HIGHCOURT VERDICT : After divorce, it is the children, not the wife, who have the right to live in their father’s property: High Court
रायपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश में स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद पत्नी को पति की संपत्ति या आवास में रहने का कोई कानूनी अधिकार नहीं रहता, लेकिन बच्चे पिता के वैध वारिस होने के कारण वहां रहने का पूरा अधिकार रखते हैं। जस्टिस नरेंद्र कुमार व्यास की सिंगल बेंच ने यह आदेश दुर्ग जिले के भिलाई स्टील प्लांट के कर्मचारी अजय कुमार रेड्डी और उनकी पूर्व पत्नी राजश्री के बीच चल रहे संपत्ति विवाद में दिया।
क्या है मामला
अजय कुमार रेड्डी ने 2002 में भिलाई स्टील प्लांट से सेक्टर-8 का क्वार्टर लीज पर लिया था। 2010 में क्रूरता के आधार पर अजय और राजश्री को तलाक मिला। इसके बावजूद राजश्री बच्चों के साथ उसी घर में रह रही थीं। अजय का आरोप था कि 2006 में राजश्री ने घर का ताला तोड़कर अवैध कब्जा कर लिया और तब से घर, पानी-बिजली और किराए का भुगतान भी नहीं किया गया।
अजय ने 2014 में केस दर्ज कर घर खाली कराने और बकाया राशि वसूलने की मांग की थी।
निचली अदालत का आदेश
2018 में निचली अदालत ने राजश्री और बच्चों को दो महीने में घर खाली करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ राजश्री ने हाई कोर्ट में अपील की।
हाई कोर्ट का फैसला
हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला आंशिक रूप से बदला।
कोर्ट ने कहा –
पत्नी को घर में रहने का कोई अधिकार नहीं, क्योंकि तलाक के बाद वैवाहिक संबंध कानूनी रूप से समाप्त हो जाते हैं।
घरेलू प्रताड़ना अधिनियम की धारा 2(एफ) तलाक के बाद लागू नहीं होती।
बच्चों को घर में रहने का अधिकार है, क्योंकि वे पिता की संपत्ति के वैध हिस्सेदार हैं।
इस प्रकार कोर्ट ने राजश्री को घर खाली करने का निर्देश बरकरार रखा, लेकिन बच्चों को घर से न निकालने का आदेश दिया।
अपील में क्या कहा गया था
राजश्री ने दावा किया था कि घर खरीदने में उन्होंने भी आर्थिक योगदान दिया है और बच्चों का अधिकार सुरक्षित रखा जाए। हाई कोर्ट ने बच्चों के अधिकार को स्वीकार किया, लेकिन पत्नी के दावे को खारिज कर दिया।
