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बाल सुधार गृह में बच्चों को नहीं परोसी जाएंगी ये चीजें, विरोध के बाद महिला एवं बाल विकास का यू-टर्न, आदेश वापस

भाेपाल। मध्य प्रदेश के बाल सुधार गृहों में और बाल संप्रेक्षण गृहों में बच्चों को अब चिकन और अंडा नहीं परोसा जाएगा। विरोध के चलते महिला एवं बाल विकास विभाग ने यू-टर्न लेते हुए पूर्व के आदेश को वापस ले लिया है। अब यहां सिर्फ शाकाहार ही परोसा जाएगा। महिला एवं बाल विकास विभाग में 25 अगस्त को जारी किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण संबंधी नियमों में अंडा और चिकन परोसने का उल्लेेख किया गया था। अब चिकित्सक की सलाह पर भी यहां रहने वाले बच्चों को अंडा या चिकन नहीं दिया जाएगा।

मालूम हो महिला एवं बाल विकास का आदेश जारी होने के साथ गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने स्पष्ट कह दिया था कि मध्यप्रदेश में अंडे का फंडा नहीं चलेगा। अन्य सामाजिक संगठनों ने भी विभाग के आदेश का विरोध किया। इसके बाद महिला एवं बाल विकास विभाग को आदेश वापस लेना पड़ा। ज्ञात हाे कि महिला एवं बाल विकास विभाग में 25 अगस्त को जारी किशोर न्याय बालकों की देखरेख और संरक्षण संबंधी नियमों में 7 सितंबर को संशोधन करते हुए पूर्व में इस संबंध में जारी सभी निर्देशों को विलोपित कर दिया है।

साथ 25 अगस्त को जारी महिला बाल विकास के किशोर न्याय बोर्ड संबंधी नियमों में नियम 36 की कंडिका तीन के सरल क्रमांक 15 को पूरी तरह विलोपित कर दिया गया है। पहले इसमें बाल सुधार गृह के मांसाहारी बच्चों को अंडे और चिकन परोसने का प्रावधान किया गया था। वही नियम 36 की कंडिका तीन के सरल क्रमांक 16 में शाकाहारी शब्द का लोप करते हुए इसे सभी बच्चों के लिए लागू करने का निर्णय लिया गया है।

महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस संबंध में पूर्व में जारी नियम 36 की कंडिका 6(2) और 8(3) भी विलोपित कर दी है। अब गैर शाकाहारी दिवसों पर शाकाहारी बालकों को प्रति व्यक्ति 60 ग्राम गुड़ और 60 ग्राम मूंगफली लड्डू के आकार में या अन्य कोई स्वदेशी या 100 ग्राम पनीर या न्यूट्री नगेट्स देने संबंधी प्रावधान को समाप्त कर दिया है। इसी नियम की कंडिका 8(3)के तहत पहले दूध अंडे चीनी फलों जैसे पोषण का अतिरिक्त आहार नियमित आहार के अलावा संस्था के चिकित्सक की सलाह पर जारी किए जाने का प्रावधान किया गया था। अब चिकित्सक की सलाह पर भी अंडा या चिकन नहीं दिया जाएगा।

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