. साथ ही पुलिस ने पटियाला हाउस कोर्ट में POCSO केस वापस लेने की अर्ज़ी दाखिल करते हुए कहा कि नाबालिग पहलवान के आरोप के सबूत नही मिले हैं. पटियाला हाउस कोर्ट 4 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा.
कैंसिलेशन रिपोर्ट क्या है?
शिकायतकर्ता द्वारा 156(3) के तहत कोर्ट के माध्यम से FIR दर्ज करता है और अगर पुलिस अधिकारी ने मामले की जांच की और FIR को रद्द करना है तो कोर्ट में इसे रद्द करने की रिपोर्ट पेश की जाती है. पॉक्सो के मामले में पुलिस ने यही कैंसिलेशन रिपोर्ट कोर्ट में पेश की है. अब कोर्ट मामले की सुनवाई करते हुए पॉक्सो की धारा हटाने के निर्देश देगा.