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सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगे प्रतिबंध पर स्वास्थ्य मंत्री का बड़ा बयान, जानिए क्या कहा उन्होंने

रायपुर। नॉन प्रेक्टिस अलाउंस का लाभ नहीं लेने वाले डॉक्टरों पर प्राइवेट प्रेक्टिस करने पर कार्रवाई नहीं की जाएगी। उनके काम से अगर सरकारी व्यवस्था प्रभावित नहीं होती है, तो उन्हें प्रेक्टिस करने की छूट दी जाएगी। विभागीय सख्ती और मेडिकल कालेज के डॉक्टरों के इस्तीफे के बीच भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ को स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने यह आश्वासन दिया है। एनपीए लेने के बाद भी सरकारी के बजाए निजी अस्पताल के प्रति काम में ईमानदारी दिखाने वाले चिकित्सकों पर स्वास्थ्य विभाग सख्ती बरतने के मूड में है।

ऐसे चिकित्सकों के साथ संबंधित निजी अस्पतालों को भी आयुष्मान योजना के तहत कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मामला काफी गरमाया हुआ है और मेडिकल कालेजों में सेवा देने वाले संविदा डाक्टर इसके विरोध में नौकरी छोड़ने की चेतावनी दे रहे हैं। इस मामले में बुधवार को डाक्टरों के एक प्रतिनिधिमंडल ने भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ. विमल चोपड़ा के नेतृत्व में स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान उन्हें इस आदेश की वजह से चिकित्सकों को होने वाली परेशानी और वर्तमान स्थिति से अवगत कराया गया।

स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें आश्वासन दिया है कि सख्ती एनपीए लेकर निजी अस्पतालों में सेवा देने वाले डाक्टरों पर की जा रही है। जो भत्ता नहीं लेते और उनके प्राइवेट प्रेक्टिस से सरकारी अस्पताल में व्यवधान नहीं हो रहा है, उन पर कार्रवाई नहीं की जाएगी और ऐसे अस्पतालों को भी इससे दूर रखा जाएगा। इसके अलावा चिकित्सकों का एक सलाहकार मंडल बनाया जाएगा, जो विभाग में समय- समय पर अपनी सलाह देगा। स्वास्थ्य मंत्री से मुलाकात करने वालों में डॉक्टर अखिलेश दुबे, डॉ प्रेम चौधरी, डॉक्टर अनिल कानावत, डॉ मनोज ठाकुर, डॉ आरआर वर्मा, डॉ किशोर सिन्हा एवं डॉक्टर अमित उपस्थित थे।

 

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