बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने दयालबंद क्षेत्र में आम रास्ता बंद करने के मामले में शासन के जवाब पर कड़ी नाराजगी जताई है। अदालत ने कहा कि प्रशासन ने कार्रवाई केवल शिकायत मिलने के बाद की, जो रोकथाम और निगरानी की कमी को दर्शाता है।
मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी. डी. गुरू की खंडपीठ ने टिप्पणी की कि सार्वजनिक मार्गों पर अवैध कब्जे बार-बार हो रहे हैं, जिससे आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ती है।
अदालत ने बिलासपुर कलेक्टर को निर्देश दिया है कि वे एक नया शपथपत्र दाखिल करें, जिसमें पब्लिक रास्तों और पगडंडियों पर अवरोध रोकने के लिए स्थायी समाधान के कदमों का उल्लेख हो। साथ ही, इन मार्गों की पहचान, रखरखाव और सुरक्षा के लिए उठाए जा रहे उपायों का विवरण भी शामिल किया जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई 18 नवंबर को निर्धारित की गई है।
