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देश को स्वाधीन कराने तथा राष्ट्र व समाज के नव निर्माण में आदिवासियों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण: CM बघेल

  • कोलिहामार गुरुर में आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह में शामिल हुए मुख्यमंत्री
  • नारागांव के चार स्वतन्त्रता संग्राम सेनानियों के प्रतिमा स्थापित करने तथा शासकीय महाविद्यालय गुरुर का नामकरण स्व.डारन बाई तारम के नाम से करने की घोषणा
  • आदिवासी सामुदायिक भवन का निर्माण, मुख्य मार्ग गुरूर में शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा की स्थापना, प्री.मैट्रिक छात्रावास एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के जीर्णाेद्धार सहित विभिन्न विकास कार्यों की दी सौगात

रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि देश को स्वाधीन कराने तथा राष्ट्र व समाज के नवनिर्माण में आदिवासी समाज की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। श्री बघेल ने कहा कि पूरे देश की भांति हमारे छत्तीसगढ़ में भी शहीद गुण्डाधुर, परलकोट के जमींदार शहीद गैंदसिंह नायक, सोनाखान के जमींदार शहीद वीर नारायण सिंह सहित अनेक आदिवासी महापुरूषों एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति का शंखनाद कर अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। उन्होंने आदिवासी समाज को शांत, सरल एवं मेहनतकश समाज बताते हुए कहा कि हमारी सरकार आदिवासियों के विकास एवं उनके हितों के संरक्षण के लिए कटिबद्ध है। इस अवसर पर उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को विश्व आदिवासी दिवस की बधाई एवं शुभकामनाएॅ भी दी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल आज बालोद जिले के गुरूर विकासखण्ड के ग्राम कोलिहामार में आदिवासी गांेडवाना सेवा समिति तहसील गुरूर द्वारा आयोजित विश्व आदिवासी दिवस समारोह के अवसर पर अपना उद्गार व्यक्त कर रहे थे। श्री बघेल कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। कार्यक्रम में महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया, संसदीय सचिव एवं गोण्डवाना समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिशुपाल शोरी, संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद, संजारी-बालोद की विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा, गोंडवाना समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री नीलकंठ टेकाम सहित अन्य अतिथिगण उपस्थित थे।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने ग्राम नारांगाव के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्व. सुकालू राम कड़ियाम, स्व.बिसाहू राम गायकवाड़, स्व.पीताम्बर मंडावी, स्व.सरजू राम मंडावी सहित चारों स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के स्मृति को चिरस्थायी बनाने हेतु उनके प्रतिमा का निर्माण करने के लिए 20 लाख रूपए तथा शासकीय महाविद्यालय गुरूर का नामकरण क्षेत्र की प्रथम आदिवासी विधायक डारन बाई तारम के नाम से करने, आदिवासी सामुदायिक भवन के जीर्णाेद्धार हेतु 50 लाख रूपए, प्री.मैट्रिक बालक छात्रावास के 20 सीट को बढ़ाकर 50 सीट किए जाने तथा जीर्णाेद्धार हेतु 20 लाख रूपए, मुख्य मार्ग गुरूर में शहीद वीर नारायण सिंह की प्रतिमा स्थापित करने के लिए 10 लाख रूपए तथा बालोद के बूढ़ातालाब का सौंदर्यीकरण कराने और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र गुरूर का जीर्णाेद्धार कराने की घोषणा की है। इसके अलावा उन्होंने ग्राम कोलिहामार ग्राम के विकास के लिए 20 लाख रूपए की राशि स्वीकृत करने तथा विकासखण्ड मुख्यालय गुरूर में पोस्ट मैट्रिक बालक छात्रावास खोलने की घोषणा भी की।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री बघेल ने आदिवासियों के साथ-साथ समाज के प्रत्येक वर्गों के विकास एवं कल्याण हेतु राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यों के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार समाज के सभी वर्गों के साथ-साथ किसान एवं मजदूरों को भी सबल एवं आत्मनिर्भर बनाने का कार्य कर रही है। इसके लिए राज्य सरकार के द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना, राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहिन कृषि मजदूर न्याय योजना, गोधन न्याय योजना आदि महत्वपूर्ण योजनाएॅ संचालित की जा रही है। उन्होंने कहा कि आगामी 20 अगस्त को राजीव गांधी किसान न्याय योजना की दूसरी किश्त की राशि किसानों के खाते में जमा कर दी जाएगी। इसके साथ-साथ राज्य में धान के अलावा कोदो-कुटकी, रागी आदि फसलों की भी समर्थन मूल्य में खरीदी की जा रही है।

श्री बघेल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 65 प्रकार के वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने आदिवासियों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत लोगों को उनका वाजिब अधिकार दिलाने हेतु वनाधिकार पत्र, जमीन वापसी, वन संसाधन अधिकार देने आदि का महत्वपूर्ण कार्य किया है। इस अवसर पर उन्होंने राज्य सरकार द्वारा राज्य में पेशा कानून के उचित क्रियान्वयन हेतु किए जा रहे कार्यों के संबंध में भी जानकारी दी।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने राज्य शासन के महत्वाकांक्षी नरवा, गरूवा, घुरवा एवं बाड़ी योजना तथा गोधन न्याय योजना को ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने तथा राज्य के विकास के लिए महत्वपूर्ण योजना बताते हुए इसके लाभ के संबंध में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस योजना के लागू होने से अब राज्य के लोगों को अवारा पशुओं की समस्या से मुक्ति मिलने के साथ-साथ अब गोबर और गोमूत्र से भी आमदनी हो रही है। इसके साथ ही शीघ्र ही बच्चों के कुपोषण को दूर करने के लिए गौठानों से ही दूध मिलने लगेगा।

श्री बघेल ने राष्ट्र व समाज के सर्वांगीण विकास के लिए शिक्षा को अत्यंत आवश्यक बताते हुए कहा कि इस दिशा में हमारी सरकार निरंतर कार्य कर रही है। इसके लिए हम प्रदेश के सभी शालाओं में समुचित मात्रा में शिक्षकों की नियुक्ति कर रहे हैं। श्री बघेल ने कहा कि बस्तर एवं सरगुजा संभाग के लोगों को शासकीय सेवा में अधिक से अधिक अवसर प्रदान करने हेतु कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन कर शासकीय सेवा में उनकी समुचित भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। श्री बघेल ने राज्य के विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों के कल्याण एवं शासकीय नौकरी देने हेतु किए जा रहे कार्यों के संबंध में भी जानकारी दी।

इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री श्रीमती अनिला भेंडिया ने राज्य सरकार को आदिवासी हितैषी सरकार बताते हुए राज्य सरकार द्वारा आदिवासियों एवं समाज के सभी वर्गों के कल्याण हेतु किए जा रहे कार्यों के संबंध में जानकारी दी। संसदीय सचिव एवं गांेडवाना समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री शिशुपाल सोरी ने विश्व आदिवासी दिवस के आयोजन के उद्देश्यों एवं महत्व के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार समाज के प्रत्येक वर्गाे के कल्याण के लिए कार्य कर सुराजी गॉव के परिकल्पना को साकार कर रही है। संसदीय सचिव श्री कुंवर सिंह निषाद ने गौरवशाली विरासत एवं उनकी सांस्कृतिक विरासत के संबंध में रोचक एवं प्रेरणास्पद जानकारी दी। क्षेत्रीय विधायक श्रीमती संगीता सिन्हा ने स्वाधीनता आंदोलन एवं समाज के नवनिर्माण में आदिवासियों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए अंचल के मांगो के संबंध में मुख्यमंत्री का ध्यान आकृष्ट कराया।

कार्यक्रम के गोंडवाना समाज के प्रदेश अध्यक्ष श्री नीलकंठ टेकाम और आदिवासी गोंडवाना सेवा समिति की अध्यक्ष श्रीमती उत्तरा मरकाम ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर श्री मदन कोर्पे, जिला पंचायत सदस्य श्रीमती चन्द्रप्रभा सुधाकर, डॉ. शंकर उईके सहित पुलिस महानिरीक्षक श्री बद्रीनारायण मीणा, कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक श्री जितेन्द्र कुमार यादव, 14वीं वाहिनी छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल के सेनानी श्री डी.आर.आचला एवं अन्य जनप्रतिनिधि व समाज प्रमुखगण उपस्थित थे।

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