DJ and sound box death case: रायपुर/बिलासपुर. डीजे और साउंड बॉक्स के शोर से आम लोगों को होने वाली परेशानियों को लेकर जनहित याचिका पर मंगलवार को हुई सुनवाई में राज्य शासन ने बताया कि कड़ी कार्रवाई के लिए राज्य के कोलाहल नियंत्रण अधिनियम में संशोधन की जरूरत है. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने आज सुनवाई करते हुए बलरामपुर जिले में गणेश विसर्जन के दौरान डीजे पर नाचते समय एक नाबालिग की मौत को भी गंभीरता से लिया है.
DJ and sound box death case: हाईकोर्ट ने इस मामले में शासन से जवाब मांगा है. आज मंगलवार को जनहित याचिका पर हुई सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से कोर्ट को बताया गया कि, कोलाहल अधिनियम में इतने कड़े प्रावधान है ही नहीं. एक या दो बार 500-1000 रुपए पेनाल्टी लगाकर छोड़ दिया जाता है, ना सामान की जब्ती होती है और ना ही कोई कड़े नियम बनाए गए हैं. इसी वजह से इन मामलों में कड़ाई करने के लिए शासन स्तर पर प्रक्रिया की जाएगी. लल्लूराम को मिली जानकारी के मुताबिक कोर्ट ने मामले में सरकार को इसकी कार्रवाई के संबंध में अपना जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है.
DJ and sound box death case: मालूम हो कि, कोलाहल मामले में विधि विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की थी. इसमें चर्चा हुई कि 1985 के अधिनियम और 2000 के नियमों के बीच टकराव की स्थिति में किस अधिनियम का पालन किया जाना चाहिए. 1985 के अधिनियम में लाउडस्पीकर के उपयोग पर दंड, 2000 के नियमों की तुलना में बहुत कम है. केंद्रीय कानून, राज्य के कानून पर प्रबल होता है, चूंकि 1985 का अधिनियम एक राज्य अधिनियम है और 2000 के नियम केंद्रीय अधिनियम हैं, इसलिए 2000 एक्ट के नियम प्रबल होंगे. इन नियमों में लाउडस्पीकर के उपयोग के लिए उपयुक्त प्राधिकारी से अनुमति लेने और ध्वनि सीमा निर्धारित करने का प्रावधान है. प्रावधानों में संशोधनः पूर्व में हुई सुनवाई में महाधिवक्ता ने कहा था कि, राज्य द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 और कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 की जांच की गई है और यह बताया गया कि, ध्वनि प्रदूषण नियम, 2000 के प्रावधान कोलाहल नियंत्रण अधिनियम, 1985 की तुलना में अधिक कठोर हैं, इसलिए राज्य प्रावधानों में संशोधन करने जा रहा है.
