CG NEWS: रायपुर। केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई चार नई श्रम संहिताओं को “मजदूर विरोधी” बताते हुए देश की दस बड़ी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने 26 नवंबर को देशव्यापी हड़ताल और विरोध प्रदर्शन का ऐलान किया है। यूनियनों ने आरोप लगाया है कि नई संहिताएं मजदूरों के मौलिक अधिकार खत्म करती हैं और कंपनियों को मनमाने तरीके से श्रमिकों को निकालने की खुली छूट देती हैं।
जिन चार श्रम संहिताओं का विरोध किया जा रहा है, वे वेतन, औद्योगिक संबंध, सामाजिक सुरक्षा, और व्यावसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य से संबंधित हैं। ट्रेड यूनियनों का कहना है कि इन कानूनों से हड़ताल करना मुश्किल हो जाएगा, ठेका प्रथा को बढ़ावा मिलेगा और स्थायी रोजगार पर संकट गहरा जाएगा।
यूनियनों ने बताया कि सरकार ने इन संहिताओं को बिना बातचीत और सहमति के लागू किया। पिछले दस साल से भारतीय श्रम सम्मेलन (ILC) भी नहीं बुलाया गया, जबकि करोड़ों मजदूर कई बार हड़ताल कर चुके हैं।
संयुक्त ट्रेड यूनियन मंच के संयोजक धर्मराज महापात्र ने प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि “ये संहिताएं मजदूरों के अधिकारों पर खुला हमला हैं। अगर लागू हुईं तो आने वाली पीढ़ियां भी इसे माफ नहीं करेंगी। इसका मजबूत और एकजुट प्रतिरोध किया जाएगा।
बैठक में इंटक के संजय साहू, दीनानाथ सिंह, ऐक्टू के बृजेंद्र तिवारी, एटक के विनोद सोनी, बीमा कर्मचारियों के सुरेंद्र शर्मा, राजेश पराते, तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के तिलक यादव, देवेंद्र साहू, केंद्रीय कर्मचारी समन्वय समिति के दिनेश पटेल, एचएमएस के एच एस मिश्रा और संयुक्त ट्रेड यूनियन काउंसिल के वी एस बघेल सहित कई नेता मौजूद रहे।
यूनियनों ने 26 नवंबर को देशभर में व्यापक विरोध व हड़ताल कर सरकार पर दबाव बढ़ाने की रणनीति स्पष्ट कर दी है।
