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CG GOOD NEWS : सक्रिय माओवादी हैं माता-पिता, सिर पर नकद इनाम, बेटी ने 10वीं की परीक्षा में किया कमाल ..

CG GOOD NEWS: Parents are active Maoists, cash reward on head, daughter did wonders in 10th exam ..

‘मुसीबत से तू ज्यादा डर या खौफ ना रख, तू जीतेगा जरूर एक दिन बस आज हौसला रख’ ये लाइन छत्तीसगढ़ की उस 18 साल की लड़की पर सटीक बैठती हैं, जिसके माता-पिता दोनों नक्सली हैं. अपने हालातों और परेशानियों को पार करते हुए उसने आज कीर्तिमान रचा है जिसके बारे में हम शायद अंदाजा भी नहीं लगा सकते. बंदूकों के साये में पली-बढ़ी इस लड़की ने छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं की परीक्षा पास की है, जो वाकई में सराहनीय है. हां, बीच में कई दिक्कतें आईं, पढ़ाई भी छूट गई लेकिन हौसला ही था जिसकी वजह से आज उसे हर तरफ से तारीफ मिल रही है. नारायणपुर कलेक्टर अजीत वसंत ने भी भविष्य में हर तरह की मदद करने बात कही है.

सक्रिय माओवादी हैं माता-पिता, सिर पर नकद इनाम –

नक्सली दंपति की बेटी छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के एनमेटा बकुलवाही गांव की रहने वाली हैं. जो रायपुर से करीब 300 किलोमीटर से दूर पर स्थित है. छात्रा के पिता सोनवरम सलाम और मां आरती सक्रिय नक्सली हैं. बंदूकों के साये में अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं, लेकिन उनकी लड़की को अपने से दूर रहकर पढ़ाई करने से रोक नहीं पाया.

एक आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली, जो पहले नारायणपुर में पूर्व के साथ काम कर चुका था ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि सोनवरम सलाम वर्तमान में अभुजमाड़ के अकाबेड़ा और कुतुल क्षेत्रों में एक माओवादी गठन में कमांडर के रूप में सक्रिय है, जबकि उसकी पत्नी एक निचले पायदान की कैडर है. उन्होंने कहा कि दंपति के सिर पर नकद इनाम भी है.

सरकारी अधिकारियों ने कहा कि घने जंगलों और पहाड़ी इलाका अभुजमाड़ क्षेत्र नक्सलियों के लिए एक सुरक्षित जगह है, जहां कैडर बनाने के लिए ट्रेनिंग सेंटर भी हैं. हालाकिं पिछले कुछ वर्षों में इन इलाकों में पॉजिटिव बदलाव आ रहे हैं.

बीच में छोड़नी पड़ी थी पढ़ाई –

नारायणपुर से पहली क्लास से 8वीं क्लास तक की पढ़ाई तो किसी तरह हो गई लेकिन जरूरी डॉक्यूमेंट्स न होने की वजह से पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ी. छात्रा ने पीटीआई को बताया, ‘मैंने कुतुल गांव (नारायणपुर) में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्या मंदिर में कक्षा 1 से 5वीं तक और नारायणपुर शहर में रामकृष्ण मिशन विवेकानंद विद्यापीठ में कक्षा 6वीं से 8वीं तक की पढ़ाई की. इसके बाद, मैंने पढ़ाई छोड़ दी और अपने गांव एनमेटा चली गई क्योंकि मेरे पास जाति और अधिवास प्रमाण पत्र नहीं थे. 18 वर्षीय छात्रा को अनुसूचित जनजाति (एसटी) प्रमाण पत्र और अधिवास प्रमाण पत्र नहीं मिल सका है, जो उसे मड़िया जनजाति के सदस्य के रूप में मान्यता देता है. हार फिर भी नहीं मानी थी.

फिर ऐसे हुई पढ़ाई की शुरुआत –

8वीं पास करने के बाद पढ़ाई छूट गई थी लेकिन हौंसला कम नहीं हुआ था. आगे की पढ़ाई करनी थी तो घर छोड़ना जरूरी हो गया. करीब दो साल बाद एक दूर के रिश्तेदार ने अपने घर रहने और पढ़ाई करने की रजामंदी दे दी. छात्रा ने बताया, ‘दो साल बाद, मैं अपनी चचेरी बहन के घर गई, जिसकी शादी नारायणपुर के भुरवाल गांव में हुई थी और पास के भाटपाल गांव के एक सरकारी स्कूल में पढ़ाई शुरू की.’

कम नहीं हुई थीं मुश्किलें –

छात्रा के लिए आगे की पढ़ाई करना इतना भी आसान नहीं था. रिश्तेदार के घर की छत तो मिल गई लेकिन संघर्ष अभी भी जारी था. छात्रा ने बताया है कि उसे स्कूल आने-जाने के दौरान रोजाना करीब 4 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था. फिर भी वह खुश थी.

आगे डॉक्टर बनकर अदिवासियों की सेवा करने का सपना –

कई मुश्किलों के बाद छात्रा छत्तीसगढ़ हाई स्कूल सर्टिफिकेट बोर्ड एग्जाम 2023 में बैठी और छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा बुधवार को घोषित 10वीं बोर्ड परीक्षा में 54.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. छत्तीसगढ़ बोर्ड 10वीं कक्षा की परीक्षा पास करना उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि को देखते हुए यह एक असाधारण उपलब्धि है. अब वह डॉक्टर बनकर अपने पैतृक जिले के आदिवासियों की सेवा करना चाहती हैं. उसका छोटा भाई आकाबेड़ा गांव के रामकृष्ण मिशन आश्रम स्कूल में 9वीं क्लास में पढ़ता है.

अब दस्तावेजों के साथ मिलेगा सभी सरकारी योजना का लाभ, कलेक्टर का वादा –

नारायणपुर के कलेक्टर अजीत वसंत ने कहा कि उन्होंने स्थानीय अधिकारियों को जरूरी दस्तावेज प्राप्त करने में छात्रा की हर संभव मदद करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा, ‘अभुजमाड़ क्षेत्र में कुछ दस्तावेजों की कमी के कारण, स्थानीय ग्राम सभा के प्रस्तावों के आधार पर लोगों को जाति और अधिवास प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. मैंने स्थानीय अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) को ग्राम सभा से आवश्यक प्रस्ताव प्राप्त करने और यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि उसे ये सभी प्रमाण पत्र मिलें.’ कलेक्टर ने कहा कि उन्हें भी शासकीय योजनाओं का लाभ मिलेगा.

वसंत ने आगे कहा, ‘छात्रा को विशेष रूप से संरक्षित जनजातियों के लोगों को दी जाने वाली शिक्षा से संबंधित सभी सरकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. अगर उसे और मदद की जरूरत होगी, तो उसे मदद मुहैया कराई जाएगी.’

 

 

 

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