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CHHATTISGARH : कुपोषण दूर करने कोदो-कुटकी की भी लें मदद, मिलेट्स आधारित उद्योगों को मिलेगा बढ़ावा, CM का CS को निर्देश

CHHATTISGARH: Take help of Kodo-Kutki to remove malnutrition, millets based industries will get a boost, CM’s instructions to CS

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुपोषण नियंत्रण में मिलेट्स (कोदो-कुटकी, रागी) की प्रभावी भूमिका को देखते हुए मुख्य सचिव से राज्य के आश्रमों एवं मध्याह्न भोजन में मिलेट्स को शामिल करने तथा मिलेट्स आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संबंधित विभागों से चर्चा कर कार्ययोजना तैयार करने को कहा है। उन्होंने छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन की कार्य योजना में कुपोषित बच्चों तथा एनीमिक महिलाओं को भी शामिल करने को कहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य है जिसने कोदो, कुटकी तथा रागी का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के साथ-साथ खरीदी की भी व्यवस्था सुनिश्चित की है। साथ ही इन फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में शामिल करते हुए मिलेट्स उत्पादक किसानों को 9000 रुपए प्रति एकड़ की इनपुट सब्सिडी भी दी जा रही है। राज्य में मिलेट्स की खेती का रकबा 69 हजार हेक्टेयर से बढ़कर एक लाख 88 हजार हेक्टेयर हो गया है। छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन के तहत मिलेट की उत्पादकता को प्रति एकड़ 4.5 क्विंटल से बढ़ाकर 9 क्विंटल यानि दोगुना किए जाने का भी लक्ष्य रखा गया है। हैदराबाद में भारत सरकार के आईआईएमआर द्वारा बीते दिनों आयोजित पोषक अनाज अवार्ड-2022 में मिलेट को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ को सर्वश्रेष्ठ उदीयमान राज्य के रूप में पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया।

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ के अंतर्गत कार्यरत महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से स्थानीय संग्रहण केंद्रों में मिलेट्स का संग्रहण किया जाता है। कुल 11 हजार 839 संग्राहकों से समर्थन मूल्य पर कोदो-कुटकी, रागी की खरीदी की जा रही है। संग्रहित मिलेट्स को वनधन विकास केंद्रों में भेजा जाता हैं। वहां के महिला स्व सहायता समूह गुणवत्ता जांच कर भंडारण के लिए भेज देते हैं। कोदो की 30 रुपए किलो, कुटकी की 30 रुपए किलो और रागी की 33.77 रुपए किलो समर्थन मूल्य पर खरीदी की जा रही है। आईआईएमआर हैदराबाद के सहयोग से राज्य में 04 नये मिलेट आधारित उत्पाद विकसित किए गए हैं। ये उत्पाद हैं मिलेट खिचड़ी, मिलेट खीर, मिलेट लड्डू और रागी पोरेज। मिलेट्स के प्रसंस्करण में तेजी लाने के लिए 20 वन धन विकास केंद्रों में प्राथमिक प्रसंस्करण केंद्र स्थापित करने की तैयारी की जा रही है। मिलेट्स की उपयोगिता के दायरे में विस्तार करते हुए आंगनवाड़ी केंद्रों में शिशुओं, मध्यान्ह भोजन में विद्यार्थियों तथा गर्भवती माताओं के लिए पोषक आहार के रूप में प्रयोग में लाया जा रहा है।

राज्य शासन ने छत्तीसगढ़ में मिलेट मिशन की शुरुआत की है, ताकि राज्य में उत्पादित लघु धान्य फसलों से जुड़ी संभावनाओं का विस्तार करते हुए इसे वनवासियों की आर्थिक ताकत बनाया जा सके। यह मिशन राज्य के 14 जिलों में संचालित है। उत्पादकता में बढ़ोतरी के लिए किसानों को उच्च क्वालिटी का बीज, विशेषज्ञों से तकनीकी प्रशिक्षण एवं परामर्श भी दिलाया जा रहा है। इसके लिए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट रिसर्च, हैदराबाद (आईआईएमआर) और राज्य के 14 जिला कलेक्टरों के बीच एमओयू किया गया है। आईआईएमआर ने कोदो, कुटकी, रागी के अच्छी क्वालिटी के बीज उपलब्ध कराने के साथ-साथ सीड बैंक की स्थापना में मदद करने की भी जिम्मेदारी ली है।

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