BIG DECISION OF HIGH COURT: Order to reinstate dismissed constable in service
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में डीजीपी, आईजी और एसपी के आदेशों को खारिज करते हुए बर्खास्त आरक्षक सैयद खुर्शीद अली को 30 प्रतिशत वेतनमान के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है। जस्टिस रजनी दुबे की सिंगल बेंच ने विचारण न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए यह निर्णय सुनाया।
मामले का विवरण –
याचिकाकर्ता आरक्षक सैयद खुर्शीद अली पर जांजगीर-चांपा जिले के रक्षित केंद्र में पदस्थापना के दौरान भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत मामला दर्ज किया गया था। इसके आधार पर 16 फरवरी 2012 को पुलिस अधीक्षक जांजगीर-चांपा ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। आरक्षक ने एसपी के इस फैसले को आईजी बिलासपुर रेंज के समक्ष चुनौती दी, लेकिन 15 नवंबर 2016 को आईजी ने अपील खारिज कर दी।
इसके बाद सैयद खुर्शीद अली ने डीजीपी के समक्ष अपील और दया याचिका दायर की, जिसे 31 मार्च 2017 को यह कहते हुए खारिज कर दिया गया कि उनके कृत्य से पुलिस विभाग की छवि धूमिल हुई है।
विभागीय जांच और ट्रायल कोर्ट में समान गवाह –
आरक्षक के वकील मतीन सिद्दीकी और नरेंद्र मेहेर ने हाईकोर्ट में दलील दी कि विभागीय जांच और आपराधिक ट्रायल में समान गवाह और दस्तावेज प्रस्तुत किए गए थे। आपराधिक ट्रायल कोर्ट ने सैयद खुर्शीद अली को दोषमुक्त करार दिया था।
कोर्ट का आदेश –
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के बाद एसपी जांजगीर-चांपा, आईजी बिलासपुर रेंज और डीजीपी के आदेशों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने याचिकाकर्ता सैयद खुर्शीद अली को 30 प्रतिशत वेतनमान के साथ सेवा में बहाल करने का आदेश दिया।
यह फैसला पुलिस विभाग में अनुशासनात्मक कार्रवाई और न्यायिक समीक्षा के बीच संतुलन का एक अहम उदाहरण है।