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RAMLILA IN CG : छत्तीसगढ़ में अनोखी राम लीला, जहां लड़कों का नहीं कोई काम, बच्चियां करती हैं मंचन ..

RAMLILA IN CG: Unique Ram Leela in Chhattisgarh, where no work is done for boys, girls perform..

दुर्ग। हाल ही में स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 में छोटे शहरों की कैटेगरी में दुर्ग जिले के पाटन ने ईस्ट जोन में पहला और देश में दूसरा स्थान पाया है. ऐसी ही कई और उपलब्धिां पाटन से जुड़ी हुई है. पाटन ब्लॉक का तर्रा ग्राम पंचायत बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं अभियान को बढ़ावा देने अनूठा प्रयास कर रहा है. दशहरा में होने वाली रामलीला में गांव की लड़कियों से हर किरदार का मंचन कराया जाता है. पिछले तीन सालों से तर्रा गांव की करीब 25 बच्चियां रामलीला में राम लक्ष्मण रावण सहित जितने भी पात्र है वो निभा रही है.

तर्रा गांव की बच्चियां रामलीला में करती हैं मंचन –

विजयादशमी के उपलक्ष्य में जब भी रामलीला का कार्यक्रम किया जाता हैं. उसमें माता सीता को छोड़कर जितने भी पात्र होते हैं वो अक्सर पुरुष ही होते हैं. लेकिन दुर्ग जिले के ग्राम तर्रा में जब रामलीला का मंचन होता हैं. उसमें सभी कलाकार सिर्फ और सिर्फ लड़कियां ही होती हैं. ऐसा इसलिए, क्योंकि गांव के लोगों सहित ग्राम पंचायत ने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ अभियान को बढ़ावा देने के लिए ये अनूठा प्रयास किया है.पिछले तीन वर्षों से गांव की करीब 25 से ज्यादा बच्चियां जब रामलीला का मंचन करती हैं. तो सारा गांव इनके अभिनय को देखने उमड़ पड़ता हैं.

परिजन और ग्राम पंचायत से मिलता है सहयोग –

तर्रा गांव की दस से 15 साल की बच्चियां बेझिझक राम रावण, रावण-अंगद, लक्षण- रावण संवाद करती हैं. रामलीला का मंचन करने वाली इन बच्चियों कहना है, कि उनके पालकों की अनुमति और ग्राम पंचायत के लोगों के उत्साहवर्धन से ही वे अपना किरदार सबके सामने आसानी से पूरा कर पाती हैं.

राम का किरदार निभाने वाली शिवानी चंद्राकर बताती है ” विजयदशमी पर हर गांव शहर में रामलीला का मंचन होता है. सभी जगह पुरुष और लड़के ही इस किरदार को निभाते हैं. लेकिन हमारे गांव में राम और रावण दोनों तरफ के किरदार लड़कियां निभाती है. जिससे हमें गर्व महसूस होता है. इसके लिए हमारे पैरेंट्स और ग्राम पंचायत के लोग हमारा उत्साहवर्धन करते हैं. मैं पिछले तीन साल से लक्ष्मण का रोल कर रही थी. इस साल राम का कैरेक्टर प्ले कर रही हूं.”

बेटी पढ़ाओं बेटी बचाओं अभियान को बढ़ावा देना उद्देशय –

ग्राम पंचायत तर्रा के उपसरपंच नवीन चंद्राकर का कहना हैं “पहले वर्ष में बच्चियां को तैयार करने में कठिनाई हुई. लेकिन जब उनके द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम को जब दूसरे गांव से प्रोत्साहन मिलने लगा, तो गांव की अन्य लड़कियां भी जुड़ने लगी. अब इनके साज -सज्जा का समान पंचायत करती हैं. साथ ही विजयादशमी पर इन बच्चियों को पंचायत की तरफ से पुरस्कृत भी किया जाता हैं. कंधे में धनुष और हाथों में गदा और तलवार लिये जब ये बच्चियां रामलीला में संवाद करती हैं. तो गांव के लोग हैरान हो जाते हैं. इनके लिए खूब तालियां बजती है. इन बच्चियों को अब दुर्ग भिलाई जैसे शहर से भी कई समितियों की तरफ से आमंत्रित किया जा रहा हैं.

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