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ED RAID : कांग्रेस सांसद और विधायकों के ठिकानों पर ED का छापा

ED RAID : ED raids the residences of Congress MPs and MLAs

रायपुर डेस्क, 11 जून 2025। ED RAID महर्षि वाल्मीकि जनजाति कल्याण बोर्ड घोटाले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच तेज हो गई है। बुधवार सुबह ईडी की टीम ने बेल्लारी और बेंगलुरु के कई स्थानों पर छापेमारी की। यह छापे चार कांग्रेस नेताओं और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर मारे गए हैं।

किन नेताओं पर हुई कार्रवाई?

ईडी ने जिन कांग्रेस नेताओं के यहां छापेमारी की, उनमें शामिल हैं:

सांसद ई. तुकाराम

विधायक ना. रा. भरत रेड्डी

जे. एन. गणेश उर्फ कांपली गणेश

पूर्व मंत्री और विधायक बी. नागेंद्र

इसके अलावा, बी. नागेंद्र के निजी सहायक गोवर्धन के घर और दफ्तरों पर भी तलाशी ली गई है।

ED RAID ईडी की करीब 15 अधिकारियों की टीम ने एक साथ आठ जगहों पर छापे मारे। इनमें से पांच स्थान बेल्लारी में और तीन स्थान बेंगलुरु में हैं।

कौन हैं बी. नागेंद्र और क्यों हैं जांच के घेरे में?

बी. नागेंद्र पूर्व अनुसूचित जनजाति कल्याण मंत्री हैं, जिन्हें ईडी ने 12 जुलाई 2024 को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने 89.6 करोड़ रुपये की फंड हेराफेरी की अनुमति दी और इस घोटाले में मुख्य साजिशकर्ता की भूमिका निभाई।

ED RAID ईडी की जांच के मुताबिक, नागेंद्र ने 24 अन्य लोगों के साथ मिलकर महर्षि वाल्मीकि एसटी विकास निगम के खातों से फर्जी खातों में पैसे ट्रांसफर किए और फिर उन पैसों का इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग में किया गया। पैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के फर्जी खातों में भेजे गए थे।

SIT की क्लीन चिट और विवाद

राज्य सरकार द्वारा गठित SIT ने बी. नागेंद्र को क्लीन चिट दे दी थी, और उनकी चार्जशीट में कोई उल्लेख नहीं किया गया। लेकिन ईडी ने CID और CBI की FIR के आधार पर फिर से जांच शुरू की।

आत्महत्या से हुआ था घोटाले का पर्दाफाश

ED RAID इस घोटाले का खुलासा तब हुआ, जब आदिवासी कल्याण बोर्ड के लेखा अधिकारी पी. चंद्रशेखरन ने आत्महत्या कर ली। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में लिखा था कि उन पर घोटाले को दबाने और गलत दस्तखत करने का दबाव बनाया जा रहा था। उन्होंने कांग्रेस सरकार के एक मंत्री को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया था।

भाजपा का आरोप: मुख्यमंत्री भी जिम्मेदार

ED RAID भाजपा ने इस घोटाले में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की भूमिका पर भी सवाल उठाया है। भाजपा का दावा है कि मुख्यमंत्री ने इस घोटाले को मौखिक मंजूरी दी थी क्योंकि वित्त विभाग सीधे उनके अधीन है। भाजपा ने इसे 187 करोड़ रुपये का घोटाला बताया है।

 

 

 

 

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