CG PRIVATE BUS FARE SCAM : Public is troubled by the arbitrariness of private buses, rules completely fail.
ग्राउंड रिपोर्ट : दीपक तिवारी, कवर्धा जिला कबीरधाम
कबीरधाम। प्रदेश में प्राइवेट बसों की मनमानी लगातार बढ़ती जा रही है। जहां ₹50 का तय किराया है, वहां ₹70 वसूला जा रहा है, और ₹150 की दूरी पर यात्री ₹200 तक देने को मजबूर हैं। यह स्थिति साफ दिखाती है कि अधिकांश बस संचालक परिवहन विभाग के नियमों को ठेंगा दिखाकर खुलेआम मनमाफिक किराया वसूल रहे हैं।
किराया सूची गायब, पारदर्शिता शून्य –
नियमों के अनुसार हर बस में किराया सूची लगाना अनिवार्य है, लेकिन अधिकांश प्राइवेट बसों में न तो किराया सूची लगी है और न ही कंडक्टर किराए की जानकारी पारदर्शिता के साथ बताते हैं। इससे यात्रियों को सही किराए का अंदाजा ही नहीं लगता।
कंडक्टरों की मनमानी चरम पर –
यात्रियों का आरोप है कि कंडक्टर अपनी मर्जी से किराया वसूलते हैं। विरोध करने पर कई यात्रियों को बदसलूकी का सामना भी करना पड़ता है। टिकट न देना और अलग-अलग यात्रियों से अलग किराया वसूलना आम बात हो चुकी है।
परिवहन विभाग की निगरानी बेहद कमजोर –
परिवहन विभाग द्वारा किराया तो तय किया गया है, लेकिन
– रूट निरीक्षण,
– किराया जांच,
– शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई
लगभग नगण्य है। इसी वजह से बस संचालकों के हौसले बुलंद हैं और वे बिना किसी डर के मनमाना शुल्क ले रहे हैं।
कानूनी प्रावधान भी सिर्फ कागजों में –
नियमों के मुताबिक –
• बस में किराया सूची लगाना अनिवार्य है।
• तय किराए से अधिक वसूली दंडनीय अपराध है।
• शिकायत पर परमिट निलंबन, जुर्माना और बस सीज तक की कार्रवाई हो सकती है।
लेकिन वास्तविकता में इन नियमों का पालन कहीं नजर नहीं आता।
यात्रियों की जेब पर भारी असर –
मजदूर, छात्र और दैनिक यात्री सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
एक यात्री के मुताबिक “पहले जितना किराया लगता था, अब उसका लगभग दोगुना देना पड़ रहा है। टिकट नहीं मिलता और कंडक्टर जो बोल दे वही देना पड़ता है।”
जनता की मांग: अब सख्त एक्शन होना जरूरी –
यात्रियों का कहना है कि परिवहन विभाग को तुरंत
• नियमित चेकिंग,
• बसों का सर्वे,
• कंडक्टरों पर सख्त कार्रवाई,
• और सभी बसों में डिजिटल टिकटिंग
जैसे कदम लागू करने चाहिए, ताकि जनता से हो रही खुलेआम लूट को रोका जा सके।
