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युवा किसाकी बीज संवर्धन की नई पहल बनी मिशाल…बाड़ी में चार फीट लम्बे स्नेक गार्ड का फली बना कौतूहल

 

संवाददाता संजय महिंलांग —

नवागढ़/बेमेतरा। क्या आपने कभी 4 से 5 फीट या इससे अधिक लंबाई की स्नेक गार्ड (चिचिंडा ) सब्जी देखी है, इस तरह की सब्जी को लगाकर नवागढ़ निवासी किशोर राजपूत ने अपने क्षेत्र में चर्चा का विषय बने हुए हैं सालों से अपने आवासीय परिसर बाड़ी में खाली जमीन पर देसी सब्जी उगाते आ रहे हैं खास बात यह है कि जैविक खाद के उपयोग से तैयार की गई है सब्जी पौष्टिक होने के साथ ही स्वादिष्ट और औषधीय गुणों से युक्त भी होती हैं।

देसी बीजों के संरक्षण,संवर्धन के विषय में कार्य करने वाले युवा किसान किशोर राजपूत ने बताया कि वर्तमान में गंदे पानी और रासायनिक खादों का अधिकाधिक उपयोग कर सब्जियां उगाई जा रहे हैं ऐसे सब्जियों को खाने से लोग शरीर में बीमारियां पाल रहे हैं परिवार के लोगों को रोगों के इस खतरे से बचाने के लिए सालों पहले आवासीय परिसर में खाली पड़े बाड़ी में देशी बीजों से सब्जियां उगाना शुरू किया इसके लिए उन्होंने कभी रासायनिक खादों का उपयोग नहीं किया बल्कि गाय के गोबर की खाद आदि का उपयोग किया गया यही कारण कारण है कि बाजार में मिलने वाले सब्जियों से यह कहीं अधिक पौष्टिक और खाने में स्वादिष्ट होती है वे हर मौसम की सब्जी जरूर उगाते हैं ।

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) का परिचय

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) भारत में आसानी से मिलने वाली एक प्रकार की शाक (सब्जी) है। यह अच्छी वर्षा वाले इलाकों में लता के रूप में पाई जाती है। स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) का प्रयोग सामान्य तौर पर भोजन के लिए होता ही है। इसके साथ ही स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) का उपयोग औषधीय गुणों के लिए भी किया जाता है। अनेक प्रकार के रोगों में उपचार के लिए स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) के इस्तेमाल की सलाह दी जाती है।

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) के फल भूख को बढ़ाने वाले होते हैं। इस लता में औषधीय गुण इतनी अधिक होती है कि इसके फल, फूल, पत्ते, जड़, पंचांग आदि सभी अंगों का प्रयोग चिकित्सा के लिए किया जाता है।

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) क्या है

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) की लताएं लम्बी होती हैं। इनमें कई शाखाएं भी शाखाएं होती हैं। ये लताएं जमीन पर भी फ़ैल सकती हैं और वृक्षों पर चढ़ने में भी सक्षम होती है। इसका कंद लम्बा तथा बेलनाकार होता है। इस पर धारियां बनी होती हैं। यह चारों तरफ ही फैलने वाली होती हैं। ये कंद दो-तीन भागों में बंटे हुए होते हैं।

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) के पत्ते कोमल और 5 से 8 सेमी लम्बाई के होते हैं। इन पत्तों में 5 कोण होते हैं। इन पत्तों का आकार मानव के हृदय जैसा या बहुत हद तक गुर्दे के आकार जैसा होता है।

पत्तों के चारों ओर कठोर रोएँ घिरे होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के होते हैं। इसके फल 30 से 90 सेमी तक लम्बे होते हैं। नये फल हरे रंग के होते हैं। पकने पर ये फल चमकीले नारंगी रंग के हो जाते हैं। इसमें काफी संख्या में बीज होते हैं। बीज दबे हुए से, नुकीले, अण्डे के आकार के होते हैं।

स्नेक गार्ड (चिचिण्डा) के अन्य नाम

चिचिण्डा कुकुरबिटेसी कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ट्रिकोसैन्थीज ऐन्गुइना है। वनस्पति विज्ञान में इसे आदि नामों से भी जाना जाता है। चिचिण्डा को अंग्रेजी में (स्नेक गॉर्ड) कहते हैं। अंग्रेजी में इसके लिए क्लव गोर्ड सर्पेन्ट गोर्ड तथा सर्पेन्ट कुकम्बर जैसे नाम भी व्यवाहर में हैं।

स्नेक गार्ड चिचिण्डा के फायदे एवं उपयोग

स्नेक गार्ड चिचिण्डा का औषधीय प्रयोग इस तरह से किया जा सकता है-

स्नेक गार्ड (चिचिंडा) के प्रयोग से कब्ज की परेशानी में आराम

चिचिण्डा की रुखाई कब्ज के रोगियों के लिए लाभदायक होती है।

चिचिण्डा के फलों की सब्जी बनाकर खाने से पाचन आसान हो जाता है और कब्ज में बहुत लाभ होता है।

चर्म रोगों के इलाज में करें चिचिंडा का इस्तेमाल

चिचिण्डा वात-पित्त को नियंत्रित करता है। यह त्वचा के विकारों को भी दूर करता है। इसके फलों की शाक बनाकर सेवन करने से चर्म रोगों में लाभ होता है।

टीबी रोग या क्षय रोग में चिचिंडा के सेवन से लाभ

स्नेक गार्ड चिचिण्डा का गुण इसे कई रोगों में उपयोगी बनाता है। इनमें से एक रोग टीबी या क्षयरोग है। चिचिण्डा के फल और शाक (सब्जी) टीबी या क्षय रोग में बेहतर काम करते हैं। इनका नियमित सेवन किया जाना चाहिए।

सूजन को कम करने के लिए करें चिचिंडा का उपयोग

चिचिण्डा के फलों को पीसकर इसका लेप सूजन के ऊपर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

इस्तेमाल के लिए चिचिण्डा के उपयोगी हिस्से

चिचिण्डा के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।

जड़,पत्ते,फल,पञ्चाङ्ग

*चिचिण्डा के सेवन की मात्रा*
रस – 10-20 मिली,
काढ़ा – 20-40 मिली
चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है*

स्नेक गार्ड चिचिण्डा के प्रयोग के नुकसान

अब तक हमने जाना कि चिचिण्डा का उपयोग कब्ज को मिटाता है और भूख को बढ़ाता है, लेकिन इसके उपयोग से कुछ नुकसान भी होते हैं, जो ये हैंः-

यदि इसका सेवन कुछ दिनों तक लगातार किया जाए तो यह याददाश्त को कमजोर कर देता है।

इसके ज्यादा मात्रा में सेवन से गैस बनती है

चिचिंडा कहां पाई या उगाई जाती है

चिचिण्डा की खेती
उष्णकटिबंधीय जलवायु में होती है। यह उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब में उपजाई जाती है।

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