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CG BREAKING : शराब के नशे में उटपटांग हरकत, शराबी IAS आब्जर्बर की छुट्टी

CG BREAKING: Drunken IAS Observer misbehaved under the influence of alcohol, discharged

रायपुर। शराब के नशे में उटपटांग हरकत करने वाले बस्तर संभाग के एक आब्जर्बर की चुनाव आयोग ने छुट्टी कर दी है। उनकी जगह पर दूसरे आब्जर्बर को भेजा गया है। जिला कलेक्टर की रिपोर्ट पर भारत निर्वाचन आयोग ने यह कार्रवाई की है।

मामला हालांकि 10 दिन पुराना है। आईएएस लॉबी ने बिरादरी की बदनामी के डर से इसे मीडिया में नहीं आने दिया। जब नया आर्ब्जबर ज्वाईन कर लिया तब जाकर पता चला कि पुराने वाले की छुट्टी हो गई है। दरअसल, चुनाव का ऐलान होने पर निर्वाचन आयोग ने छत्तीसगढ़ में तीन दर्जन से अधिक सामान्य प्रेक्षक नियुक्त किए थे। इनमें बस्तर के एक धुर नक्सल प्रभावित जिले में 2006 बैच के एक आईएएस को आब्जर्बर बनाया गया। 2006 बैच मतलब सिकरेट्री लेवल का। छत्तीसगढ़ में इस बैच के अंकित आनंद, दयानंद, एस भारतीदासन, भुवनेश यादव, सीआर प्रसन्ना और एलेक्स पाल मेनन सिकरेट्री बन चुके हैं। आमतौर पर सिकरेट्री लेवल के आईएएस को आब्जर्बर नहीं बनाया जाता। मगर राज्य सरकार जिन आईएएस अधिकारियों से नाराज रहती हैं, उन्हें चुनाव में आब्जर्बर बनाकर बाहर भेज देती हैं। इसी वजह से नार्थ इस्ट कैडर के उस आईएएस का नाम आर्ब्जबर के लिए प्रस्तावित किया गया और आयोग ने उसे बस्तर में प्रेक्षक बना दिया।

चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है, आब्जर्बर को पीने का कोई टाईम नहीं था। सुबह चाय के टाईम में व्हीस्की पीते थे, दोपहर में बीयर और शाम को वोदका। उनकी गड्डी में बोतल, गिलास के साथ ही चखना के तौर पर काजू, बादाम रखा रहता था। अब आदमी नशे में चौबीस घंटे टुन्न रहेगा तो जाहिर है तो हरकतें तो सामान्य नहीं रहेगी न। बात-बात पर प्रशासन और पुलिस अधिकारियों को हड़काना, मीटिंगों में टाईम से नहीं पहुंचना, किसी भी कागज पर दस्तखत नहीं करना…इससे परेशान होकर कलेक्टर ने राज्य के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रीना बाबा कंगाले से शिकायत की। रीना ने उनकी शिकायत निर्वाचन आयोग को भेज दिया। आयोग में भी कोई 2006 बैच के आईएएस बैठे हैं…उन्होंने अपने बैचमेट को बचाने का पूरा प्रयास किया। कलेक्टर को ही फोन करके लगे बताने…वो हमारा बैचमेट है…वो ऐसा नहीं है। जब दिल्ली से कलेक्टर को फोन आया, उस समय शराब के नशे में धुत होकर आब्जर्बर कलेक्टर के चेम्बर में ही बैठे थे। कलेक्टर ने कहा, सर…मैं आर्ब्जर महोदय से आपकी बात करा देता हूं। मोबाइल हाथ में लेते ही आब्जर्बर जुबां लड़खड़ाते हुए अपने बैचमेट पर ही बरस पड़े…मुझे नहीं कराना है चुनाव…मैं सबको देख लूंगा। इस वाकये के बाद आब्जर्बर को भला कौन बचाता। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने उनकी छुट्टी कर दी।

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