CG HIGH COURT : शव के साथ दुष्कर्म पर सजा का प्रावधान नहीं, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने मां की याचिका की खारिज
CG HIGH COURT: No provision for punishment for rape of dead body, Chhattisgarh High Court rejects mother’s petition
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में एक अजीबो-गरीब मामला आया। बेटी की मां ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें उसकी बेटी के शव के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी को इस मामले में सजा नहीं सुनाई थी। छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने डिवीजन बेंच ने विचारण न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए मां की याचिका खारिज कर दी है। डिवीजन बेंच ने अपने फैसले में लिखा है कि वर्तमान में देश में जो कानून प्रचलित है उसमें शव के साथ दुष्कर्म को अपराध की श्रेणी में नहीं रखा गया है। मौजूदा कानून में नेक्रोफीलिया क्राइम नहीं है। डिवीजन बेंच ने ट्रायल कोर्ट के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें सबूत मिटाने के अपराध में सात साल की सजा सुनाई है।
मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच में हुई। डिवीजन बेंच ने मां की हस्तक्षेप याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी भी की है। डिवीजन बेंच ने कहा कि इस मसले पर कोई असहमति नहीं कि उचित व्यवहार और गरिमा का हकदार जीवित व्यक्तियों के साथ ही मृतक भी हैं। वर्तमान कानून में शव के साथ दुष्कर्म करने वाले को सजा देने का प्रावधान नहीं है।
घटना 18 अक्टूबर 2018 की है। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद निवासी महिला ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक अफसर के यहां काम करती थी, उस दिन भी वह काम पर गई थी। घर पर उसकी नौ साल की बेटी और मां थी। काम के बाद दोपहर में जब वह घर आई तब बेटी नहीं मिली। आसपास खोजबीन के बाद रिश्तेदारों व पहचान वालों से भी बेटी के संंबंध में पूछताछ की। कहीं कोई पता नहीं चला। पुलिस ने खोजबीन शुरू की। सुनसान इलाके में बेटी की लाश मिली। पुलिस ने घटनास्थल से खून से सनी मिट्टी समेत अन्य सामान जब्त किया।
22 अक्टूबर 2018 को आरोपी नीलकंठ उर्फ नीलू नागेश को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की, उसके बताए जगह से पुलिस ने कुदाल, मृतका की एक जोड़ी पायल, घटना के समय आरोपी नीलकंठ द्वारा पहनी गई फुल शर्ट समेत अन्य सामान जब्त किया। नीलकंठ के बयान के बाद पुलिस ने मुख्य आरोपी नितिन यादव को भी गिरफ्तार किया।
मामले की सुनवाई के बाद ट्रायल कोर्ट ने मुख्य आरोपी नितिन यादव को आईपीसी की धारा धारा 376 (3) के तहत उम्र कैद, 363 के तहत दो वर्ष, 302 के तहत उम्र कैद, 201 के तहत 7 वर्ष और एट्रोसिटी एक्ट के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई। नीलकंठ को साक्ष्य छिपाने के आरोप में ट्रायल कोर्ट ने आईपीसी की धारा 201 के तहत सात वर्ष कैद की सजा सुनाई। ट्रायल कोर्ट के फैसले को आरोपियों ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को सही ठहराते हुए अपील खारिज कर दी है।