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CG BREAKING : ओलंपिक संघ की मान्यता को लेकर सवाल, विधानसभा में खूब हुआ घमासान

CG BREAKING: Question regarding the recognition of the Olympic Association, there was a lot of fighting in the assembly

रायपुर। भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने खेलो इंडिया और छत्तीसगढ़ ओलंपिक का मुद्दा उठाते हुए खेल मंत्री से प्रश्न किया. खेल मंत्री उमेश पटेल ने जवाब दिया कि पहले पंचायत फिर ब्लॉक फिर जोन और राज्य स्तर पर छत्तीसगढ़ ओलंपिक खेल का आयोजन किया गया था. छत्तीसगढ़ ओलंपिक में 26 लाख 4 हजार से ज्यादा लोग शामिल हुए. इस जवाब से असंतुष्ट अजय चंद्राकर ने फिर मंत्री से जानना चाहा कि इन खेलों के लिए खिलाड़ियों की चयन प्रक्रिया क्या थी? किस तरह से इनका खेलों के लिए सिलेक्शन किया गया? इस पर दोबारा खेल मंत्री यही जवाब देते नजर आए कि यह आयोजन बड़े स्तर पर हुआ था. ब्लॉक से लेकर स्टेट तक इसमें खिलाड़ियों ने भाग लिया.

ओलंपिक संघ की मान्यता को लेकर सवाल :

सवाल जवाब के बीच पक्ष विपक्ष के बीच नोकझोंक होती रही. बीच में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने भी विपक्ष पर टीका टिप्पणी की, जिस पर विपक्ष भड़क गया. अजय चंद्राकर ने कहा कि प्रश्नकाल में ऐसी स्थिति बनेगी कि प्रश्न ही ना पूछने दिया जाए तो सदन कैसे चलेगा? सत्ता पक्ष ही सवाल पूछ ले. चंद्राकर ने पूछा कि हम पिठ्ठूल खिलते हैं तो इसकी टीम का सिलेक्शन कैसे हुआ? क्या इसे ओलंपिक संघ से मान्यता दी गई है?

मंत्री उमेश पटेल का जवाब :

एक बार फिर खेल मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि इतनी बड़ी संख्या में छत्तीसगढ़ के लोगों ने हिस्सा लिया. हमने जितने खेलों को शामिल किया था, उसे सबसे पहले पंचायत स्तर पर खिलाया. कबड्डी, खो खो, फुगड़ी को मान्यता दी गई है. अजय चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ खेलो को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता देने के प्रयास के बारे में जानकारी चाहिए. उन्होंने ऐसे खेलों के खिलाड़ियों को सरकारी नौकरी दिए जाने पर भी सवाल किया. जिस पर मंत्री उमेश पटेल ने कहा कि ”ओलंपिक संघ छत्तीसगढ़ खेलों को संबद्धता दे सकती है लेकिन मान्यता नहीं दे सकती है. मैंने केंद्रीय मंत्री को चिट्ठी लिखकर छत्तीसगढ़िया ओलंपिक का आयोजन किए जाने की जानकारी दी है. मैंने मांग की है कि विलुप्त हो रहे इन खेलों को मान्यता देकर संरक्षण दिया जाए.”

सदन में हंगामा :

बीजेपी विधायक शिवरतन शर्मा ने भी इस पर सवाल पूछते हुए कहा कि सरकारी नौकरी में आरक्षण दिए जाने पर जवाब दिया गया है कि मान्यता का प्रश्न नहीं उठा है, दूसरी तरफ केंद्र को लिखे पत्र में मान्यता की मांग की गई है. यह विरोधाभास कैसे है? इस सवाल को लेकर काफी देर तक सदन में हंगामा होता रहा.

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