
भाजपा की सूची लीक होने के बाद असंतोष फूट पड़ा है। पार्टी दफ्तर में विरोध प्रदर्शन जारी है। पार्टी ने बिलासपुर संभाग की पांच सीट तखतपुर, अकलतरा, कोटा, बेलतरा और चंद्रपुर में ठाकुर प्रत्याशी तय किए थे हालांकि इन नामों बदलने की गुंजाइश कम दिख रही है।
पार्टी के असंतुष्ट नेता इन नामों को लेकर सोशल मीडिया पर चर्चित कविता ‘ ठाकुर का कुंआ’ का जिक्र कर पार्टी के प्रमुख नेताओं पर निशाना साध दे रहे हैं। हालांकि इसको लेकर कुछ लोग सफाई भी दे रहे हैं। अधिकृत सूची जारी होने के बाद विवाद और बढ़ने के आसार हैं।
कुंडली में राजयोग हुआ तभी टिकट?
कांग्रेस के एक दिग्गज नेता को ज्योतिष पर काफी भरोसा है।वो अपने इलाके की सीटों से टिकट के दावेदारों की कुंडली भी दिखवा रहे हैं। उन्होंने बकायदा एक ज्योतिषी की सेवाएं ले रखी है। जो भी मजबूत उनसे टिकट के लिए मिल रहा है, उन्हें वो ज्योतिषी का नंबर देकर उनसे मिलने की सलाह दे दे रहे हैं। ज्योतिषी ने आदिवासी इलाके के एक दावेदार की कुंडली देखकर प्रबल राजयोग की भविष्यवाणी की है। दावेदार अफसरी छोड़कर राजनीति में आए हैं। अब देखना है कि उन्हें टिकट मिल पाती है या नहीं।
श्रीचंद ने दिखाए तेवर
प्रत्याशियों की सूची लीक होने के बाद रायपुर उत्तर से भाजपा टिकट के दावेदार श्रीचंद सुंदरानी , केदार गुप्ता और संजय श्रीवास्तव ने मिलकर पुरंदर मिश्रा को टिकट देने के खिलाफ ऐसी लड़ाई लड़ी कि पार्टी को पुनर्विचार के लिए मजबूर होना पड़ा।
चर्चा है कि सुंदरानी ने तो पार्टी नेताओं को से कह दिया था कि रायपुर उत्तर की टिकट नहीं बदली गई, तो 22 सीटों पर सिंधी आबादी भाजपा के खिलाफ हो जाएगी। ये तीनों एक राय होकर आरएसएस नेताओं से भी मिले।
केदार, पवन साय के करीबी माने जाते हैं। संजय, छत्तीसगढ़ में नितिन नबीन के विश्वासपात्र हैं। सबने मिलकर विरोध जताया, तो पार्टी ने पुरंदर की जगह सुंदरानी के नाम पर विचार शुरू कर दिया है। मगर सुंदरानी गुस्से में इतना उल्टा-सीधा बोल गए हैं कि उनके आगे की राह आसान नहीं रह गई है।
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मंत्री समर्थक मायूस
प्रदेश के एक मंत्री के समर्थक सदमे से नहीं उबर पा रहे हैं। बताते हैं कि मंत्री जी ने अपने इलाके में करीब पौने दो सौ करोड़ के विकास कार्यों का प्रस्ताव तैयार किया था। चुनाव से पहले अपने समर्थकों को बांटकर उन्हें उपकृत करने की तैयारी थी लेकिन अचानक मंत्रीजी का विभाग बदल गया और नये मंत्री ने प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया। ऐसे में समर्थकों का मायूस होना लाजमी है।
आईपीएस अफसरों पर गिरेगी गाज?
चर्चा है कि विधानसभा चुनाव के बीच आयोग कुछ आईपीएस अफसरों को बदल सकता है। इन अफसरों के खिलाफ शिकायतों का परीक्षण चल रहा है।
आयोग वर्ष 2003 के चुनावों में कई कलेक्टर और एसपी को बदल दिए थे। कुछ इसी तरह का कदम आयोग इस बार भी उठा सकती है। फिलहाल तो चुनाव आचार संहिता लगने का बेसब्री से इंतजार हो रहा है।
अरूण कुमार और अमिताभ..
अमिताभ जैन राज्य के ग्यारहवें सीएस हैं। वे विवेक ढांड और अजय सिंह की तरह छत्तीसगढ़ के ही रहने वाले हैं लेकिन उनकी कार्यशैली राज्य के पहले सीएस अरूण कुमार से मिलती जुलती है।
अरूण कुमार शाम पांच बजे के बाद आफिस में नहीं रहते थे उनके आफिस की बिजली भी बंद हो जाती थी। आम लोगों से मेल मुलाकात भी काफी कम करते थे। कुछ इसी तरह काम करने का अंदाज़ अमिताभ जैन का भी है।
सीएस के काम को तब ज्यादा नोटिस नहीं लिया जाता था। वजह यह थी कि जोगी खुद ब्यूरोक्रेट रह चुके थे और उनका आफिस स्टाफ भी मजबूत था। तकरीबन वैसी स्थिति अब भी है। सीएम भूपेश बघेल त्वरित फैसले लेने के लिए जाने जाते हैं। उनका आफिस स्टाफ भी गतिशील है। ऐसे में स्वाभाविक है कि अमिताभ जैन को काम का ज्यादा दबाव लेने की जरूरत महसूस नहीं करते हैं।